उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ से ही कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ आजीविका का मà¥à¤–à¥à¤¯ सà¥à¤°à¥‹à¤¤ रहा है। जटिल à¤à¥Œà¤—ोलिक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कारण वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ नगणà¥à¤¯ थीं, लेकिन कम उपजाऊ जमीन होने के बावजूद कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ ही जीवनयापन के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आधार थे। आज à¤à¥€ कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ कई पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• लोक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤à¤‚ और तीज-तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° पहाड़ के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ अंचलों में जीवित हैं। इन तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में हरियाली और बीजों से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° “हरेला” है, पिथौरागढ में मनाया जाने वाला “हिलजातà¥à¤°à¤¾” à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ परà¥à¤µ है, जिसमें कृषि-पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ को विशिषà¥à¤Ÿ मà¥à¤–ौटों और नृतà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ मैदान में पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ किया जाता है। पशà¥à¤§à¤¨ की पà¥à¤°à¤šà¥à¤°à¤¤à¤¾ का लà¥à¤¤à¥à¤« उठाने का तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° घी-तà¥à¤¯à¤¾à¤° के रà¥à¤ª में मनाया जाता है, इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से दीपावली के दो दिन के बाद होने वाले “गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा” पर गाय-à¤à¥ˆà¤‚स व बैलों को सजाया जाता है, जो परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ अंचल के लोगों के पशà¥à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤® और उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से à¤à¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ (à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦) के महीने में मनाया जाने वाला “खतड़à¥à¤µà¤¾” परà¥à¤µ à¤à¥€ मूलत: पशà¥à¤“ं की मंगलकामना के लिये मनाया जाने वाला परà¥à¤µ है। कà¥à¤› राजनीतिक पà¥à¤°à¤ªà¤‚चों और बंटवारे की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ वाले लोगों ने इस तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° के साथ कई मनगढनà¥à¤¤ किसà¥à¤¸à¥‡ जोड़ दिये हैं। जिससे इस परà¥à¤µ को मनाने का मूल उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ पीछे छूटता जा रहा है।
खतड़à¥à¤† शबà¥à¤¦ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ “खातड़” या “खातड़ि” शबà¥à¤¦ से हà¥à¤ˆ है, जिसका अरà¥à¤¥ है रजाई या अनà¥à¤¯ गरम कपड़े. गौरतलब है कि à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ (सितमà¥à¤¬à¤° मधà¥à¤¯) से पहाड़ों में जाड़ा धीरे-धीरे शà¥à¤°à¥ हो जाता है। यही वकà¥à¤¤ है जब पहाड़ के लोग पिछली गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बाद पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में नहीं लाये गये कपड़ों को निकाल कर धूप में सà¥à¤–ाते हैं और पहनना शà¥à¤°à¥‚ करते हैं. इस तरह यह तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠकी समापà¥à¤¤à¤¿ के बाद शीत ऋतॠके आगमन का परिचायक