By म्यर पहाड़ on May 14, 2018
उत्तराखण्ड के पहाड़ में पहले खेलों के लिये पर्याप्त साधन नहीं थे, बच्चे स्थानीय संसाधनों पर खेल बनाकर खेला करते थे, जो आज प्रचलित नहीं हैं। आज कम्प्यूटर और स्मार्ट फोन के युग में यह खेल कहीं खो से गये हैं, लेकिन खेलों में भी पहाड़ की स्थानीयता बनी रही है, इस लेख से माध्यम […]
Posted in Culture, Nature | Tagged ठिणी दाबुली, घुच्ची, अड्डू, उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड के लोक खेल, बाघ बकरी, दाणि, पहाड़, पांछ, chucchi, folk games of uttarakhand, thini dabuli, uttarakhand |
By म्यर पहाड़ on May 4, 2018
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार हमारे जीवन में सोलह संस्कार होते हैं, जीवन के विभिन्न संस्कारों से संबंधित गीत हमारे उत्तराखण्डी समाज में भरे पड़े हैं, जिन्हें शकुन आंखर, मांगल गीत, फाग या संस्कार गीत कहा जाता है। जन्म से लेकर विवाह तक नामकरण, छठी, ब्रतबंद, गणेश वंदना, मातृका पूजन, जनेऊ संस्कार, कन्यादान आदि गीत हमारे […]
Posted in हमारी बात, Culture | Tagged संस्कार गीत, गढवाल, फाग, शकुन आंखर, मांगल गीत, कुमाऊं, ceremonial song of uttarakahand, mangal geet, shakun aankhar |
By म्यर पहाड़ on March 22, 2018
उत्तराखण्ड की अपनी एक समृद्ध और गौरवशाली सांस्कृतिक परम्परा है। किसी भी सभ्यता और संस्कृति के लिये जरुरी है उनकी सांस्कृतिक गतिविधिया और इनके लिये आवश्यक होते हैं सुर और ताल, सुर जहां कंठ से निकलते हैं वहीं ताल के लिये वाद्य यंत्रों की आवश्यकता होती है। हमारे पुरखों ने स्थानीय सुरों के आधार पर […]
Posted in Culture, Travel | Tagged डौंर, छपेली, मशकबीन, उत्तराखण्ड के लोक वाद्य, रणसिंघा, बिणाई, तुतुरी, हुडका, जागर, जौंया मुरुली, Algoja, hudka, morchang, Musical Instrument of Uttarakhand |
By म्यर पहाड़ on February 21, 2018
पर्वतीय क्षेत्र में आटा पीसने की पनचक्की का उपयोग अत्यन्त प्राचीन है। पानी से चलने के कारण इसे “घट’ या “घराट’ कहते हैं। पनचक्कियाँ प्राय: सदानीरा नदियों के तट पर बनाई जाती हैं। गूल द्वारा नदी से पानी लेकर उसे लकड़ी के पनाले में प्रवाहित किया जाता है जिससे पानी में तेज प्रवाह उत्पन्न हो […]
Posted in Culture, Places | Tagged घराट, घट, उत्तराखण्ड, पनचक्की, gharat, ghat, pahad, pahar, uttarakhand |
By म्यर पहाड़ on October 13, 2010
भगवान राम की कथा पर आधारित रामलीला नाटक के मंचन की परंपरा भारत में युगों से चली आयी है। लोक नाट्य के रुप में प्रचलित इस रामलीला का देश के विविध प्रान्तों में अलग अलग तरीकों से मंचन किया जाता है। उत्तराखण्ड खासकर कुमायूं अंचल में रामलीला मुख्यतया गीत-नाट्य शैली में प्रस्तुत की जाती है। […]
Posted in Culture, Events | Tagged almora, garhwal, hukka club, kumaoni ramlila, nainital, parvtiya ramlila, ramlila, uday shankar, uttarakhand |
By म्यर पहाड़ on September 10, 2010
उत्तराखण्ड में प्रारम्भ से ही कृषि और पशुपालन आजीविका का मुख्य स्रोत रहा है। जटिल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण व्यापार की संभावनाएं नगण्य थीं, लेकिन कम उपजाऊ जमीन होने के बावजूद कृषि और पशुपालन ही जीवनयापन के प्रमुख आधार थे। आज भी कृषि और पशुपालन से सम्बन्धित कई पारम्परिक लोक परम्पराएं और तीज-त्यौहार पहाड़ के […]
