Uttarakhand Encyclopedia : उत्तराखण्ड ज्ञानकोष अपना उत्तराखण्ड आइये, जाने, समझें और जुडें अपने पहाड़ से, अपने उत्तराखण्ड से मेरा पहाड़ फोरम तब नहीं तो अब गैरसैंण, अब नहीं तो कब गैरसैंण राजधानी से कम मंजूर नहीं

41 responses to “पशुधन की कुशलता की कामना का पर्व “खतडुवा””

  1. chetan

    thnx… for telling d true story bout khatdwa…till now i was also having d misconception of it being celebration of winning fight frm som ruler of gharwal.

  2. हेम पन्त

    सामान्यत: यह पर्व 17 सितम्बर को पड़ता है.. इस साल भी खतड़ुआ पर्व 17 सितम्बर को मनाया जायेगा..

  3. M S Mehta

    This is very -2 exclusive article by Hem Ji. Good job. I am sure all readers will like this.

  4. suresh kandpal

    Dear Pant ji,
    Aap samay samay per itni sari jaankariyan dete rahte ho jis ke karan hum sabhi logon ko update hota rahta hai.
    kya aap kumaun ki itihas arrange karva sakte ho?
    i will be very thankful to you and wish very best of health and wealth for forever.

  5. मुकेश तिवारी

    इस पर्व का वास्तविक रुप सभी के सामने लाने के लिये कोटिशः धन्यवाद। हम सभी को भ्रान्तियां दूर कर लोक पर्वों को पुरातन परम्परा के अनुसार मनाया ही जाना चाहिये।

  6. Renu Karki

    The whole team of “Mera Pahad” deserves due recognition for their fervent efforts being put by them to bring wide awareness amongst populace of the country about our heritage, rich and varied culture.My deep appreciation to all of you.

  7. Jagat Singh

    Hem ji. Dhanyawad. Khatoduwa bare mai itna kuch batane ke liye.

  8. ASHOK NAYAL

    Thanks HEMU BHAI for useful info, keep it up

  9. Saroj Anand Joshi

    Pant Ji ,
    Bhotai Badiya Lekhichh Tumule ” Khatarwa Ka baar mai ” Great job done” Hare Hara !

  10. kripal singh bhakuni

    khateduwa song bhello ti bhello khtedua bhello gaay ki jeet khteduwa ki haar.

  11. sanjupahari

    Hem Ji,

    Bahut badiya….aapke likhoon ko padke garv hota hai ki hum aapke mitr hain. Bahut badiya….

    Aaapko Khatauwa ki dher saari badhayiyaan.

  12. AKASH RAWAT mammu

    Great job sir……….
    I need more fact & festivals related with animals & birds.

  13. sadhu singh karki

    The whole team of “Mera Pahad” deserves due recognition for their fervent efforts being put by them to bring wide awareness amongst populace of the country about our heritage, rich and varied culture.My deep appreciation to all of you.

    Read more: http://www.merapahad.com/khatarua-animal-protection-festival-in-uttarakhand/#ixzz0zyuEUtWR

    Regards
    sskarki

  14. Neeraj bawari

    Is prakar ki jankariyon se humari samajik riti riwajon ko jeewit wa chiraayu rakha ja sakta hai…

    Aapke is prayas e liye haardik badahi Hem bhai…

    Neeraj Bawari

  15. yogesh Pant

    Thanks a lot Pant ji……………

  16. ramesh kumar

    Bahut Bahut Dhanyabad Hem Ji,

    app ne khataurwa ke bare mai bhut achhi jankri di app ka tahe dil se sukriya aada karta hu aapke likhoon ko padke kar hume apne uttrakhand par or app jaise bhaiye par bahut garv mahsush karte hain.

    Read more: http://www.merapahad.com/khatarua-animal-protection-festival-in-uttarakhand/#ixzz10ENjMPOw

  17. Harish Singh Karki

    Thanks Pantji…………….for this valueable knowledge……..

  18. GANESH LOHANI

    Hem ji,
    Namskar, aap pahar ki sasnkirti ke bare me jankari jutate rahen . shubkamnaye.