है। इस तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° के दिन गांवों में लोग अपने पशà¥à¤“ं के गोठ(गौशाला) को विशेष रूप से साफ करते हैं. पशà¥à¤“ं को नहला-धà¥à¤²à¤¾ कर उनकी खास सफाई की जाती है और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पकवान बनाकर खिलाया जाता है। पशà¥à¤“ं के गोठमें मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® घास बिखेर दी जाती है. शीत ऋतॠमें हरी घास का अà¤à¤¾à¤µ हो जाता है, इसलिये “खतड़à¥à¤µà¤¾” के दिन पशà¥à¤“ं को à¤à¤°à¤ªà¥‡à¤Ÿ हरी घास खिलायी जाती है. शाम के समय घर की महिलाà¤à¤‚ खतड़à¥à¤µà¤¾ (à¤à¤• छोटी मशाल) जलाकर उससे गौशाला के अनà¥à¤¦à¤° लगे मकड़ी के जाले वगैरह साफ करती हैं और पूरे गौशाला के अनà¥à¤¦à¤° इस मशाल (खतड़à¥à¤µà¤¾) को बार-बार घà¥à¤®à¤¾à¤¯à¤¾ जाता है और à¤à¤—वान से कामना की जाती है कि वो इन पशà¥à¤“ं को दà¥à¤–-बीमारी से सदैव दूर रखें। गांव के बचà¥à¤šà¥‡ किसी चौराहे पर जलाने लायक लकड़ियों का à¤à¤• बड़ा ढेर लगाते हैं गौशाला के अनà¥à¤¦à¤° से मशाल लेकर महिलाà¤à¤‚ à¤à¥€ इस ,चौराहे पर पहà¥à¤‚चती हैं और इस लकड़ियों के ढेर में “खतड़à¥à¤†” समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किये जाते हैं। ढेर को पशà¥à¤“ं को लगने वाली बिमारियों का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• मानकर “बà¥à¤¢à¥€” जलायी जाती है. यह “बà¥à¤¢à¥€” गाय-à¤à¥ˆà¤‚स और बैल जैसे पशà¥à¤“ं को लगने वाली बीमारियों का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• मानी जाती हैं, जिनमें खà¥à¤°à¤ªà¤•à¤¾ और मà¥à¤‚हपका मà¥à¤–à¥à¤¯ हैं. इस चौराहे या ऊंची जगह पर आकर सà¤à¥€ खतड़à¥à¤† जलती बà¥à¤¢à¥€ में डाल दिये जाते हैं और बचà¥à¤šà¥‡ जोर-जोर से चिलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ गाते हैं-
à¤à¥ˆà¤²à¥à¤²à¥‹ जी à¤à¥ˆà¤²à¥à¤²à¥‹, à¤à¥ˆà¤²à¥à¤²à¥‹ खतडà¥à¤µà¤¾,
गै की जीत, खतडà¥à¤µà¥ˆ की हार
à¤à¤¾à¤— खतड़à¥à¤µà¤¾ à¤à¤¾à¤—
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ गाय की जीत हो और खतड़à¥à¤† (पशà¥à¤§à¤¨ को लगने वाली बिमारियों) की हार हो।
इसके साथ ही बचà¥à¤šà¥‡ पड़ोस के गांववालों को ऊंची आवाजों में उनकी गाय-à¤à¥ˆà¤‚सों को लगने वाली बीमारियां अपने घर ले जाने के लिये à¤à¥€ आमनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤ करते हैं। इस अवसर पर हलà¥à¤•à¤¾-फà¥à¤²à¥à¤•à¤¾ आमोद-पà¥à¤°à¤®à¥‹à¤¦ होता है और ककड़ी को पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ सà¥à¤µà¤°à¥‚प वितरित किया जाता है. इस तरह से यह तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° पशà¥à¤§à¤¨ को सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ और हृषà¥à¤Ÿ-पà¥à¤·à¥à¤Ÿ बने रहने की कामना के साथ समापà¥à¤¤ होता है। इस महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ परà¥à¤µ के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में पिछले दशकों से कà¥à¤› à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ फैलायी जा रही हैं। à¤à¤• तरà¥à¤•à¤¹à¥€à¤¨ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ के सेनापति गैड़ सिंह ने गढवाल के खतड़ सिंग (खतड़à¥à¤µà¤¾) सेनापति को हराया था, उसके बाद यह तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤†. लेकिन अब जबकि लगà¤à¤— सà¤à¥€ इतिहासकार वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के इतिहास में गैड़ सिंह या खतड़ सिंह जैसे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ और इस यà¥à¤¦à¥à¤§ की सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ को नकार चà¥à¤•à¥‡ हैं तो इन सब कà¥à¤¤à¤°à¥à¤•à¥‹à¤‚ पर बहस करना मूरà¥à¤–ता ही माना जायेगा। इस कालà¥à¤ªà¤¨à¤¿à¤• यà¥à¤¦à¥à¤§ की घटना का उलà¥à¤²à¥‡à¤– गढवाल या कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ के किसी à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• वरà¥à¤£à¤¨ में नही है। कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚नी के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ कवि शà¥à¤°à¥€ बंशीधर पाठक “जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥” की कविता की कà¥à¤› पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ इस सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय हैं.-
अमरकोश पà¥à¥€, इतिहास पनà¥à¤¨à¤¾ पलटीं, खतड़सिंग न मिल, गैड़ नि मिल।
कथà¥à¤¯à¤¾à¤° पà¥à¤›à¤¿à¤¨, पà¥à¤›à¥à¤¯à¤¾à¤° पà¥à¤›à¤¿à¤¨, गणत करै, जागर लगै,
बैसि à¤à¥ˆà¤Ÿà¥à¥Ÿà¥à¤‚, रमौल सà¥à¤£à¥‹à¤‚, à¤à¤¾à¤°à¤¤ सà¥à¤£à¥‹à¤‚, खतड़सिंग नि मिल, गैड़ नि मिल,
सà¥à¤¯à¤¾à¤²à¥à¤¦à¥‡-बिखौती गयूं, देविधà¥à¤°à¥ˆ बगà¥à¤µà¤¾à¤² गयूं, जागसर गयूं, बागसर गयूं,
अलमà¥à¤µà¤¾à¥œ कि ननà¥à¤¦à¤¾à¤¦à¥‡à¤µà¥€ गयूं, खतड़सिंग नि मिल, गैड़ नि मिल।
यह à¤à¥€ सोचनीय विषय है कि पूरे विशà¥à¤µ के इतिहास में आज तक कोई à¤à¤¸à¤¾ यà¥à¤¦à¥à¤§ नहीं हà¥à¤†, जिसमें जीत या हार का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ किसी सेनापति को दिया गया हो। हमेशा ही यà¥à¤¦à¥à¤§ की जीत या हार का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ सिरà¥à¤« और सिरà¥à¤« राजा को ही मिला है। दूसरा पकà¥à¤· यह à¤à¥€ है कि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का सबसे पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• इतिहास à¤à¤Ÿà¤•à¤¿à¤¨à¥à¤¸à¤¨ के गजेटियर को माना जाता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसने ही पूरे उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में घूमकर इसकी रचना की थी। यदि à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› होता तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इसका à¤à¥€ वरà¥à¤£à¤¨ जरà¥à¤° किया होता। इसलिये अब जरूरत है कि हम अपनी समृदà¥à¤§ धरोहरों के रूप में चले आ रहे खतड़à¥à¤† जैसे अनà¥à¤¯ परà¥à¤µà¥‹à¤‚ को उनमें निहित सकारातà¥à¤®à¤• सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ के साथ मनायें और उनसे जà¥à¥œà¥€ à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को यथाशीघà¥à¤° मिटाते चलें जायें, जिससे आने वाली पीढियां à¤à¥€ इन परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं और लोकपरà¥à¤µà¥‹à¤‚ को खà¥à¤²à¥‡ मन से मना पायें।
लेखक- शà¥à¤°à¥€ हेम पनà¥à¤¤
thnx… for telling d true story bout khatdwa…till now i was also having d misconception of it being celebration of winning fight frm som ruler of gharwal.
सामानà¥à¤¯à¤¤: यह परà¥à¤µ 17 सितमà¥à¤¬à¤° को पड़ता है.. इस साल à¤à¥€ खतड़à¥à¤† परà¥à¤µ 17 सितमà¥à¤¬à¤° को मनाया जायेगा..
This is very -2 exclusive article by Hem Ji. Good job. I am sure all readers will like this.
Dear Pant ji,
Aap samay samay per itni sari jaankariyan dete rahte ho jis ke karan hum sabhi logon ko update hota rahta hai.
kya aap kumaun ki itihas arrange karva sakte ho?
i will be very thankful to you and wish very best of health and wealth for forever.
