It is very easy to feel the proximity with God, at Purnagiri, Situated at the awe-inspiring height of 3000 m above sea level, 22 km’s from Tanakpur, 171 km’s from Pithoragarh and 95 kms from Champawat. It’s on the right bank of the river Kali, and is one of the 108 Siddha Peeths. A numbers of fairs take place here during Navaratras, when devotees in a large number come from surrounding areas to have a darshan and worship the goddess Purnagiri creating an atmosphere of spirituality. The fair starts from Vishuwat Sankranti and continues for about forty days.
The temple is visited by thousands of devotees, particularly during the occasion of Chaitra Navratri, between March and April. It is from here that the river kali descends into the plains. For visiting this shrine one can go up to Thuligarh by vehicles. From this point onwards one has to trek the rest of the way. After the ascent of Bans Ki Charhai (बांस की चढ़ाई) comes Hanuman Chatti. The southwestern part of ‘Punya Parvat’ (पुण्य पर्वत) can be seen from this place. Another ascent ends at the TRC of Tanki. The region of temporary shops and residential huts start from this place up to Tunyas. From the highest point of Purnagiri hill one gets the beautiful view of the river Kali, its islands, the townships of Tanakpur and a few Nepali villages. After worshiping Mata Purnagiri, people also pay their tributes to her loyal devotee Baba Siddh nath at Brahmadev and Mahendra Nagar in Nepal.
How To Reach
Air- Nearest Airport is at Pant Nagar, 121 km’s (Via Sitarganj-Nanakmatta-Khatima) away.
Rail- Nearest rail head is at Tanakpur, 22 km’s away.
Road- Motarable road up to Tunyas, 19 km’s from Tanakapur. From here a 3 km trek to Purnagiri.
माँ पूर्णागिरि का महातम्य
चीन, नेपाल और तिब्बत की सीमाओं से घिरे सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण चंपावत जिले के प्रवेशद्वार टनकपुरसे 19किलोमीटर दूर स्थित यह शक्तिपीठ मां भगवती की 108सिद्धपीठोंमें से एक है। तीन ओर से वनाच्छादित पर्वत शिखरों एवं प्रकृति की मनोहारी छटा के बीच कल-कल करती सात धाराओं वाली शारदा नदी के तट पर बसा टनकपुर नगर मां पूर्णागिरि के दरबार में आने वाले यात्रियों का मुख्य पडाव है। इस शक्तिपीठ में पूजा के लिए वर्ष-भर यात्री आते-जाते रहते हैं किंतु चैत्र मास की नवरात्र में यहां मां के दर्शन का इसका विशेष महत्व बढ जाता है। मां पूर्णागिरि का शैल शिखर अनेक पौराणिक गाथाओं को अपने अतीत में समेटे हुए है। पहले यहां चैत्र मास के नवरात्रियों के दौरान ही कुछ समय के लिए मेला लगता था किंतु मां के प्रति श्रद्धालुओं की बढती आस्था के कारण अब यहां वर्ष-भर भक्तों का सैलाब उमडता है।
मां पूर्णागिरि में भावनाओं की अभिव्यक्ति और शक्ति के प्रति अटूट आस्था का प्रदर्शन होता है। पौराणिक गाथाओं एवं शिव पुराण रुद्र संहिता के अनुसार जब सती जी के आत्मदाह के पश्चात भगवान शंकर तांडव करते हुए यज्ञ कुंड से सती के शरीर को लेकर आकाश मार्ग में विचरण करने लगे। विष्णु भगवान ने तांडव नृत्य को देखकर सती के शरीर के अंग पृथक कर दिए जो आकाश मार्ग से विभिन्न स्थानों में गिरे। कथा के अनुसार जहां जहां देवी के अंग गिरे वही स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गए।
मां सती का नाभि अंग अन्नपूर्णा शिखर पर गिरा जो पूर्णागिरि के नाम से विख्यात् हुआ तथा देश की चारों दिशाओं में स्थित मल्लिका गिरि,कालिका गिरि,हमला गिरि व पूर्णागिरि में इस पावन स्थल पूर्णागिरि को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ। देवी भागवत और स्कंद पुराण तथा चूणामणिज्ञानाणव आदि ग्रंथों में शक्ति मां सरस्वती के 51,71 तथा 108 पीठों के दर्शन सहित इस प्राचीन सिद्धपीठ का भी वर्णन है जहां एक चकोर इस सिद्ध पीठ की तीन बार परिक्रमा कर राज सिंहासन पर बैठा।
