उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की समृदà¥à¤§à¤¤à¤¾ के विसà¥à¤¤à¤¾à¤° का कोई अनà¥à¤¤ नहीं है, हमारे पà¥à¤°à¤–ों ने सालों पहले जो तीज-तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° और सामानà¥à¤¯ जीवन के जो नियम बनाये, उनमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ और विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का à¤à¤°à¤ªà¥‚र उपयोग किया था। इसी को चरितारà¥à¤¥ करता उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का à¤à¤• लोक तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° है-हरेला।
हरेले का परà¥à¤µ हमें नई ऋतॠके शà¥à¤°à¥ होने की सूचना देता है, उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ तीन ऋतà¥à¤¯à¥‡à¤‚ होती हैं- शीत, गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤® और वरà¥à¤·à¤¾à¥¤ यह तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हिनà¥à¤¦à¥€ सौर पंचांग की तिथियों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मनाये जाते हैं, शीत ऋतॠकी शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ मास से होती है, सो आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ मास की दशमी को हरेला मनाया जाता है। गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤® ऋतॠकी शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ चैतà¥à¤° मास से होती है, सो चैतà¥à¤° मास की नवमी को हरेला मनाया जाता है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से वरà¥à¤·à¤¾ ऋतॠकी शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ (सावन) माह से होती है, इसलिये à¤à¤• गते, शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ को हरेला मनाया जाता है। किसी à¤à¥€ ऋतॠकी सूचना को सà¥à¤—म बनाने और कृषि पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° होने के कारण ऋतà¥à¤“ं का सà¥à¤µà¤¾à¤—त करने की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ बनी होगी।
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में देवाधिदेव महादेव शिव की विशेष अनà¥à¤•à¤®à¥à¤ªà¤¾ à¤à¥€ है और इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में उनका वास और ससà¥à¤°à¤¾à¤² (हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° तथा हिमालय) होने के कारण यहां के लोगों में उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ विशेष शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ और आदर का à¤à¤¾à¤µ रहता है। इसलिये शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ मास के हरेले का महतà¥à¤µ à¤à¥€ इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में विशेष ही होता है। शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ मास के हरेले के दिन शिव-परिवार की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¥€ गढ़ी जाती हैं, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ डिकारे कहा जाता है। शà¥à¤¦à¥à¤§ मिटà¥à¤Ÿà¥€ की आकृतियों को पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• रंगों से शिव-परिवार की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤“ं का आकार दिया जाता है और इस दिन उनकी पूजा की जाती है।
हरेला शबà¥à¤¦ का सà¥à¤°à¥‹à¤¤ हरियाली से है, पूरà¥à¤µ में इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का मà¥à¤–à¥à¤¯ कारà¥à¤¯ कृषि होने के कारण इस परà¥à¤µ का महतà¥à¤µ यहां के लिये विशेष रहा है। हरेले के परà¥à¤µ से नौ दिन पहले घर के à¤à¥€à¤¤à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में या गà¥à¤°à¤¾à¤® के मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के à¤à¥€à¤¤à¤° सात पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के अनà¥à¤¨ (जौ, गेहूं, मकà¥à¤•à¤¾, गहत, सरसों, उड़द और à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿ) को रिंगाल की टोकरी में रोपित कर दिया जाता है। इससे लिये à¤à¤• विशेष पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ अपनाई जाती है, पहले रिंगाल की टोकरी में à¤à¤• परत मिटà¥à¤Ÿà¥€ की बिछाई जाती है, फिर इसमें बीज