उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ राजà¥à¤¯ में कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚-गढवाल मणà¥à¤¡à¤² के पहाड़ी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° अपनी विशिषà¥à¤Ÿ लोक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं और तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को कई शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से सहेज रहे हैं| यहाठपà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ कई à¤à¤¸à¥‡ तीज-तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हैं, जो सिरà¥à¤« इस अंचल में ही मनाये जाते हैं. जैसे कृषि से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हैं हरेला और फूलदेई, माठपारà¥à¤µà¤¤à¥€ को अपने गाà¤à¤µ की बेटी मानकर उसके मायके पहà¥à¤‚चा कर आने की परंपरा “ननà¥à¤¦à¤¾à¤¦à¥‡à¤µà¥€ राजजात”, मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के अवसर पर मनाये जाने वाला घà¥à¤˜à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° आदि.
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की à¤à¤¸à¥€ ही à¤à¤• विशिषà¥à¤Ÿ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है “à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€”. à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€ का शाबà¥à¤¦à¤¿à¤• अरà¥à¤¥ है – à¤à¥‡à¤‚ट (मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤) करना. पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• विवाहित लड़की के मायके वाले (à¤à¤¾à¤ˆ, माता-पिता या अनà¥à¤¯ परिजन) चैतà¥à¤° के महीने में उसके ससà¥à¤°à¤¾à¤² जाकर विवाहिता से मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ करते हैं. इस अवसर पर वह अपनी लड़की के लिये घर में बने वà¥à¤¯à¤‚जन जैसे खजूर (आटे + दूध + घी + चीनी का मिशà¥à¤°à¤£), खीर, मिठाई, फल तथा वसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿ लेकर जाते हैं. शादी के बाद की पहली à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€ कनà¥à¤¯à¤¾ को वैशाख के महीने में दी जाती है और उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ हर वरà¥à¤· चैतà¥à¤° मास में दी जाती है. यह à¤à¤• अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ ही à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है. लड़की चाहे कितने ही समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ परिवार में बà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¥€ गई हो उसे अपने मायके से आने वाली “à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€” का हर वरà¥à¤· बेसबà¥à¤°à¥€ से इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° रहता है. इस वारà¥à¤·à¤¿à¤• सौगात में उपहार सà¥à¤µà¤°à¥‚प दी जाने वाली वसà¥à¤¤à¥à¤“ं के साथ ही उसके साथ जà¥à¥œà¥€ कई अदृशà¥à¤¯ शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤‚, आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ और ढेर सारा पà¥à¤¯à¤¾à¤°-दà¥à¤²à¤¾à¤° विवाहिता तक पहà¥à¤‚च जाता है.
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की महिलाà¤à¤‚ यहाठके सामाजिक ताने-बाने की महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ धà¥à¤°à¥€ हैं. घर-परिवार संà¤à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ के साथ ही पहाड़ की महिलाà¤à¤‚ पशà¥à¤“ं के चारे और ईंधन के लिये खेतों-जंगलों में अथक मेहनत करती हैं. इतनी à¤à¤¾à¤°à¥€ जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ उठाने के साथ ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने जीवनसाथी का साथ à¤à¥€ बहà¥à¤¤ सीमित समय के लिये ही मिल पाता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि पहाड़ के अधिकांश पà¥à¤°à¥à¤· रोजी-रोटी की तलाश में देश के अनà¥à¤¯ हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में पलायन करने के लिये मजबूर हैं. इस तरह की बोà¤à¤¿à¤² जिनà¥à¤¦à¤—ी निà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ पहाड़ की विवाहित महिलाà¤à¤‚ इन सà¤à¥€ दà¥à¤–ों के साथ ही अपने मायके का विछोह à¤à¥€ अपना दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ समठकर किसी तरह à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥‡ लगती हैं. लेकिन जब पहाड़ों में पतà¤à¥œ समापà¥à¤¤ होने के बाद पेड़ों में नये पतà¥à¤¤à¥‡ पलà¥à¤²à¤µà¤¿à¤¤ होने लगते हैं और चारों ओर बà¥à¤°à¤¾à¤‚श व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के जंगली फूल खिलने लगते हैं तब इन महिलाओं को अपने मायके के बारे में सोचने का अवकाश मिलता है. इस समय खेतों में काम का बोठà¤à¥€ अपेकà¥à¤·à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ थोड़ा कम रहता है और महिलाà¤à¤‚ मायके की तरफ से माता-पिता या à¤à¤¾à¤ˆ के हाथों आने वाली “à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€” और मायके की तरफ के कà¥à¤¶à¤²-मंगल के समाचारों का बेसबà¥à¤°à¥€ से इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° करने लगती हैं. इस इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° को लोक गायकों ने लोक गीतों के माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ किया है, “न बासा घà¥à¤˜à¥à¤¤à¥€ चैत की, याद ठजांछी मिकें मैत कीâ€à¥¤
जब महिला के मायके से “à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€” लेकर उसके माता-पिता, à¤à¤¾à¤ˆ-à¤à¤¤à¥€à¤œà¥‡ पहà¥à¤‚चते हैं तो घर में à¤à¤• तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° का माहौल बन जाता है. उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लायी गई सामगà¥à¤°à¥€ को पड़ोस के लोगों में बांटा जाता है. शाम को “à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€” पकाई जाती है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ खीर, पूरी, हलवा आदि पकवान बनते हैं और इसे खाने के लिये à¤à¥€ गांव-पड़ोस के लोगों को आमनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤ किया जाता है. इस तरह यह परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ पारिवारिक न रहकर सामाजिक à¤à¤•à¤œà¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ का à¤à¤• छोटा सा आयोजन बन जाती है.
वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय में हालांकि दूरसंचार के माधà¥à¤¯à¤®à¥‹à¤‚ और परिवहन के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में उपलबà¥à¤§ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं की बदौलत दूरियां काफी सिमट चà¥à¤•à¥€ हैं लेकिन à¤à¤• विवाहिता के दिल में मायके के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ संवेदनाà¤à¤‚ और à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ शायद ही कà¤à¥€ बदल पायेंगी. इसीलिये सदियों से चली आ रही यह परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ आज à¤à¥€ पहले की तरह ही कायम है. शहरों में रह रहे नये पीढी के लोग अब “वेलेनà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤¨ डे”, “रोज डे”, “मदरà¥à¤¸-फादरà¥à¤¸ डे” जैसे पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के ढकोसले à¤à¤°à¥‡ औपचारिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं की तरफ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ होने लगे हैं. à¤à¤¸à¥‡ में इस बात की सखà¥à¤¤ जरूरत है कि हम अपनी इस विशिषà¥à¤Ÿ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ को औपचारिकताओं से ऊपर उठकर अपनाà¤à¤‚. आज बशरà¥à¤¤à¥‡ शहरों में रह रहे लोग अपनी बहनों को मनीआरà¥à¤¡à¤° या कोई उपहार à¤à¥‡à¤œà¤•à¤° ही “à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€” की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ का निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ कर लेते हों, लेकिन गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में अà¤à¥€ à¤à¥€ “à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€” सिरà¥à¤« à¤à¤• रिवाज ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• विवाहिता के लिये अपने मायके से जà¥à¥œà¥€ यादों को समेटकर रखने का à¤à¤• वारà¥à¤·à¤¿à¤• आयोजन है.
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इस लोक तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° के बारे में अधिक जानकारी (पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ विवरण, लोक गाथाओं, लोक गीतों) के लिये मेरा पहाड़ फोरम पर पधारें।
à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€ का महीना आ गया है, मेरा सà¤à¥€ à¤à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ से निवेदन है कि पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ में, नौकरी की वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¤¤à¤¾ से कà¥à¤› समय निकालकर अपनी बहनों को à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€ के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª कà¥à¤› धनराशि जरà¥à¤° à¤à¥‡à¤œ दें। à¤à¤¸à¤¾ न करें कि अà¤à¥€ रकà¥à¤·à¤¾ बंधन आयेगा, उसी समय दोनों का इकटà¥à¤ ा दे देंगे।
अगर उसे समय पर à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€ या à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€ के पैसे मिलेंगे, तà¤à¥€ वह इसे महसूस कर पायेगी, इसे थोड़ा à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ देखें कि यदि राखी पर बहन राखी न à¤à¥‡à¤œà¥‡ और à¤à¥ˆà¤¯à¤¾à¤¦à¥‚ज को ही चà¥à¤¯à¥‚ड़े के साथ राखी à¤à¥€ बांध दे तो आपको कà¥à¤› अजीब सा लगेगा न? à¤à¤¸à¤¾ ही उस बेचारी को à¤à¥€ लगता होगा।
………पà¥à¤°à¤¾à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¿à¤• गोद में बसन वाल कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤ अपॠअलग ही पहचान छू | कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤ रीती रिवाज ,परंपरा को सब लोगोन तक पहà¥à¤šà¤¨ लिजी मà¥à¤¯à¤¾à¤° तरफ बटी हारà¥à¤¦à¤¿à¤• शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ ………………
Hamar dasol badiyar bahut bahut sunder chh… Gari chali ghur ghura pahad lane ma nainital ghum ula maruti ven ma hamar pahad good
मà¥à¤¯à¤¾à¤° उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड à¤à¤¾à¤ˆ-बहिनोठआज फूलदेई क तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° छै सब लोगोठकै मà¥à¤¯à¤¾à¤° तरफ बै खूब-खूब हारà¥à¤¦à¤¿à¤• बधाई आज दिनांक 14मारà¥à¤š2012 अपने देश के बारे मै निमà¥à¤¨ पंकà¥à¤¤à¤¿-work wile you work,ply while you ply,that is the way,to be happy and gay. PANKAJ LOVIYAL VILL.DASHAULA BADIYAR (ALMORA)
yo aayo rangeelo chait ghughuti ghuraili…tau izu ki yaad alli ro ali turuk…
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JI raya jagi RYA yo din yo mass bhetana raya
अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° है