इस परà¥à¤µ का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• रà¥à¤ª सà¤à¥€ के सामने लाने के लिये कोटिशः धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤ हम सà¤à¥€ को à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ दूर कर लोक परà¥à¤µà¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मनाया ही जाना चाहिये।
The whole team of “Mera Pahad” deserves due recognition for their fervent efforts being put by them to bring wide awareness amongst populace of the country about our heritage, rich and varied culture.My deep appreciation to all of you.
Hem ji. Dhanyawad. Khatoduwa bare mai itna kuch batane ke liye.
Thanks HEMU BHAI for useful info, keep it up
Pant Ji ,
Bhotai Badiya Lekhichh Tumule ” Khatarwa Ka baar mai ” Great job done” Hare Hara !
khateduwa song bhello ti bhello khtedua bhello gaay ki jeet khteduwa ki haar.
Hem Ji,
Bahut badiya….aapke likhoon ko padke garv hota hai ki hum aapke mitr hain. Bahut badiya….
Aaapko Khatauwa ki dher saari badhayiyaan.
Great job sir……….
I need more fact & festivals related with animals & birds.
The whole team of “Mera Pahad†deserves due recognition for their fervent efforts being put by them to bring wide awareness amongst populace of the country about our heritage, rich and varied culture.My deep appreciation to all of you.
Read more: http://www.merapahad.com/khatarua-animal-protection-festival-in-uttarakhand/#ixzz0zyuEUtWR
Regards
sskarki
Is prakar ki jankariyon se humari samajik riti riwajon ko jeewit wa chiraayu rakha ja sakta hai…
Aapke is prayas e liye haardik badahi Hem bhai…
Neeraj Bawari
Thanks a lot Pant ji……………
Bahut Bahut Dhanyabad Hem Ji,
app ne khataurwa ke bare mai bhut achhi jankri di app ka tahe dil se sukriya aada karta hu aapke likhoon ko padke kar hume apne uttrakhand par or app jaise bhaiye par bahut garv mahsush karte hain.
Read more: http://www.merapahad.com/khatarua-animal-protection-festival-in-uttarakhand/#ixzz10ENjMPOw
Thanks Pantji…………….for this valueable knowledge……..
Hem ji,
Namskar, aap pahar ki sasnkirti ke bare me jankari jutate rahen . shubkamnaye.
mera Uttarakhand mahaan, sabko mil-julkar apne teej tyohar khule dil se manane chahiye aur bhramo ko dur karna chahiye.
Thx to Merapahad
[…] गते को कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤ में मनाया जाने वाला खतडà¥à¤µà¤¾ à¤à¥€ पशà¥à¤“ं का तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° है। इस दिन गाà¤à¤µ के सà¤à¥€ घरों में à¤à¤¾à¤‚ग की […]
Hi ..its really a important fact about this festival..I was also not aware of this infact ham manate sare pahadi tayohar hain but sach to ye hai ki hame manane ka karan nahi pata hota…aise me ye sabhi jankaari jo aapke dwara milti hai ..its very usefull… thnx a lot for providing such information..
mai pahar ki sanskriti se banut hi prabhawit hoo aap logo ka ,mera pahar naam. se chalayi jaane waali ye website bahut hi kargar hogi ki log pahar ki upyogita samajh sake. ganesh graam- arey bageshwar.
thanks for providing this useful information.
Jay Hind, Jay Uttrakhand.
Aapki kahani padkar bahut achchha laga aap uttarakhand ke sachche saput ho.
aap log isi tarah pahad ki sanskirti ko bacha sakte ho warna hamari sanskirti ko khatra hai,
From,
Chandan Mehta
Anarsa, Bageshwar
achha lekh hai jankari se bhara sath hi vishleshan parak bhi.