डाले जाते हैं। उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ फिर से मिटà¥à¤Ÿà¥€ डाली जाती है, फिर से बीज डाले जाते हैं, यही पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ ५-६ बार अपनाई जाती है। इसे सूरà¥à¤¯ की सीधी रोशनी से बचाया जाता है और पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ सà¥à¤¬à¤¹ पानी से सींचा जाता है। ९ वें दिन इनकी पाती (à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ वृकà¥à¤·) की टहनी से गà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤ˆ की जाती है और दसवें यानि कि हरेले के दिन इसे काटा जाता है। काटने के बाद गृह सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसे तिलक-चनà¥à¤¦à¤¨-अकà¥à¤·à¤¤ से अà¤à¤¿à¤®à¤‚तà¥à¤°à¤¿à¤¤ (“रोग, शोक निवारणारà¥à¤¥, पà¥à¤°à¤¾à¤£ रकà¥à¤·à¤• वनसà¥à¤ªà¤¤à¥‡, इदा गचà¥à¤› नमसà¥à¤¤à¥‡à¤¸à¥à¤¤à¥ हर देव नमोसà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡â€ मनà¥à¤¤à¥à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾) किया जाता है, जिसे हरेला पतीसना कहा जाता है। उसके बाद इसे देवता को अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया जाता है, ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ घर की बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— महिला सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को हरेला लगाती हैं। लगाने का अरà¥à¤¥ यह है कि हरेला सबसे पहले पैरो, फिर घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‡, फिर कनà¥à¤§à¥‡ और अनà¥à¤¤ में सिर में रखा जाता है और आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª यह पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कहीं जाती हैं।
जी रये, जागि रये
धरती जस आगव, आकाश जस चाकव है जये
सूरà¥à¤œ जस तराण, सà¥à¤¯à¤¾à¤µà¥‡ जसि बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ हो
दूब जस फलिये,
सिल पिसि à¤à¤¾à¤¤ खाये, जांठि टेकि à¤à¤¾à¤¡à¤¼ जाये।
{अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤-हरियाला तà¥à¤à¥‡ मिले, जीते रहो, जागरूक रहो, पृथà¥à¤µà¥€ के समान धैरà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨,आकाश के समान पà¥à¤°à¤¶à¤¸à¥à¤¤ (उदार) बनो, सूरà¥à¤¯ के समान तà¥à¤°à¤¾à¤£, सियार के समान बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ हो, दूरà¥à¤µà¤¾ के तृणों के समान पनपो,इतने दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ हो कि (दंतहीन) तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤¤ à¤à¥€ पीस कर खाना पड़े और शौच जाने के लिठà¤à¥€ लाठी का उपयोग करना पड़े।}
इस पूजन के बाद परिवार के सà¤à¥€ लोग साथ में बैठकर पकवानों का आननà¥à¤¦ उठाते हैं, इस दिन विशेष रà¥à¤ª से उड़द दाल के बड़े, पà¥à¤¯à¥‡, खीर आदि बनाये जाने का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ है। घर में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को हरेला लगाया जाता है, साथ ही देश-परदेश में रह रहे अपने रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥‹-नातेदारों को à¤à¥€ अकà¥à¤·à¤¤-चनà¥à¤¦à¤¨-पिठà¥à¤¯à¤¾à¤‚ के साथ हरेला डाक से à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है।
चैतà¥à¤° मास के पà¥à¤°à¤¥à¤® दिन हरेला बोया जाता है और नवमी को काटा जाता है। शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ मास लगने से नौ दिन पहले आषाढ़ मास में बोया जाता है और १० दिन बाद काटा जाता है और आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ मास में नवरातà¥à¤° के पहले दिन बोया जाता है और दशहरे के दिन काटा जाता है। हरेला घर मे सà¥à¤–, समृदà¥à¤§à¤¿ व शानà¥à¤¤à¤¿ के लिठबोया व काटा जाता है। हरेला अचà¥à¤›à¥€ कृषि का सूचक है, हरेला इस कामना के साथ बोया जाता है कि इस साल फसलो को नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ ना हो। हरेले के साथ जà¥à¤¡à¤¼à¥€ ये मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ à¤à¥€ है कि जिसका हरेला जितना बडा होगा उसे कृषि मे उतना ही फायदा होगा।
