सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾-हितरधीता से दूं à¤à¥à¤•à¤¾ जगदीश को,
मां के पदों में सà¥à¤®à¤¨ सा रख दूं समरà¥à¤ªà¤£ शीश को।
अपनी जननी-जनà¥à¤®à¤à¥‚मि के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤¸à¥€ अपार बलिदानी à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रखने वाले तरà¥à¤£ तपसà¥à¤µà¥€ अमर शहीद शà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ जी का जनà¥à¤® टिहरी गà¥à¤µà¤¾à¤² जिले की बमà¥à¤£à¥à¤¡ पटà¥à¤Ÿà¥€ के गà¥à¤°à¤¾à¤® जौल में १२ मई, १९१५ को हà¥à¤† था। इनके पिता का नाम शà¥à¤°à¥€ हरिराम बड़ोनी और माता जी का नाम शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ तारा देवी था। इनके पिता शà¥à¤°à¥€ हरिराम बडोनी जी अपने इलाके के लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ वैदà¥à¤¯ थे, १९१९ में जब कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में हैजे का पà¥à¤°à¤•à¥‹à¤ª हà¥à¤† तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी परवाह किये बिना रोगियों की अथाह सेवा की, जिसके फलसà¥à¤µà¤°à¥à¤ª वे ३६ वरà¥à¤· की अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥€ हैजे के शिकार हो गये। लेकिन दृà¥à¤¨à¤¿à¤¶à¥à¤šà¤¯à¥€ साधà¥à¤µà¥€à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ ने धैरà¥à¤¯ के साथ बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का उचित पालन-पोषण किया और शिकà¥à¤·à¤¾-दीकà¥à¤·à¤¾ का उचित पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ à¤à¥€ किया। तथà¥à¤¯ यह है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने पिता से लोक सेवा और माता से दृढनिशà¥à¤šà¤¯ के संसà¥à¤•à¤¾à¤° पैतृक रà¥à¤ª में पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किये थे। इनकी पतà¥à¤¨à¥€ का नाम शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ विनय लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ सà¥à¤®à¤¨ है, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हर कारà¥à¤¯ में इनका सहयोग किया, वे देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से दो बार विधायक à¤à¥€ चà¥à¤¨à¥€ गईं।
इनकी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ अपने गांव और चमà¥à¤¬à¤¾à¤–ाल में हà¥à¤ˆ और १९३१ में टिहरी से हिनà¥à¤¦à¥€ मिडिल की परीकà¥à¤·à¤¾ उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ की। अपने विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ जीवन में १९३० में जब यह किसी काम से देहरादून गये थे तो सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¥€ जतà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को देखकर वे उनमें शामिल हो गये, इनको १४-१५ दिन की जेल हà¥à¤ˆ और कà¥à¤› बेंतों की सजा देकर छोड़ दिया गया। सन १९३१ में ये देहरादून गये और वहां नेशनल हिनà¥à¤¦à¥‚ सà¥à¤•à¥‚ल में अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¥€ करने लगे, साथ ही साथ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ à¤à¥€ करते रहे। यहां से यह कà¥à¤› दिनों के लिये लाहौर à¤à¥€ गये और उसके बाद दिलà¥à¤²à¥€ आ गये। पंजाब विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ से इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ’रतà¥à¤¨â€™ ’à¤à¥‚षण’ और ’पà¥à¤°à¤à¤¾à¤•à¤°â€™ परीकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ की फिर हिनà¥à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯ समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ की ’विशारद’ और ’साहितà¥à¤¯ रतà¥à¤¨â€™ की परीकà¥à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¥€ उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ कीं।
दिलà¥à¤²à¥€ में इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤› मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के सहयोग से देवनागरी महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की और १९३ॠमें “सà¥à¤®à¤¨ सौरà¤â€ नाम से अपनी कवितायें à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ कराईं। इस बीच यह पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ हà¥à¤¯à¥‡ और à¤à¤¾à¤ˆ परमाननà¥à¤¦ के अखबार ’हिनà¥à¤¦à¥‚’ में कारà¥à¤¯ किया, फिर ’धरà¥à¤® राजà¥à¤¯â€™ पतà¥à¤° में कारà¥à¤¯ किया। इसी दौरान यह वरà¥à¤§à¤¾ गये और राषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¤¾à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में काम करने लगे, इस दौरान वे काका कालेलकर, शà¥à¤°à¥€ बा०वि० पराड़कर, लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€à¤§à¤° बाजपेई आदि के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आये। वहां से यह इलाहाबाद चले आये और वहां पर ’राषà¥à¤Ÿà¥à¤° मत’ नामक समाचार पतà¥à¤° में सहकारी समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• के रà¥à¤ª में काम करने लगे। साहितà¥à¤¯ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में यह तेजी से आगे बढ रहे थे, लेकिन जनता की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• सेवा करने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से १९३ॠमें इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दिलà¥à¤²à¥€ में ’गà¥à¤¦à¥‡à¤¶-सेवा-संघ†की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की जो बाद में ’हिमालय सेवा संघ’ के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ १९३८ में यह गà¥à¤µà¤¾à¤² à¤à¥à¤°à¤®à¤£ पर गये और जिला राजनैतिक समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨, शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हà¥à¤¯à¥‡ और इस अवसर पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जवाहर लाल नेहरॠजी को गà¥à¤µà¤¾à¤² राजà¥à¤¯ की दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ से परिचित करया। वहीं से इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जिला गà¥à¤µà¤¾à¤² और राजà¥à¤¯ गà¥à¤µà¤¾à¤² की à¤à¤•à¤¤à¤¾ का नारा बà¥à¤²à¤¨à¥à¤¦ किया।
