By म्यर पहाड़ on July 29, 2020
जिला पिथौरागढ़ की पूर्व दिशा में 36 किलोमीटर दूर काली नदी के किनारे झूलाघाट नाम का कस्बा है। काली नदी हमारे देश भारत और नेपाल के मध्य अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा का कार्य करती है। काली नदी के किनारे हमारे कस्बे को झूलाघाट कहते है। और काली नदी के पार नेपाल के कस्बे को जूलाघाट कहा […]
Full Story »Posted in Personality | Tagged क्वीतड़, चौकोड़ी, टिम्बर किंग, दान सिंह मालदार, देव सिंह फील्ड, पिथौरागढ़, बेरीनाग, बैतड़ी, berinag, ccokori, dan singh maldar, Dev singh ground, dev singh school, dsb campus, Pithoragarh, timber king of india | Leave a response
By म्यर पहाड़ on July 24, 2020
अशोक मल्ल उत्तराखण्डी सिनेमा का एक जाना माना नाम है। उत्तराखण्डी सिनेमा के शुरुआत से वर्तमान तक अशोक मल्ल ने जो तपस्या की, वह अतुलनीय है। 17 अक्टूबर, 1958 को पिथौरागढ के धपड़पट्टा में श्री मोहन सिंह मल्ल और श्रीमती चन्द्रकला देवी जी के घर में इनका जन्म हुआ। मिशन इण्टर कालेज, पिथौरागढ से इण्टर […]
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By म्यर पहाड़ on July 24, 2020
जब भी पौड़ी जाना होता है एक जगह हमेशा अपनी ओर आकर्षित करती रही है। बताती रही है अपनी थाती। कोटद्वार से ऊपर जाने के बाद एक पट्टी शुरू हो जाती है कोडिया। यहीं एक गांव है पाली। बहुत चर्चित। जाना पहचाना। यहां ग्राम सभा द्वारा निर्मित प्रवेश द्वार बताता है कि आप डाॅ. पीताम्बरदत्त […]
Full Story »Posted in Personality | Tagged उत्तराखण्ड, डी०लिट०, पीताम्बर दत्त बड़्थ्वाल, पौड़ी, bhu, first d lit in hindi, pali, pauri, pitambar dutt barthwal, shyam sundar das, uttarakhand | 1 Response
By म्यर पहाड़ on July 8, 2020
वंशीधर पाठक ‘जिज्ञासु’ जी का जन्म अल्मोड़ा जनपद के द्वाराहाट विकासखंड के नहरा, पो. मासर (कफड़ा) गांव में 21 फरवरी 1934 को हुआ। बहुत छोटी उम्र में ही वे अपने पिता के साथ देहरादून चले गये। यही उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। कुछ समय बाद वे पिता के साथ दिल्ली चले गये। इसके बाद […]
Full Story »Posted in Personality | Tagged aakasvani, आकाशवाणी, उत्तराखण्ड, उत्तरायण, चारु तिवारी, द्वाराहाट, रेडियो के कार्यक्रम, लखनऊ, वंशीधर पाठक जिग्यासु, charu tiwari, dwarahat, jigyasu, lucknow, shimla, uttarakhand, vanshidhar pathak | 2 Responses
By म्यर पहाड़ on May 8, 2020
श्री चन्दर सिंह बसेड़ा का जन्म १८७० के आस-पास पिथौरागढ जिले के भण्डारीगांव, देवलथल में हुआ था। अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह सेना में भर्ती हो गये थे, उस समय प्रथम विश्व युद्ध लगभग अन्तिम चरण पर था, ब्रिटिश सेनायें अन्तिम दम तक लड़कर जर्मन और तुर्क सेनाओं को पछाड़ने का प्रयास […]
Full Story »Posted in हमारी बात, Personality | Tagged कुमाऊं रेजीमेण्ट, देवलथल, भण्डारीगांव, dewalthal, founder of kumaon regiment, krc, kumaon regiment, kumaon rifels | 11 Responses
By म्यर पहाड़ on October 23, 2019
उत्तम सिंह सामन्त (जिन्हें अंग्रेज अधिकारियों द्वारा क्षत्रिय कहा गया था) ग्राम उड़ई, देवलथल, जनपद पिथौरागढ़ के रहने वाले थे। इनका जन्म १९०८ में हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध का सूरमा, अपनी श्रेणी का अकेला राजभक्त, युद्ध क्षेत्र में अपूर्व शौर्य प्रदर्शन के लिये “मार्शल क्रास” और “मिलेट्री क्रास इन वार” सम्मान से सम्मानित। १६ अप्रैल, […]
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By म्यर पहाड़ on October 15, 2019
