गिर्दा का जाना एक युग का अवसान है
विगत २२ अगस्त, २०१० को हमारे गिर्दा हमसे हमेशा के लिये दूर चले गये। गिरीश चन्द्र तिवारी उर्फ गिर्दा मेरा पहाड़ परिवार के लिये एक अभिभावक की तरह थे, उनके जाने से हमने अपने अभिभावक को खो दिया है। उत्तराखण्ड की संस्कृति या आन्दोलनों पर जैसे ही हम कोई लेख तैयार कर रहे होते तो किसी चीज […]
घी-त्यार : उत्तराखण्ड का एक लोक उत्सव
उत्तराखण्ड एक कृषि प्रधान राज्य है, आदिकाल से यहां की सभ्यता जल, जंगल और जमीन से प्राप्त संसाधनों पर आधारित रही है। जिसकी पुष्टि यहां के लोक त्यौहार करते हैं, प्रकृति और कृषि का यहां के लोक जीवन में बहुत महत्व है, जिसे यहां की सभ्यता अपने लोक त्यौहारों के माध्यम से प्रदर्शित करती है। […]