  19. uday rana

    mera Uttarakhand mahaan, sabko mil-julkar apne teej tyohar khule dil se manane chahiye aur bhramo ko dur karna chahiye.
    Thx to Merapahad

  20. ऋतुपर्व है खतड़ुवा

    […] गते को कुमाऊँ में मनाया जाने वाला खतडुवा भी पशुओं का त्यौहार है। इस दिन गाँव के सभी घरों में भांग की […]

  21. poonam kandpal

    Hi ..its really a important fact about this festival..I was also not aware of this infact ham manate sare pahadi tayohar hain but sach to ye hai ki hame manane ka karan nahi pata hota…aise me ye sabhi jankaari jo aapke dwara milti hai ..its very usefull… thnx a lot for providing such information..

  22. Ganesh kumar

    mai pahar ki sanskriti se banut hi prabhawit hoo aap logo ka ,mera pahar naam. se chalayi jaane waali ye website bahut hi kargar hogi ki log pahar ki upyogita samajh sake. ganesh graam- arey bageshwar.

  23. manish khati

    thanks for providing this useful information.
    Jay Hind, Jay Uttrakhand.

  24. Chandan Singh

    Aapki kahani padkar bahut achchha laga aap uttarakhand ke sachche saput ho.

  25. Chandan Singh

    aap log isi tarah pahad ki sanskirti ko bacha sakte ho warna hamari sanskirti ko khatra hai,
    From,
    Chandan Mehta
    Anarsa, Bageshwar

  26. mahesh chandra punetha

    achha lekh hai jankari se bhara sath hi vishleshan parak bhi.

  27. mahesh chandra punetha

    खतड़वा संकराद

    बच्चों-किषोरों का झुंड
    उल्लास से भरा
    इकट्ठा करने में जुटा है केड़-पात
    मक्के के ठँूठ , सूखे झील-झंखाड़
    ढूँढ-ढूँढकर लाए जा रहे हैं
    गाँव भर से
    सबसे ऊँची टिकड़ी में गाँव की
    बनाया जा रहा है ढेर ।

    घसियारिनें लगी हैं
    घास के पूले के पूले काटने में
    भर पेट खिलाना जो है आज के दिन
    इतना कि
    गाएँ उसी का सोत्तर बनाकर सो जाएंँ।

    षाम होने को आई
    लौट रही हैं घसियारिनें
    घास का लूटा सा ही पीठ में लादे
    इसी घास से बनाए जाएंगे बुड़ि के पुतले
    डाले जाएंगे –
    गोशाला की छत पर
    गोबर के खात पर
    लौकी-कद्दू-ककड़ी -तोरई के बेलों में

    एक साथ ले जाई जाएगी
    टिकड़ी में बने ढेर में जलाने ।

    अब सारी तैयारी पूरी हो चुकी है
    जल उठी है मषालें
    सिन्ने के ढाँक साथ बुड़ि का पुलता
    पकड़कर
    भीतर से लेकर गोठ के ओने-कोने से
    झाड़-पोछकर
    बाहर भगाया जा रहा है बुड़ि को।
    हाँेक लगाकर –
    ‘भ्यार निकल बुड़ि ,भ्यार निकल ’।

    दौड़ पड़े हैं सभी टिकड़ी की ओर
    मषाले लहराते
    समवेत स्वर में चीखते-चिल्लाते
    सार गाँव गूँज उठा है
    ऐसे में भला बुड़ि कहाँ छुपी रह सकती है
    कितना सुदंर लग रहा है गाँव
    अंधकार दुबक रहा है जान बचाकर ।

    एक इषारा पाते ही
    धू-धू जल उठा है केड़-पात का ढेर
    झोंक दी गईं हैं उसमें सारे के सारे पुतले ।
    फैल गईं हैं आसमान में असंख्य चिनगारियाँ
    हर पहाड़ी ने
    थाम ली हो जैसे एक-एक मषाल

    और समवेत स्वर चक्र बन घूमने लगे हों घाटी में ।

    पता नहीं कब से
    हर साल
    बुड़ि को खदेड़कर सुपुर्दे खाक करते
    आ रहे हैं ये लोग
    पर बुड़ि है कि फिर -फिर लौट आती है।

  28. dinesh bijalwan

    Thanks Hemji for analyzing the history in right spirit.