किसी ज़माने में रेडियो सेट से गूँजता ये स्वर घर-घर का जाना-पहचाना होता था। ये थे देवकीनंदन पाण्डे अपने ज़माने के जाने-माने समाचार वाचक। अपने जीवन काल में ही पाण्डेजी समाचार वाचन की एक संस्था बन गए थे। उनके समाचार पढ़ने का अंदाज़, उच्चारण की शुद्धता, स्वर की गंभीरता और गुरुता और प्रसंग अनुरूप उतार-चढ़ाव […]
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By म्यर पहाड़ on October 15, 2019
डा० डी०डी० पन्त, जिनका पूरा नाम देवी दत्त पन्त था, उनका जन्म आज के पिथौरागढ जिले के गणाईगंगोली से आगे बनकोट के पास एक गांव देवराड़ी पन्त में 14 अगस्त, 1919 को श्री अम्बा दत्त पन्त जी के घर जन्म हुआ। इनके पिता एक वैद्य थे, कुशाग्र बुद्धि के पन्त जी को हाईस्कूल के लिये […]
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By म्यर पहाड़ on October 14, 2019
उत्तर प्रदेश की विधान सभा में उत्तराखण्ड के क्षेत्रीय दल उत्तराखण्ड क्रान्ति दल से दो बार सदस्य रहे स्व० श्री जसवंत सिंह बिष्ट एक प्रखर समाजवादी व्यतित्व थे। इस साल उनकी पुण्यतिथि पर उनको याद करते हुये उनके अनन्य सहयोगी रहे वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी श्री श्याम सिंह रावत जी का आलेख गाथा एक गांधीवादी […]
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By म्यर पहाड़ on August 24, 2018
मकर संक्रान्ति का त्यौहार वैसे तो पूरे भारत वर्ष में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है और यही त्यौहार हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम और तरीके से मनाया जाता है। इस त्यौहार को हमारे उत्तराखण्ड में “उत्तरायणी” के नाम से मनाया जाता है। कुमाऊं में यह त्यौहार घुघुतिया के नाम से […]
Full Story »Posted in हमारी बात, Culture | Tagged उत्तरायणी, उत्तरैणी, कुमाऊं, घुघूतिया, घूघुती, बागेश्वर, bageshwar, ghughuti, ghughutiya, kumaon, makar sankranti, uttarayani | Leave a response
By म्यर पहाड़ on May 14, 2018
उत्तराखण्ड के पहाड़ में पहले खेलों के लिये पर्याप्त साधन नहीं थे, बच्चे स्थानीय संसाधनों पर खेल बनाकर खेला करते थे, जो आज प्रचलित नहीं हैं। आज कम्प्यूटर और स्मार्ट फोन के युग में यह खेल कहीं खो से गये हैं, लेकिन खेलों में भी पहाड़ की स्थानीयता बनी रही है, इस लेख से माध्यम […]
Posted in Culture, Nature | Tagged अड्डू, उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड के लोक खेल, घुच्ची, ठिणी दाबुली, दाणि, पहाड़, पांछ, बाघ बकरी, chucchi, folk games of uttarakhand, thini dabuli, uttarakhand | 2 Responses
By म्यर पहाड़ on May 4, 2018
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार हमारे जीवन में सोलह संस्कार होते हैं, जीवन के विभिन्न संस्कारों से संबंधित गीत हमारे उत्तराखण्डी समाज में भरे पड़े हैं, जिन्हें शकुन आंखर, मांगल गीत, फाग या संस्कार गीत कहा जाता है। जन्म से लेकर विवाह तक नामकरण, छठी, ब्रतबंद, गणेश वंदना, मातृका पूजन, जनेऊ संस्कार, कन्यादान आदि गीत हमारे […]
Posted in हमारी बात, Culture | Tagged कुमाऊं, गढवाल, फाग, मांगल गीत, शकुन आंखर, संस्कार गीत, ceremonial song of uttarakahand, mangal geet, shakun aankhar | 2 Responses
By म्यर पहाड़ on March 22, 2018
उत्तराखण्ड की अपनी एक समृद्ध और गौरवशाली सांस्कृतिक परम्परा है। किसी भी सभ्यता और संस्कृति के लिये जरुरी है उनकी सांस्कृतिक गतिविधिया और इनके लिये आवश्यक होते हैं सुर और ताल, सुर जहां कंठ से निकलते हैं वहीं ताल के लिये वाद्य यंत्रों की आवश्यकता होती है। हमारे पुरखों ने स्थानीय सुरों के आधार पर […]
Posted in Culture, Travel | Tagged Algoja, उत्तराखण्ड के लोक वाद्य, छपेली, जागर, जौंया मुरुली, डौंर, तुतुरी, बिणाई, मशकबीन, रणसिंघा, हुडका, hudka, morchang, Musical Instrument of Uttarakhand | 3 Responses
By म्यर पहाड़ on February 21, 2018
