ऋतà¥à¤“ं के सà¥à¤µà¤¾à¤—त का तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°- हरेला
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की समृदà¥à¤§à¤¤à¤¾ के विसà¥à¤¤à¤¾à¤° का कोई अनà¥à¤¤ नहीं है, हमारे पà¥à¤°à¤–ों ने सालों पहले जो तीज-तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° और सामानà¥à¤¯ जीवन के जो नियम बनाये, उनमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ और विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का à¤à¤°à¤ªà¥‚र उपयोग किया था। इसी को चरितारà¥à¤¥ करता उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का à¤à¤• लोक तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° है-हरेला। हरेले का परà¥à¤µ हमें नई ऋतॠके शà¥à¤°à¥ होने […]
à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€ – उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में महिलाओं को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤• विशिषà¥à¤Ÿ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ राजà¥à¤¯ में कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚-गढवाल मणà¥à¤¡à¤² के पहाड़ी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° अपनी विशिषà¥à¤Ÿ लोक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं और तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को कई शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से सहेज रहे हैं| यहाठपà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ कई à¤à¤¸à¥‡ तीज-तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हैं, जो सिरà¥à¤« इस अंचल में ही मनाये जाते हैं. जैसे कृषि से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हैं हरेला और फूलदेई, माठपारà¥à¤µà¤¤à¥€ को अपने गाà¤à¤µ की बेटी मानकर उसके मायके […]