वैसे तो हरेला घर-घर में बोया जाता है, लेकिन किसी-किसी गांव में हरेला परà¥à¤µ को सामूहिक रà¥à¤ª से दà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¾ थान (सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤¾à¤® देवता) में à¤à¥€ मनाये जाने का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ है। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में हरेला बोया जाता है और पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¤à¥€ को आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª हरेले के तिनके पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किय जाते हैं। यह à¤à¥€ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है कि यदि हरेले के दिन किसी परिवार में किसी की मृतà¥à¤¯à¥ हो जाये तो जब तक हरेले के दिन उस घर में किसी का जनà¥à¤® न हो जाये, तब तक हरेला बोया नहीं जाता है। à¤à¤• छूट à¤à¥€ है कि यदि परिवार में किसी की गाय ने इस दिन बचà¥à¤šà¤¾ दे दिया तो à¤à¥€ हरेला बोया जायेगा।
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में हरेले के तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° को “वृकà¥à¤·à¤¾à¤°à¥‹à¤ªà¤£ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°” के रà¥à¤ª में à¤à¥€ मनाया जाता है। शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ मास के हरेला तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° के दिन घर में हरेला पूजे जाने के उपरानà¥à¤¤ à¤à¤•-à¤à¤• पेड़ या पौधा अनिवारà¥à¤¯ रà¥à¤ª से लगाये जाने की à¤à¥€ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है। माना जाता है कि इस हरेले के तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° के दिन किसी à¤à¥€ पेड़ की टहनी को मिटà¥à¤Ÿà¥€ में रोपित कर दिया जाय, पांच दिन बाद उसमें जड़े निकल आती हैं और यह पेड़ हमेशा जीवित रहता है।
इस परà¥à¤µ से संबंधित विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ जानकारी हमारे फोरम के इस लिंक पर उपलबà¥à¤§ है। आप सà¤à¥€ को हरेला परà¥à¤µ की हारà¥à¤¦à¤¿à¤• शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚।
बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾, नेपाल मे à¤à¥€ इसी उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ के साथ मनाया जाता है सावन संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾ यह परà¥à¤¬ ।सब मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ को हरिà¤à¤°à¤¿ शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡!!!!
महाराज, हमारे यहां बाराबीसी में जिमिदारों के यां हरेला नहीं बोया जाता। आमाओं से पूछा तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि “इजा, हमारे यहां बिरà¥à¥œ à¤à¤¿à¤—ाते हैं, इसलिये हरेला नहीं बोते।” हमारे यहां गà¥à¤°à¥à¤“ं (पंडितों) के यहां हरेला बोया जाता है और वे ही घर-घर हरेला पहà¥à¤‚चाते हैं। जिसकी उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ दी जाती है।
happy harela
sare bharat vasiyo ko harela ki hardik subh kamanayon……………………..
hello dosto i m mast pahadi person……happy harela to u all
dosto me ek pahadi person hu…..muje pahadi tyohar bahut pasand h…..hum apne ghar m in tyoharo ko achhe se manate h…..
इस पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° की मूल à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ से जà¥à¥œà¥€ है. à¤à¤¸à¥‡ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° को राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करके पेड़-पौधे लगाने के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ लोगों को जागरूक करना जरूरी है.
‘यदि हरेले के दिन किसी परिवार में किसी की मृतà¥à¤¯à¥ हो जाये तो जब तक हरेले के दिन उस घर में किसी का जनà¥à¤® न हो जाये, तब तक हरेला बोया नहीं जाता है। à¤à¤• छूट à¤à¥€ है कि यदि परिवार में किसी की गाय ने इस दिन बचà¥à¤šà¤¾ दे दिया तो à¤à¥€ हरेला बोया जायेगा।’
-पहाड़ों में यह परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ अनà¥à¤¯ तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के लिठà¤à¥€ मानà¥à¤¯ है.