पुराणों के अनुसार महाभारत काल में प्राचीन ब्रह्माकुंडके निकट पांडवों द्वारा देवी भगवती की आराधना तथा बह्मादेव मंडी में सृष्टिकर्ता ब्रह्मा द्वारा आयोजित विशाल यज्ञ में एकत्रित अपार सोने से यहां सोने का पर्वत बन गया। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रियोंमें देवी के दर्शन से व्यक्ति महान पुण्य का भागीदार बनता है। देवी सप्तसती में इस बात का उल्लेख है कि नवरात्रियों में वार्षिक महापूजा के अवसर पर जो व्यक्ति देवी के महत्व की शक्ति निष्ठापूर्वक सुनेगा वह व्यक्ति सभी बाधाओं से मुक्त होकर धन-धान्य से संपन्न होगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां यह भी उल्लेखनीय है कि एक बार एक संतान विहीन सेठ को देवी ने स्वप्न में कहा कि मेरे दर्शन के बाद ही तुम्हें पुत्र प्राप्त होगा। सेठ ने मां पूर्णागिरि के दर्शन किए और कहा कि यदि उसे पुत्र प्राप्त हुआ तो वह देवी के लिए सोने का मंदिर बनवाएगा। मनौती पूरी होने पर सेठ ने लालच कर सोने के स्थान पर तांबे के मंदिर में सोने का पालिश लगाकर जब उसे देवी को अर्पित करने के लिए मंदिर की ओर आने लगा तो टुन्यास नामक स्थान पर पहुंचकर वह उक्त तांबे का मंदिर आगे नहीं ले जा सका तथा इस मंदिर को इसी स्थान पर रखना पडा। आज भी यह तांबे का मंदिर झूठे का मंदिर के नाम से जाना जाता है।
कहा जाता है कि एक बार एक साधु ने अनावश्यक रूप से मां पूर्णागिरि के उच्च शिखर पर पहुंचने की कोशिश की तो मां ने रुष्ट होकर उसे शारदा नदी के उस पार फेंक दिया किंतु दयालु मां ने इस संत को सिद्ध बाबा के नाम से विख्यात कर उसे आशीर्वाद दिया कि जो व्यक्ति मेरे दर्शन करेगा वह उसके बाद तुम्हारे दर्शन भी करने आएगा। जिससे उसकी मनौती पूर्ण होगी। कुमाऊं के लोग आज भी सिद्धबाबा के नाम से मोटी रोटी [रोट] बनाकर सिद्धबाबाको अर्पित करते हैं। यहां यह भी मान्यता है कि मां के प्रति सच्ची श्रद्धा तथा आस्था लेकर आया उपासक अपनी मनोकामना पूर्ण करता है, इसलिए मंदिर परिसर में ही घास में गांठ बांधकर मनौतियां पूरी होने पर दूसरी बार देवी दर्शन लाभ का संकल्प लेकर गांठ खोलते हैं। यह परंपरा यहां वर्षो से चली आ रही है। यहां छोटे बच्चों का मुंडन कराना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
कहा जाता है कि इस धार्मिक स्थल पर मुंडन कराने पर बच्चा दीर्घायु और बुद्धिमान होता है। इसलिए इसकी विशेष महत्ता है। यहां प्रसिद्ध वन्याविद तथा आखेट प्रेमी जिम कार्बेट ने सन् 1927 में विश्राम कर अपनी यात्रा में पूर्णागिरिके प्रकाशपुंजों को स्वयं देखकर इस देवी शक्ति के चमत्कार का देशी व विदेशी अखबारों में उल्लेख कर इस पवित्र स्थल को काफी ख्याति प्रदान की।
Where To Stay
- KMVN Tourist Rest House, Tanki, Purnagiri.
For all basic amenities, Tanakpur is the place to visit.
What to See
A beautiful temple dedicated to goddess ‘Purnagiri’. An awe inspiring and spiritual experience that harmonizes our mind, body and soul. Rallies of devotees that climb up the mountains sing hymns and prayers to devi Purnagiri, in order to seek her blessings.
Beyond Purnagiri
Tanakpur- About 22 km’s from Purnagiri, Tanakpur is a calm and small town located is a calm and small town located on riverside of Sharda River. It is Located at the foothills and is the last plain area on the road to Kumaon zone of Uttarakhand. It acts as a junction for the Kumaon Zone’s mountainous region. It is also the first point in the Kailash-Mansarovar pilgrimage.