खतड़वा संकराद
बचà¥à¤šà¥‹à¤‚-किषोरों का à¤à¥à¤‚ड
उलà¥à¤²à¤¾à¤¸ से à¤à¤°à¤¾
इकटà¥à¤ ा करने में जà¥à¤Ÿà¤¾ है केड़-पात
मकà¥à¤•à¥‡ के ठà¤à¥‚ठ, सूखे à¤à¥€à¤²-à¤à¤‚खाड़
ढूà¤à¤¢-ढूà¤à¤¢à¤•à¤° लाठजा रहे हैं
गाà¤à¤µ à¤à¤° से
सबसे ऊà¤à¤šà¥€ टिकड़ी में गाà¤à¤µ की
बनाया जा रहा है ढेर ।
घसियारिनें लगी हैं
घास के पूले के पूले काटने में
à¤à¤° पेट खिलाना जो है आज के दिन
इतना कि
गाà¤à¤ उसी का सोतà¥à¤¤à¤° बनाकर सो जाà¤à¤‚à¤à¥¤
षाम होने को आई
लौट रही हैं घसियारिनें
घास का लूटा सा ही पीठमें लादे
इसी घास से बनाठजाà¤à¤‚गे बà¥à¤¡à¤¼à¤¿ के पà¥à¤¤à¤²à¥‡
डाले जाà¤à¤‚गे –
गोशाला की छत पर
गोबर के खात पर
लौकी-कदà¥à¤¦à¥‚-ककड़ी -तोरई के बेलों में
à¤à¤• साथ ले जाई जाà¤à¤—ी
टिकड़ी में बने ढेर में जलाने ।
अब सारी तैयारी पूरी हो चà¥à¤•à¥€ है
जल उठी है मषालें
सिनà¥à¤¨à¥‡ के ढाà¤à¤• साथ बà¥à¤¡à¤¼à¤¿ का पà¥à¤²à¤¤à¤¾
पकड़कर
à¤à¥€à¤¤à¤° से लेकर गोठके ओने-कोने से
à¤à¤¾à¤¡à¤¼-पोछकर
बाहर à¤à¤—ाया जा रहा है बà¥à¤¡à¤¼à¤¿ को।
हाà¤à¥‡à¤• लगाकर –
‘à¤à¥à¤¯à¤¾à¤° निकल बà¥à¤¡à¤¼à¤¿ ,à¤à¥à¤¯à¤¾à¤° निकल ’।
दौड़ पड़े हैं सà¤à¥€ टिकड़ी की ओर
मषाले लहराते
समवेत सà¥à¤µà¤° में चीखते-चिलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡
सार गाà¤à¤µ गूà¤à¤œ उठा है
à¤à¤¸à¥‡ में à¤à¤²à¤¾ बà¥à¤¡à¤¼à¤¿ कहाठछà¥à¤ªà¥€ रह सकती है
कितना सà¥à¤¦à¤‚र लग रहा है गाà¤à¤µ
अंधकार दà¥à¤¬à¤• रहा है जान बचाकर ।
à¤à¤• इषारा पाते ही
धू-धू जल उठा है केड़-पात का ढेर
à¤à¥‹à¤‚क दी गईं हैं उसमें सारे के सारे पà¥à¤¤à¤²à¥‡ ।
फैल गईं हैं आसमान में असंखà¥à¤¯ चिनगारियाà¤
हर पहाड़ी ने
थाम ली हो जैसे à¤à¤•-à¤à¤• मषाल
और समवेत सà¥à¤µà¤° चकà¥à¤° बन घूमने लगे हों घाटी में ।
पता नहीं कब से
हर साल
बà¥à¤¡à¤¼à¤¿ को खदेड़कर सà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡ खाक करते
आ रहे हैं ये लोग
पर बà¥à¤¡à¤¼à¤¿ है कि फिर -फिर लौट आती है।
Thanks Hemji for analyzing the history in right spirit.
हेम पनà¥à¤¤ जी , आपको बहà¥à¤¤ बहà¥à¤¤ धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ जो आपने इस à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ को दूर किया ! लगà¤à¤— 98% लोग सच नही जानते थे … खà¥à¤¦ हमने अपने बूबू लोंगों से à¤à¥€ राजा वाली बात सà¥à¤¨à¥€ थी .. जो आज आपने à¤à¥à¤°à¤® दूर करा दिया..