हरेले का तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤° तो बचपन से ही मनता देखते आ रहे हैं और यहाठपà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ में आज à¤à¥€ यथा शकà¥à¤¤à¤¿ मनाते हैं.लेकिन इस लेख से कà¥à¤› à¤à¤¸à¥€ बातें à¤à¥€ पता चलीं जो अब तक जà¥à¤žà¤¾à¤¤ नहीं थीं.
Mujhe uttrakhandi hone ka garv hai, yahan ki riti revaj tyoahar mujhe pasand hai.
हरेला पर यह लेख अचà¥à¤›à¤¾ लगा। à¤à¤• अनà¥à¤°à¥‹à¤§ है। कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ नहीं हो सकता कि पूरे वरà¥à¤· के अपने तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° व हरेला जैसे तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से समà¥à¤¬à¤¦à¥à¤§ हरेला बोने के दिन का पूरा पंचांग सा बनाकर उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ बà¥à¤²à¥‰à¤—à¥à¤¸ में लगा दिया जाà¤à¥¤ यदि à¤à¤¸à¤¾ किया जाठतो पहाड़ से दूर रहने वालों का कोई तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° छूटेगा नहीं।
घà¥à¤˜à¥‚ती बासूती
[…] तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° à¤à¥€ हरेले की ही तरह ऋतॠआधारित तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° है, हरेला […]
[…] और बीजों से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° "हरेला" है, पिथौरागढ में मनाया जाने वाला […]
हरेला तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤° का सिरà¥à¤« हमे ही नही बलà¥à¤•à¤¿
हर उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की नारी को इनà¥à¤¤à¤œà¤¾à¤° रहता है
हरेली तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° आलौ त आपण मैत जूल कनै तो सब यो तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° क à¤à¤²à¥€ à¤à¤¾à¤¤à¤¿ मनाया
मै त घर बै à¤à¥Œà¤¤ दà¥à¤° छॠपर मेरी इचà¥à¤›à¤¾ घर आहै à¤à¥Œà¤¤à¥‡ कररै
कलैकी हरयावै दिन मेरी दीदी आली मेरी बैणी आली
तो कतॠà¤à¥Œà¤² लागल घर मै
सबà¥à¤•à¥ˆ हरयावै तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‡à¤•à¥€
बधाà¤à¤ˆà¤¯à¤¾
sabhi pahadi bhaiyo ko harela utsav mubark ho kayo ki ye ek esa utsav he jo hame ye batata he ki rituwe aa gayi he inka welcome karo or sabhi me payar ka sandesh bato or ek dusre se payar karo,
[…] फोटो: मेरा पहाड़ संबंधित लेख….अनशन की सीमायेंइंदिरा राही à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ काल से ही उपवास की à¤à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤• परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ रही है। मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ में à¤à¥€…समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•à¥€à¤¯ : जनता बेवकूफ ना बने तो कà¥à¤¯à¤¾ करे….सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ रामदेव के बच जाने और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ निगमाननà¥à¤¦ के शहीद हो जाने के बाद देश और पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की राजनीति का कà¥à¤°à¥‚…बहà¥à¤¤à¥ कठिन है डगर पनघट की…वह à¤à¤• अजीब दृशà¥à¤¯ था। चैनल उसे सनसनीखेज बनाना चाहते थे और वह लगातार हासà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤ªà¤¦ होता चला जा रहा था। à¤à¤‚…चिटà¥à¤ à¥à¤ ी पतà¥à¤°à¥€ :à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤°,नगर निगम और बà¥à¤°à¤œ मोहन शरà¥à¤®à¤¾1-14 जून के अंक में à¤à¥à¤µà¤¨ बिषà¥à¤Ÿ का आलेख ‘à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° से तरकà¥à¤•à¥€ का रासà¥à¤¤à¤¾ है हजारे जी’ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾…à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° तो तरकà¥à¤•à¥€ का रासà¥à¤¤à¤¾ है हजारे जी !‘पूरे देश का कहना है अनà¥à¤¨à¤¾ हजारे गहना है।’ ‘जब तक सूरज चांद रहेगा अनà¥à¤¨à¤¾ तेरी बात कहेगा’, ‘अनà¥à¤¨à¤¾ नहीं… […]
achha shodh aadhaarit lekh lagta he.
