लिपि कला नहीं विज्ञान है- एक आविष्कार है
(उत्तराखण्ड में स्थानीय भाषाओं को लेकर एक नई बहस शुरू हुई है। स्थानीय जरूरतों और विकास के लिए इसको प्रोत्साहन देने की टुकड़ों में बातें होती रही हैं। राज्य में बोली जाने वाली मुख्यत: तीन बोलियों कुमाऊनी, गढ़वाली और जौनसारी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की बात भी उठती रही है। इन […]
गिर्दा का जाना एक युग का अवसान है
विगत २२ अगस्त, २०१० को हमारे गिर्दा हमसे हमेशा के लिये दूर चले गये। गिरीश चन्द्र तिवारी उर्फ गिर्दा मेरा पहाड़ परिवार के लिये एक अभिभावक की तरह थे, उनके जाने से हमने अपने अभिभावक को खो दिया है। उत्तराखण्ड की संस्कृति या आन्दोलनों पर जैसे ही हम कोई लेख तैयार कर रहे होते तो किसी चीज […]
Gumani Pant : An Unknown But Great Poet From Uttarakhand
कवि गुमानी पन्त जी का जन्म विक्रत संवत् १८४७, कुमांर्क गते २७, बुधवार, फरवरी १७९० को काशीपुर में हुआ था, इनका पैतृक निवास स्थान ग्राम-उपराड़ा, गंगोलीहाट, पिथौरागढ़ था। इनका मूल नाम लोकनाथ पन्त था। कहते हैं कि काशीपुर के महाराजा गुमान सिंह की सभा में राजकवि रहने के कारण इनका नाम लोकरत्न “गुमानी” पड़ा और […]