Champawat- Champawat offers the tourists virtually everything they expect from nature, raging from pleasant climate to varied wildlife and good places to trek. Champawat was the capital of the Kumaon rulers for a very long time. The historical ruins of the fort of the chand rulars can bee seen here in Champawat. The Baleswar and Rataneshwar temples, which display the exquisite works of carvings, are also situated in this town.
Pithoragarh- This easternmost hill district of the Uttarakhand is often referred as ‘Miniature Kashmir’. The district of Pithoragarh came into being in 1960 when it was carved out of the district of Almora. It borders with China (Tibet) on the north and Nepal on the east.
For More visit Mera Pahad Forum
[…] माँ पूर्णागिरी धाम का मेला दो मार्च को प्रारम्भ हो गया। […]
mer nam manoj kumar murya he me purnagiri ma ke darshan karne navratr atahu ma puranagiri ma ki jay
jay maa purnagiri, my name is rajeev i go to in a every years and date of 31st december to worship in Maa purnagiri temple.
Jay Mata Di,
mae kuldeep mishra orai jalaun up ka rahne wala hu.mere maa baap maa purnagirai devi ke darshan ko hamesha aate hae.
mujhe yaad hae jab mae 10year ka tha to mere father yahna aane ke liye taiyar the us samay mujhe bahut tez bukhar tha.lekin mere jid karne per mere father ne mujhe or meri choti sister sath mae maa ke darshan ko liwalaye , jaise hi mae or meri sister maa ke mandir per pahuche vaise hi hamara bukhar uter gaya. tab se mere man mae Maa Purnagiri Devi ke liye sraddha-bhakti bad gayi. ye hae meri maa PURNAGIRI Devi ka chamatkar.
“PREM SE BOLO JAI MAA PURNAGIRI KI”
Kuldeep Mishra Orai(Jalaun)UP
priy bhactjan,
mae Dinesh mishra orai jalaun up ka niwasi hu.mae devi maa ke darshsan ke liye har warsh yahna ata hu.
unhi ki krapa se hum apna jeevan sukh may yapan kar rahe he.
” prem se bolo jai mata ki”
JAI MA PURNAGIRI JI KI,
jai maa purnagiri\
jai mata ki
jai maa purnagiri,
Jai Purnagiri Mata
jai ma punagiri…………………
jai ma punagiri
priya bhaktjan , maa purnagiri ke darshan se har manokamna purna hoti hai jai maa purnagiri
prem se bolo jai mata ki sare bolo jai mata ki net bale bhaiya jai mata ki sab bolo jai mata ki
Jai mata di…
…..
prem se bolo jai mata ki sare bolo jai mata ki net bale bhaiya jai mata ki sab bolo jai mata ki
jai mata di
sabjan bole jai mata ki
jai maa
jai maa punnigiri jay ho jai ho………….
jai ma purnagiri
My name is Dinesh chandra i to to maa purnagiri darshan every year with family
Purnagiri mata ki jai…………
JAY MATA DI
DIL SE BOLO JAY MAA PURNAGIRI
Ma shero wali jai mata Di ma jagat kalyani jai mata Di Sab mil bolo jai mata Di
jay mata di
maa purnagiri Devi sabki murade puree karti hai dil/prem se bolo jay purnagiri mata ki jay
Ma purnagiri devi ki Jay Always
Jai mata ke sbi devotees ke mnokamna purn krna maa
jai maa purnagiri meri v mnokamna purn kro he mata ..aur apne drsn.krne.ka ek bar fir saubagy prapt kro he mata h …Teri jai ho
Namaskar Friends
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I am azeem Khan from Shahjahanpur UP. Meri Bahut Tamanna thi ki main Purnagiri Temple dekhu. Many time I saw it in my dream. When First time I go There I take many photograph. I saw mata’s Akhand Jyoti but when i see it I am unable to understad or recogize it. after returning when I read about Akhand Jyoti in a book then I understad it was Mata’s blessing on me in the form of jyoti. I see it in Daylight also I have this Photograph also.
I like Purnagiri Mata & Garjiaya Mata ramnagar.
Jay Mata di
jay maa purnagiri mai to 3 year se yaha jata hu aour mujhe bahut accha lagta hai mai up ka rahne wala hu aour hum yaha se bisycal se jate hai nepal ho kar humare yaha se 100km padhta hai yaha par pahad ka sundar2 drishya dekhne ko milta hai jo apne aap mai adbhut hai jai maata di