sach me yaar apne pahaadi elaake jesha koi nahi i really love my uttrakhand
Thanks sir apne aacha lake likha hai hame garve hua ke hamare tyohare ko aapne sarvjanik kiya hai ham aapke aabhari hai
हम टेहरी गà¥à¤µà¤¾à¤² से हैं वहां पर चैत माह के नवरातà¥à¤°à¥‹à¤‚ तथा आशà¥à¤µà¤¿à¤¨ के नवरातà¥à¤°à¥‹à¤‚ में हरियाली बोई जाती है इसे देवी माठकी पूजा के रूप में बोया जाता है। हरेला के बारे में विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से जानकर अति पà¥à¤°à¤¶à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤
जानकारी अचà¥à¤›à¥€ लगी, लेखक को आà¤à¤¾à¤°
harela parv ki sabhi uttarakhand k bhai bahen ko badhai
i am vicky garia from bageshwar live chandigarh
i like love harela festival i missing my childhood days uk i love uk
bahut achi jaankari mili or kafi acha lagta hai jb kuch hme nya content milta hai aapne uttrakhand ke baare or sabse achi bat yaha hai ki jo jaager hm roj ghr me dekhte the aaj us
ke baare me bhi padh liya or samjh bhi liya
Kisi ne theek kaha ke yadi pure verse ka panchang kumaoni tuoharoi ke anusar ban jaye to perdesh mei rahane waloi ko suvidha ho jay.
हरेला परà¥à¤µ कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤à¤¨à¥€ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¾à¤£ है।हमारे पिताजी डा० नारायणदतà¥à¤¤ पालीवाल जी जब तक जीवित रहे,उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें इस परà¥à¤µ से जोड़े रखा। यदि हमें हरेला की सही तिथि पता रहे तो हम à¤à¥€ इस परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ को आगे बढ़ा सकते हैं।सà¤à¥€ को हरेला परà¥à¤µ मà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤•à¥¤
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Maine bhee bahut achhi trah se manaaya hai es tyohar ko par ab bahut jyaada miss karta hun
आप सà¤à¥€ को हरेला परà¥à¤µ की हारà¥à¤¦à¤¿à¤• शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚।
And special thank मà¥à¤¯à¤¾à¤° पहाड़ team,
they give us a very beautiful, and useful information about this festival…
Nice bahut badiy yaaro
Nice
Happy Harela Festival to all
A greatfull thanks from bottom of my heart for above information
हरेला परà¥à¤µ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ जानकारी बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ लगी।लेखक को साधà¥à¤µà¤¾à¤¦à¥¤
हरेला परà¥à¤µ की सारगरà¥à¤à¤¿à¤¤ जानकारी के लिठधनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ । हरेला गढ़वाल में उतना पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ नहीं जितना कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤ में । अलबतà¥à¤¤à¤¾ शारदेय और चैतà¥à¤° नवरातà¥à¤°à¥‹à¤‚ में जौ की हरियाली का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ गढ़वाल में अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• है ।
Just kisi NE is parv ki janjari ko duso ko btaya unka
Thanks but haert
Harela parva ke bare me our jaanna chahta hoon ki kya dobaara harela parva Suru karne ke liye kisi bachche ke paida hone ke alawa bachhde ka janm Lene ke alawa bhi koi our niyam h jis Ko karke bhi harele parva fhir se suruat ki ja sake kyonki Kai dashko se hamaare pariwar me koi bhi baby paida nahin hua. Please tell me
हरेले पर सà¥à¤‚दर लेख हेतॠधनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤ à¤à¤• तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¤¿ है कृपया ठीक कर लें। उरद, मडà¥à¤µà¤¾ व à¤à¤Ÿ नही बोये जाते।
धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥¤
[…] Source : http://www.merapahad.com […]