पर्वतीय क्षेत्र में आटा पीसने की पनचक्की का उपयोग अत्यन्त प्राचीन है। पानी से चलने के कारण इसे “घट’ या “घराट’ कहते हैं। पनचक्कियाँ प्राय: सदानीरा नदियों के तट पर बनाई जाती हैं। गूल द्वारा नदी से पानी लेकर उसे लकड़ी के पनाले में प्रवाहित किया जाता है जिससे पानी में तेज प्रवाह उत्पन्न हो […]
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By म्यर पहाड़ on October 13, 2010
भगवान राम की कथा पर आधारित रामलीला नाटक के मंचन की परंपरा भारत में युगों से चली आयी है। लोक नाट्य के रुप में प्रचलित इस रामलीला का देश के विविध प्रान्तों में अलग अलग तरीकों से मंचन किया जाता है। उत्तराखण्ड खासकर कुमायूं अंचल में रामलीला मुख्यतया गीत-नाट्य शैली में प्रस्तुत की जाती है। […]
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By म्यर पहाड़ on September 10, 2010
उत्तराखण्ड में प्रारम्भ से ही कृषि और पशुपालन आजीविका का मुख्य स्रोत रहा है। जटिल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण व्यापार की संभावनाएं नगण्य थीं, लेकिन कम उपजाऊ जमीन होने के बावजूद कृषि और पशुपालन ही जीवनयापन के प्रमुख आधार थे। आज भी कृषि और पशुपालन से सम्बन्धित कई पारम्परिक लोक परम्पराएं और तीज-त्यौहार पहाड़ के […]
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By म्यर पहाड़ on August 31, 2010
Uttarakhand is well known for its ancient culture. In its daily life animals, birds, fields all basic amenities of human life is given utmost importance. Gods and Goddess are treated like family members and given a prestigious position in the family people treat Gods and Goddesses as their own and gives them a high and […]
Posted in हमारी बात, Culture | Tagged aathon, आठूं, खेल, गमरा, बिरुड़, महेशर, सातूं, सातों, हिलजातरा, bageshwar, birud, gamara, gaura, hil jatra, hill jatra, maheshar, maheshwar, Pithoragarh, saton | 20 Responses
By म्यर पहाड़ on August 12, 2010
उत्तराखण्ड एक कृषि प्रधान राज्य है, आदिकाल से यहां की सभ्यता जल, जंगल और जमीन से प्राप्त संसाधनों पर आधारित रही है। जिसकी पुष्टि यहां के लोक त्यौहार करते हैं, प्रकृति और कृषि का यहां के लोक जीवन में बहुत महत्व है, जिसे यहां की सभ्यता अपने लोक त्यौहारों के माध्यम से प्रदर्शित करती है। […]
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By म्यर पहाड़ on July 15, 2010
उत्तराखण्ड की संस्कृति की समृद्धता के विस्तार का कोई अन्त नहीं है, हमारे पुरखों ने सालों पहले जो तीज-त्यौहार और सामान्य जीवन के जो नियम बनाये, उनमें उन्होंने व्यवहारिकता और विज्ञान का भरपूर उपयोग किया था। इसी को चरितार्थ करता उत्तराखण्ड का एक लोक त्यौहार है-हरेला। हरेले का पर्व हमें नई ऋतु के शुरु होने […]
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By म्यर पहाड़ on March 9, 2010
उत्तराखण्ड राज्य में कुमाऊं-गढवाल मण्डल के पहाड़ी क्षेत्र अपनी विशिष्ट लोक परम्पराओं और त्यौहारों को कई शताब्दियों से सहेज रहे हैं| यहाँ प्रचलित कई ऐसे तीज-त्यौहार हैं, जो सिर्फ इस अंचल में ही मनाये जाते हैं. जैसे कृषि से सम्बन्धित त्यौहार हैं हरेला और फूलदेई, माँ पार्वती को अपने गाँव की बेटी मानकर उसके मायके […]
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By म्यर पहाड़ on March 8, 2010
उत्तराखण्ड यूं तो देवभूमि के नाम से दुनिया भर में जाना जाता है, इस सुरम्य प्रदेश की एक और खासियत यह है कि यहां के निवासी बहुत ही त्यौहार प्रेमी होते हैं। जटिल परिस्थितियों, रोज एक नई परेशानी से रुबरु होने, जंगली जानवरों के आतंक और दैवीय आपदाओं से घिरे रहने के बाद भी यहां […]
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