उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का लोक परà¥à¤µ घà¥à¤˜à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ तà¥à¤¯à¤¾à¤°
मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ का तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° वैसे तो पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है और यही तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हमारे देश के अलग-अलग हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में अलग-अलग नाम और तरीके से मनाया जाता है। इस तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° को हमारे उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में “उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£à¥€” के नाम से मनाया जाता है। कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ में यह तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° घà¥à¤˜à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ के नाम से […]
पशà¥à¤§à¤¨ की कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ की कामना का परà¥à¤µ “खतडà¥à¤µà¤¾”
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ से ही कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ आजीविका का मà¥à¤–à¥à¤¯ सà¥à¤°à¥‹à¤¤ रहा है। जटिल à¤à¥Œà¤—ोलिक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कारण वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ नगणà¥à¤¯ थीं, लेकिन कम उपजाऊ जमीन होने के बावजूद कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ ही जीवनयापन के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आधार थे। आज à¤à¥€ कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ कई पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• लोक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤à¤‚ और तीज-तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° पहाड़ के […]
घी-तà¥à¤¯à¤¾à¤° : उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का à¤à¤• लोक उतà¥à¤¸à¤µ
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ à¤à¤• कृषि पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ राजà¥à¤¯ है, आदिकाल से यहां की सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ जल, जंगल और जमीन से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ संसाधनों पर आधारित रही है। जिसकी पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ यहां के लोक तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° करते हैं, पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और कृषि का यहां के लोक जीवन में बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µ है, जिसे यहां की सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ अपने लोक तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करती है। […]