  29. kapil negi

    हेम पन्त जी , आपको बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने इस भ्रान्ति को दूर किया ! लगभग 98% लोग सच नही जानते थे … खुद हमने अपने बूबू लोंगों से भी राजा वाली बात सुनी थी .. जो आज आपने भ्रम दूर करा दिया..

    कपिल नेगी
    नौबारा (द्वाराहाट)
    अल्मोड़ा

  30. Rahul Himanti Pandey

    Great work Hem Daijyu. I proud of you. Keep going i’ m always with you guys. I m also doing some big work for my Dev Bhumi Uttarakhand. Jai Uttarakhand.

  31. prof bc upreti

    excellent attempt to explore the rich cultural traditions of uttarakhand that carries social values of a rural set up. at the same time it is also a good attempt to condemn the misgivings and distortions of history

  32. suresh pant

    भाई हेम ने एक लिंक भेजा है खतडआ पर| सटीक विवेचन है | त्योहारों के साथ भेद बुद्धि जोड़ने वाले जो व्याख्या करते हैं वह निराधार है, उसे निरुत्साहित किया जाना चाहिए |
    मेरी इस बारे में एक और दृष्टि है | जब सन्देश भेजने के लिए सिर्फ दूत ही – पैदल या संपन्न हों तो घोड़े से – जा सकते थे तब यह सन्देश प्रसारण की बहुत पुरानी और प्रभावी तकनीक थी | प्रसारण स्थल की पहाडी में आग जला दी और उसे देख कर दूसरे गाँव ने और देखते देखते प्रकाश की सी चाल से सन्देश फ़ैल गया | किसी घटना/प्रतीक्षित संवाद के घटित होने न होने का सन्देश तो इससे भेजा ही जा सकता था | यह उस आदिम उपाय का बचा रूप हो सकता है |
    यह बच्चों की खुशी का पर्व भी है | बच्चे एक टहनी को फूलों से सजाते हैं, उसमे छोटी सी ककड़ी (खीरा) टांगते हैं और इस ‘फुलोरी’ को और मशालें लेकर खुशी-खुशी खतडआ-स्थल पहुँचते हैं |

  33. Hem Pant

    इस साल भी खतड़ुआ पर्व 17 सितम्बर को मनाया जायेगा..

  34. Dr.Pankaj Joshi

    Pant ji this was really a genuine information about our healthy culture. Thanks for sharing this.

  35. usha

    बचपन की सुखद परछाइयॉ ऑखो के आगे तैरने लगी है कहॉ गये वो दिन जब गॉव की पथरीले रास्तो पर मशाल थामे पंक्तिबद्ध लोग एक स्वर में गायन करते ककड़ी के मवेशी.धूप की खूश्बू .thanks ये सब फिर से याद दिलाने के लिये मुझ में मर रहे पहाड़ का जगाने के लिये.

  36. Mohan Pandey

    मेरापहाड़ डॉट कॉम एक बेहतरीन वेबसाइट हैं और पहाड़ के बारे में बहुत जानकारियां भी प्रदान करती है |
    हेम जी का लेख पढ़ा बहुत अच्छी जानकारी है.

    आज पहाड़ का जो हाल है , उसे देख कर बहुत ही दुःख होता है. सबसे बड़ी कमजोरी है एकता की कमी |
    वक्त आ गया है की हम सब उत्तराखण्ड वासी एक सूत्र में जुड़ें और पहाड़ को फिर से सवाँरे |