कपिल नेगी
नौबारा (दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾à¤¹à¤¾à¤Ÿ)
अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾
Great work Hem Daijyu. I proud of you. Keep going i’ m always with you guys. I m also doing some big work for my Dev Bhumi Uttarakhand. Jai Uttarakhand.
excellent attempt to explore the rich cultural traditions of uttarakhand that carries social values of a rural set up. at the same time it is also a good attempt to condemn the misgivings and distortions of history
à¤à¤¾à¤ˆ हेम ने à¤à¤• लिंक à¤à¥‡à¤œà¤¾ है खतडआ पर| सटीक विवेचन है | तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के साथ à¤à¥‡à¤¦ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ जोड़ने वाले जो वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करते हैं वह निराधार है, उसे निरà¥à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ किया जाना चाहिठ|
मेरी इस बारे में à¤à¤• और दृषà¥à¤Ÿà¤¿ है | जब सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ के लिठसिरà¥à¤« दूत ही – पैदल या संपनà¥à¤¨ हों तो घोड़े से – जा सकते थे तब यह सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤£ की बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ और पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ तकनीक थी | पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤£ सà¥à¤¥à¤² की पहाडी में आग जला दी और उसे देख कर दूसरे गाà¤à¤µ ने और देखते देखते पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की सी चाल से सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ फ़ैल गया | किसी घटना/पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ संवाद के घटित होने न होने का सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ तो इससे à¤à¥‡à¤œà¤¾ ही जा सकता था | यह उस आदिम उपाय का बचा रूप हो सकता है |
यह बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की खà¥à¤¶à¥€ का परà¥à¤µ à¤à¥€ है | बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤• टहनी को फूलों से सजाते हैं, उसमे छोटी सी ककड़ी (खीरा) टांगते हैं और इस ‘फà¥à¤²à¥‹à¤°à¥€’ को और मशालें लेकर खà¥à¤¶à¥€-खà¥à¤¶à¥€ खतडआ-सà¥à¤¥à¤² पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हैं |
इस साल à¤à¥€ खतड़à¥à¤† परà¥à¤µ 17 सितमà¥à¤¬à¤° को मनाया जायेगा..
Pant ji this was really a genuine information about our healthy culture. Thanks for sharing this.
बचपन की सà¥à¤–द परछाइयॉ ऑखो के आगे तैरने लगी है कहॉ गये वो दिन जब गॉव की पथरीले रासà¥à¤¤à¥‹ पर मशाल थामे पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¬à¤¦à¥à¤§ लोग à¤à¤• सà¥à¤µà¤° में गायन करते ककड़ी के मवेशी.धूप की खूशà¥à¤¬à¥‚ .thanks ये सब फिर से याद दिलाने के लिये मà¥à¤ में मर रहे पहाड़ का जगाने के लिये.
मेरापहाड़ डॉट कॉम à¤à¤• बेहतरीन वेबसाइट हैं और पहाड़ के बारे में बहà¥à¤¤ जानकारियां à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती है |
हेम जी का लेख पà¥à¤¾ बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ जानकारी है.
