पशà¥à¤§à¤¨ की कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ की कामना का परà¥à¤µ “खतडà¥à¤µà¤¾”
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ से ही कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ आजीविका का मà¥à¤–à¥à¤¯ सà¥à¤°à¥‹à¤¤ रहा है। जटिल à¤à¥Œà¤—ोलिक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कारण वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ नगणà¥à¤¯ थीं, लेकिन कम उपजाऊ जमीन होने के बावजूद कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ ही जीवनयापन के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आधार थे। आज à¤à¥€ कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ कई पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• लोक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤à¤‚ और तीज-तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° पहाड़ के […]