  37. नीरज

    अच्छी जानकारी है।।

  38. bhupal s jalal

    🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃

    *उत्तराखंड के सभी जिलों की संक्षिप्त मगर* *महत्वपूर्ण जानकारी।*

    आओ बच्चों देखो झाँकी अपने उत्तराखंड धाम की।

    इस मिट्टी को झुककर चूमो शत्-शत् करो प्रणाम भी।

    *(1)*

    🔼 ये देखो अल्मोड़ा यहाँ कितनी सुंदर हरियाली है।
    🔼 सबको है आकर्षित करती धरती ये मतवाली है।
    🔼 दूर-दूर तक दृश्य विहंगम बदरा काली-काली है।
    🔼 सबसे प्यारी नैना देवी झाँकी यहाँ निराली है।
    🔼 जागेश्वर मंदिर में बजते घंटे सुबह और शाम जी।
    🔼 इस मिट्टी को झुककर चूमो शत्-शत् करो प्रणाम भी।
    🔼 जय हो उत्तराखंड, जय हो उत्तराखंड।

    *(2)*

    🔼 बागेश्वर को देखो यहाँ कितना सुंदर विस्तार है।
    🔼 सुंदरता में इसकी महिमा चारों ओर अपार है।
    🔼 धरती से आकाश चूमते बाँज-बुराँस का प्यार है।
    🔼 सचमुच में ये पावन धरती स्वर्ग का अवतार है।
    🔼 मन को ठंडक मिलती है जब लेते इसका नाम जी।
    🔼 इस मिट्टी को झुककर चूमो शत्-शत् करो प्रणाम भी।
    🔼 जय हो उत्तराखंड, जय हो उत्तराखंड।

    *(3)*

    🔼 चमोली को शोभित करता बद्रीनाथ का धाम है।
    🔼 गोपेश्वर भी है यहाँ पर हेमकुंड भी साथ है।
    🔼 औली में है बर्फ चमकती सुबह, दिन और रात है।
    🔼 फूलों की घाटी का सुंदरता में अदभुत् हाथ है।
    🔼 तपकुंड, विष्णु प्रयाग, पंच प्रयाग है जान जी।
    🔼 इस मिट्टी को झुककर चूमो शत्-शत् करो प्रणाम भी।
    🔼 जय हो उत्तराखंड, जय हो उत्तराखंड।

    *(4)*

    🔼 चंपावत में बालेश्वर मंदिर ये बड़ा ही प्यारा है।
    🔼 रीठा साहब यहाँ पर सिखों का गुरुद्वारा है।
    🔼 पंचेश्वर और देवीधुरा ने इस धरती को तारा है।
    🔼 नागनाथ के मंदिर का भी यहाँ पर बड़ा सहारा है।
    🔼 वन्य जीवों से भरे हुए हैं यहाँ के हरे मैदान जी।
    🔼 इस मिट्टी को झुककर चूमो शत्-शत् करो प्रणाम भी।
    🔼 जय हो उत्तरा खंड, जय हो उत्तराखंड।

    *(5)*

    🔼 देखो देहरादून यहाँ की ये ही तो राजधानी है।
    🔼 अंग्रेजों की सत्ता की यहाँ पर कई निशानी हैं।
    🔼 घंटा-घर आकाश चूमता आई.एम.ए. पहचानी है।
    🔼 लीची के हैं बाग यहाँ पर और मसूरी रानी है।
    🔼 शिक्षा में भी देहरादून रखता है प्रथम स्थान जी।
    🔼 इस मिट्टी को झुककर चूमो शत्-शत् करो प्रणाम भी।
    🔼 जय हो उत्तराखंड, जय हो उत्तराखंड।

    *(6)*

    🔼 कितना पावन और निराला अपना ये हरिद्वार है।
    🔼 देवलोक से आती सीधी गंगा माँ की धार है।
    🔼 वेदों और पुराणों में भी गाथा बारम्बार है।
    🔼 जीवन और मरण का देखो यही आखिरी सार है।
    🔼 इस पावन धरती पर देवों ने भी किया बखान जी।
    🔼 इस मिट्टी को झुककर चूमो शत्-शत् करो प्रणाम भी।
    🔼 जय हो उत्तराखंड, जय हो उत्तराखंड।