Posted in Culture, Events | Tagged खतडुवा, atkintion, bansidhar pathak, deepawali, garhwal, harela, khatarua, khataruwa, kumaon, uttarakhand |
By म्यर पहाड़ on August 31, 2010
Uttarakhand is well known for its ancient culture. In its daily life animals, birds, fields all basic amenities of human life is given utmost importance. Gods and Goddess are treated like family members and given a prestigious position in the family people treat Gods and Goddesses as their own and gives them a high and […]
Posted in हमारी बात, Culture | Tagged सातूं, सातों, खेल, गमरा, महेशर, आठूं, बिरुड़, हिलजातरा, aathon, bageshwar, birud, gamara, gaura, hil jatra, hill jatra, maheshar, maheshwar, Pithoragarh, saton |
By म्यर पहाड़ on August 12, 2010
उत्तराखण्ड एक कृषि प्रधान राज्य है, आदिकाल से यहां की सभ्यता जल, जंगल और जमीन से प्राप्त संसाधनों पर आधारित रही है। जिसकी पुष्टि यहां के लोक त्यौहार करते हैं, प्रकृति और कृषि का यहां के लोक जीवन में बहुत महत्व है, जिसे यहां की सभ्यता अपने लोक त्यौहारों के माध्यम से प्रदर्शित करती है। […]
Posted in Culture | Tagged chand dynsty, folk festival, folk festivals of uttarakhand, ghee sankrat, ghee tyar, ghyu tyar, girda, kumaon, olagiya, pahad, pahar, sankranti |
By म्यर पहाड़ on July 15, 2010
उत्तराखण्ड की संस्कृति की समृद्धता के विस्तार का कोई अन्त नहीं है, हमारे पुरखों ने सालों पहले जो तीज-त्यौहार और सामान्य जीवन के जो नियम बनाये, उनमें उन्होंने व्यवहारिकता और विज्ञान का भरपूर उपयोग किया था। इसी को चरितार्थ करता उत्तराखण्ड का एक लोक त्यौहार है-हरेला। हरेले का पर्व हमें नई ऋतु के शुरु होने […]
Posted in Culture, Events | Tagged हरेला, aaswin, chaitra, dikare, folk festivals of uttarakhand, garhwal, harela, hariyali, kumaon, nainaital, olgiya, savan, shrawan, uttarakhand |
By म्यर पहाड़ on March 9, 2010
उत्तराखण्ड राज्य में कुमाऊं-गढवाल मण्डल के पहाड़ी क्षेत्र अपनी विशिष्ट लोक परम्पराओं और त्यौहारों को कई शताब्दियों से सहेज रहे हैं| यहाँ प्रचलित कई ऐसे तीज-त्यौहार हैं, जो सिर्फ इस अंचल में ही मनाये जाते हैं. जैसे कृषि से सम्बन्धित त्यौहार हैं हरेला और फूलदेई, माँ पार्वती को अपने गाँव की बेटी मानकर उसके मायके […]
Posted in Culture | Tagged basant, bhitauli, chaitra, culture of uttarakhand, folk festival, folk festivals of uttarakhand, ghughuti, kumaon, tradition |
By म्यर पहाड़ on March 8, 2010
उत्तराखण्ड यूं तो देवभूमि के नाम से दुनिया भर में जाना जाता है, इस सुरम्य प्रदेश की एक और खासियत यह है कि यहां के निवासी बहुत ही त्यौहार प्रेमी होते हैं। जटिल परिस्थितियों, रोज एक नई परेशानी से रुबरु होने, जंगली जानवरों के आतंक और दैवीय आपदाओं से घिरे रहने के बाद भी यहां […]
Posted in Culture, Events | Tagged buransh, fooldai, garhwal, jaunsar, kumaon, phool dayi, phool dei, phool sankrat, sai, sankranti |