आज पहाड़ का जो हाल है , उसे देख कर बहà¥à¤¤ ही दà¥à¤ƒà¤– होता है. सबसे बड़ी कमजोरी है à¤à¤•à¤¤à¤¾ की कमी |
वकà¥à¤¤ आ गया है की हम सब उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ वासी à¤à¤• सूतà¥à¤° में जà¥à¥œà¥‡à¤‚ और पहाड़ को फिर से सवाà¤à¤°à¥‡ |
अचà¥à¤›à¥€ जानकारी है।।
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*उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के सà¤à¥€ जिलों की संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ मगर* *महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ जानकारी।*
आओ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ देखो à¤à¤¾à¤à¤•à¥€ अपने उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड धाम की।
इस मिटà¥à¤Ÿà¥€ को à¤à¥à¤•à¤•à¤° चूमो शतà¥-शतॠकरो पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® à¤à¥€à¥¤
*(1)*
🔼 ये देखो अलà¥à¤®à¥‹à¤¡à¤¼à¤¾ यहाठकितनी सà¥à¤‚दर हरियाली है।
🔼 सबको है आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करती धरती ये मतवाली है।
🔼 दूर-दूर तक दृशà¥à¤¯ विहंगम बदरा काली-काली है।
🔼 सबसे पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ नैना देवी à¤à¤¾à¤à¤•à¥€ यहाठनिराली है।
🔼 जागेशà¥à¤µà¤° मंदिर में बजते घंटे सà¥à¤¬à¤¹ और शाम जी।
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🔼 जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड, जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड।
*(2)*
🔼 बागेशà¥à¤µà¤° को देखो यहाठकितना सà¥à¤‚दर विसà¥à¤¤à¤¾à¤° है।
🔼 सà¥à¤‚दरता में इसकी महिमा चारों ओर अपार है।
🔼 धरती से आकाश चूमते बाà¤à¤œ-बà¥à¤°à¤¾à¤à¤¸ का पà¥à¤¯à¤¾à¤° है।
🔼 सचमà¥à¤š में ये पावन धरती सà¥à¤µà¤°à¥à¤— का अवतार है।
🔼 मन को ठंडक मिलती है जब लेते इसका नाम जी।
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🔼 जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड, जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड।
*(3)*
🔼 चमोली को शोà¤à¤¿à¤¤ करता बदà¥à¤°à¥€à¤¨à¤¾à¤¥ का धाम है।
🔼 गोपेशà¥à¤µà¤° à¤à¥€ है यहाठपर हेमकà¥à¤‚ड à¤à¥€ साथ है।
🔼 औली में है बरà¥à¤« चमकती सà¥à¤¬à¤¹, दिन और रात है।
🔼 फूलों की घाटी का सà¥à¤‚दरता में अदà¤à¥à¤¤à¥ हाथ है।
🔼 तपकà¥à¤‚ड, विषà¥à¤£à¥ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, पंच पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— है जान जी।
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🔼 जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड, जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड।
*(4)*
🔼 चंपावत में बालेशà¥à¤µà¤° मंदिर ये बड़ा ही पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ है।
🔼 रीठा साहब यहाठपर सिखों का गà¥à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ है।
🔼 पंचेशà¥à¤µà¤° और देवीधà¥à¤°à¤¾ ने इस धरती को तारा है।
🔼 नागनाथ के मंदिर का à¤à¥€ यहाठपर बड़ा सहारा है।
🔼 वनà¥à¤¯ जीवों से à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ हैं यहाठके हरे मैदान जी।
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🔼 जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾ खंड, जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड।
*(5)*
🔼 देखो देहरादून यहाठकी ये ही तो राजधानी है।
🔼 अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ की सतà¥à¤¤à¤¾ की यहाठपर कई निशानी हैं।
🔼 घंटा-घर आकाश चूमता आई.à¤à¤®.à¤. पहचानी है।
🔼 लीची के हैं बाग यहाठपर और मसूरी रानी है।
🔼 शिकà¥à¤·à¤¾ में à¤à¥€ देहरादून रखता है पà¥à¤°à¤¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ जी।
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🔼 जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड, जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड।
*(6)*
🔼 कितना पावन और निराला अपना ये हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° है।
🔼 देवलोक से आती सीधी गंगा माठकी धार है।
🔼 वेदों और पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ गाथा बारमà¥à¤¬à¤¾à¤° है।