    *(7)*

    🔼 अदभुत् सुंदर कितना प्यारा अपना नैनीताल है।
    🔼 चारों ओर यहाँ पर फैला झीलों का जंजाल है।
    🔼 चाइना पीक यहाँ पर चोटी बहुत ही बेमिसाल है।
    🔼 इस धरती को गर्वित करते तल्ली-मल्ली ताल हैं।
    🔼 मृदुभाषी हैं लोग यहाँ के हँसकर करें सलाम जी।
    🔼 इस मिट्टी को झुककर चूमो शत्-शत् करो प्रणाम भी।
    🔼 जय हो उत्तराखंड, जय हो उत्तराखंड।

    *(8)*

    🔼 पौड़ी जिले की उत्तराखंड में एक अलग पहचान है।
    🔼 नागर्जा का मंदिर इसमें ज्वालपा माँ की शान है।
    🔼 बिंसर महादेव यहाँ है, ताराकुंड भी जान है।
    🔼 सचमुच इसमें रचते-बसते उत्तराखंड के प्राण हैं।
    🔼 लोकगीत संगीत में पौड़ी का है ऊँचा नाम जी।
    🔼 इस मिट्टी को झुककर चूमो शत्-शत् करो प्रणाम भी।
    🔼 जय हो उत्तराखंड, जय हो उत्तराखंड।

    *(9)*

    🔼 सीमा की है रक्षा करता पिथौरागढ़ महान है।
    🔼 उल्का देवी मंदिर की भी एक नई पहचान है।
    🔼 राय गुफा भी अदभुत् इसमें, भटकोट स्थान है।
    🔼 हनुमान गढ़ी में जुटती रोज़ भीड़ तमाम है।
    🔼 कई बार बचाई इसने हम लोगों की आन जी।
    🔼 इस मिट्टी को झुककर चूमो शत्-शत् करो प्रणाम भी।
    🔼 जय हो उत्तराखंड, जय हो उत्तराखंड।

    *(10)*

    🔼 अलकनंदा-मंदाकिनी का संगम रुद्रप्रयाग है।
    🔼 कहीं पर शीतल धारा है कहीं उफनती आग है।
    🔼 अगस्तमुनि बसुकेदार है केदारनाथ का राग है।
    🔼 गुप्तकाशी, कालीमठ है मद्महेश्वर, तुंगनाथ है।
    🔼 यहाँ थकावट को मिलता है अदभुत् एक विराम जी।
    🔼 इस मिट्टी को झुककर चूमो शत्-शत् करो प्रणाम भी।
    🔼 जय हो उत्तराखंड, जय हो उत्तराखंड।

    *(11)*

    🔼 देखो जिला ये टिहरी का श्रीदेव सुमन से वीर पले।
    🔼 कितने उन पर राजा के भाले, बर्छी, तीर चले।
    🔼 भूखे रहे 84 दिन तक पर ना उनके नीर चले।
    🔼 1944 में दुनिया से बनकर वे पीर चले।
    🔼 मरकर वो इतिहास बन गए गाथा पूरे ग्राम की।
    🔼 इस मिट्टी को झुककर चूमो शत्-शत् करो प्रणाम भी।
    🔼 जय हो उत्तराखंड, जय हो उत्तराखंड।

  39. Navdeep

    Galat Hai Bhai Sahab , ranjnitik karan ho Sakta hai per Katarwa parv ka mehtava Kuch aur Hai !!!!!!! Kumaon ka itihaas by B>D. Pandey !!!! the reason in the Himalayas by – Sir Holmes trang !!!!!!! Aur vibhin Taampatro me Darj Lekho Ke aadhar pe , ye bataya Gaya hai Ki !!!! Kyu Is parv ko manaya jata hai aur Kis prakaar Dehradun Chetr tak Kumaun District me aata tha !!!!! Me Koi yudh Naa Cherna Chahunga yahan Kuch likh Ker !!!! per aapki Janakari Ke Lia bata DU !!!!!!

  40. B. C. Pathak

    Uttarakhand ki ekta ka prayas sarahniy h dhanyavad. Soch nayi josh naya.

  41. Jitendra singh karki

    That is what i and many other youth of uttarakhand want to know. Thanks a lot to author

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