🔼 जीवन और मरण का देखो यही आखिरी सार है।
🔼 इस पावन धरती पर देवों ने à¤à¥€ किया बखान जी।
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🔼 जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड, जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड।
*(7)*
🔼 अदà¤à¥à¤¤à¥ सà¥à¤‚दर कितना पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ अपना नैनीताल है।
🔼 चारों ओर यहाठपर फैला à¤à¥€à¤²à¥‹à¤‚ का जंजाल है।
🔼 चाइना पीक यहाठपर चोटी बहà¥à¤¤ ही बेमिसाल है।
🔼 इस धरती को गरà¥à¤µà¤¿à¤¤ करते तलà¥à¤²à¥€-मलà¥à¤²à¥€ ताल हैं।
🔼 मृदà¥à¤à¤¾à¤·à¥€ हैं लोग यहाठके हà¤à¤¸à¤•à¤° करें सलाम जी।
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🔼 जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड, जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड।
*(8)*
🔼 पौड़ी जिले की उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड में à¤à¤• अलग पहचान है।
🔼 नागरà¥à¤œà¤¾ का मंदिर इसमें जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤ªà¤¾ माठकी शान है।
🔼 बिंसर महादेव यहाठहै, ताराकà¥à¤‚ड à¤à¥€ जान है।
🔼 सचमà¥à¤š इसमें रचते-बसते उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के पà¥à¤°à¤¾à¤£ हैं।
🔼 लोकगीत संगीत में पौड़ी का है ऊà¤à¤šà¤¾ नाम जी।
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🔼 जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड, जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड।
*(9)*
🔼 सीमा की है रकà¥à¤·à¤¾ करता पिथौरागढ़ महान है।
🔼 उलà¥à¤•à¤¾ देवी मंदिर की à¤à¥€ à¤à¤• नई पहचान है।
🔼 राय गà¥à¤«à¤¾ à¤à¥€ अदà¤à¥à¤¤à¥ इसमें, à¤à¤Ÿà¤•à¥‹à¤Ÿ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है।
🔼 हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ गढ़ी में जà¥à¤Ÿà¤¤à¥€ रोज़ à¤à¥€à¤¡à¤¼ तमाम है।
🔼 कई बार बचाई इसने हम लोगों की आन जी।
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🔼 जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड, जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड।
*(10)*
🔼 अलकनंदा-मंदाकिनी का संगम रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— है।
🔼 कहीं पर शीतल धारा है कहीं उफनती आग है।
🔼 अगसà¥à¤¤à¤®à¥à¤¨à¤¿ बसà¥à¤•à¥‡à¤¦à¤¾à¤° है केदारनाथ का राग है।
🔼 गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤¶à¥€, कालीमठहै मदà¥à¤®à¤¹à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, तà¥à¤‚गनाथ है।
🔼 यहाठथकावट को मिलता है अदà¤à¥à¤¤à¥ à¤à¤• विराम जी।
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🔼 जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड, जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड।
*(11)*
🔼 देखो जिला ये टिहरी का शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ से वीर पले।
🔼 कितने उन पर राजा के à¤à¤¾à¤²à¥‡, बरà¥à¤›à¥€, तीर चले।
🔼 à¤à¥‚खे रहे 84 दिन तक पर ना उनके नीर चले।
🔼 1944 में दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ से बनकर वे पीर चले।
🔼 मरकर वो इतिहास बन गठगाथा पूरे गà¥à¤°à¤¾à¤® की।
🔼 इस मिटà¥à¤Ÿà¥€ को à¤à¥à¤•à¤•à¤° चूमो शतà¥-शतॠकरो पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® à¤à¥€à¥¤
🔼 जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड, जय हो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड।
Galat Hai Bhai Sahab , ranjnitik karan ho Sakta hai per Katarwa parv ka mehtava Kuch aur Hai !!!!!!! Kumaon ka itihaas by B>D. Pandey !!!! the reason in the Himalayas by – Sir Holmes trang !!!!!!! Aur vibhin Taampatro me Darj Lekho Ke aadhar pe , ye bataya Gaya hai Ki !!!! Kyu Is parv ko manaya jata hai aur Kis prakaar Dehradun Chetr tak Kumaun District me aata tha !!!!! Me Koi yudh Naa Cherna Chahunga yahan Kuch likh Ker !!!! per aapki Janakari Ke Lia bata DU !!!!!!
Uttarakhand ki ekta ka prayas sarahniy h dhanyavad. Soch nayi josh naya.
That is what i and many other youth of uttarakhand want to know. Thanks a lot to author