अब शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ जी पूरी तरह से सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• जीवन में आ गये और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पूरे राजà¥à¤¯ में à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कर जन-जागरà¥à¤•à¤¤à¤¾ का कारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥ कर दिया। २३ जनवरी, १९३९ को देहरादून में टिहरी राजà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤œà¤¾ मणà¥à¤¡à¤²Â की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हà¥à¤ˆ, जिसमें यह संयोजक मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ चà¥à¤¨à¥‡ गये। इसी माह में जब जवाहर लाल नेहरॠकी अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ में अखिल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ देशी राजà¥à¤¯ लोक परिषद का लà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾ अधिवेशन हà¥à¤† तो इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने टिहरी और अनà¥à¤¯ हिमालयी रियासतों की समसà¥à¤¯à¤¾ को राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर पहूंचाया। हिमालय सेवा संघ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हिमालय पà¥à¤°à¤¾à¤‚तीय देशी राजà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤œà¤¾ परिषद का गठन किया और उसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में जागृति और चेतना लाने का काम किया।इस बीच लैंसडाउन से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ ’करà¥à¤®à¤à¥‚मि’ पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ के समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ मंडल में शामिल होकर कई विचारपूरà¥à¤£ लेख लिखे और बनारस में हिमालय राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ शिकà¥à¤·à¤¾ परिषद की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ कर ’हिमांचल’ नाम की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• छपवाकर रियासत में बंटवाई। यहीं से यह रियासत के अधिकारियों की नजर में आ गये और रियासत दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इनके à¤à¤¾à¤·à¤£ देने और सà¤à¤¾ करने पर रोक लगा दी गई। वे इससे विचलित नहीं हà¥à¤¯à¥‡ और यरवदा चकà¥à¤° लेकर जनता को जागरà¥à¤• करते रहे। रियासत के अधिकारियों ने इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नौकरी और लाठका à¤à¥€ लालच दिया, लेकिन ये उनके à¤à¤¾à¤‚से में नहीं आये तो इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ रियासत से निरà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¤ कर दिया गया। कà¥à¤› दिनों बाद इनके तरà¥à¤•à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विरोध के कारण इनका निरà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ रदà¥à¤¦ कर दिया गया।
अगसà¥à¤¤ १९४२ में जब à¤à¤¾à¤°à¤¤ छोड़ो आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हà¥à¤† तो टिहरी आते समय इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ २९ अगसà¥à¤¤, १९४२ को देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— में ही गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर लिया गया और १० दिन मà¥à¤¨à¤¿ की रेती जेल में रखने के बाद ६ सितमà¥à¤¬à¤° को देहरादून जेल à¤à¥‡à¤œ दिया गया। à¥à¤¾à¤ˆ महीने देहरादून जेल में रखने के बाद इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आगरा सेनà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤² जेल à¤à¥‡à¤œ दिया गया, जहां ये १५ महीने नजरबनà¥à¤¦ रखे गये। इस बीच टिहरी रियासत की जनता लगातार लामबंद होती रही और रियासत उनका उतà¥à¤ªà¥€à¥œà¤¨ करती रही। टिहरी रियासत के जà¥à¤²à¥à¤®à¥‹à¤‚ के संबंध में इस दौरान जवाहर लाल नेहरॠने कहा कि टिहरी राजà¥à¤¯ के कैदखाने दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° में मशहूर रहेंगे, लेकिन इससे दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में रियासत की कोई इजà¥à¤œà¤¤ नहीं बॠसकती। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में यह १९ नवमà¥à¤¬à¤°, १९४३ को आगरा जेल से रिहा हà¥à¤¯à¥‡à¥¤ यह फिर टिहरी की जनता के अधिकारों को लेकर अपनी आवाज बà¥à¤²à¤¨à¥à¤¦ करने लगे, इनके शबà¥à¤¦ थे कि मैं अपने शरीर के कण-कण को नषà¥à¤Ÿ हो जाने दूंगा लेकिन टिहरी के नागरिक अधिकारों को कà¥à¤šà¤²à¤¨à¥‡ नहीं दूंगा। इस बीच इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दरबार और पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤®à¤£à¥à¤¡à¤² के बीच समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤œà¤¨à¤• समà¤à¥Œà¤¤à¤¾ कराने का संधि पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ à¤à¥€ à¤à¥‡à¤œà¤¾, लेकिन दरबारियों ने उसे खारिज कर इनके पीछे पà¥à¤²à¤¿à¤¸ और गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤šà¤° लगवा दिये। २ॠदिसमà¥à¤¬à¤°, १९४३ को इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चमà¥à¤¬à¤¾à¤–ाल में पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर लिया और ३० दिसमà¥à¤¬à¤° को टिहरी जेल à¤à¤¿à¤œà¤µà¤¾ दिया गया, जहां से इनका शव ही बाहर आ सका।
३० दिसमà¥à¤¬à¤°, १९४३ से २५ जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ, १९४४ तक २०९ दिन इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने टिहरी की नारकीय जेल में बिताये, इस दौरान इन पर कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° होते रहे, à¤à¥‚ठे गवाहों के आधार पर जब इन पर मà¥à¤•à¤¦à¤®à¤¾ दायर किया गया तो इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी पैरवी सà¥à¤µà¤¯à¤‚ की और लिखित बयान दिया कि “मैं इस बात को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करता हूं कि मैं जहां अपने à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश के लिये पूरà¥à¤£ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ के धà¥à¤¯à¥‡à¤¯ में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करता हूं। वहां टिहरी राजà¥à¤¯ में मेरा और पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤®à¤‚डल का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ वैध व शांतिपूरà¥à¤£ उपायों से शà¥à¤°à¥€ महाराजा की छतà¥à¤°à¤›à¤¾à¤¯à¤¾ में उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥€ शासन पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना और सेवा के साधन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ राजà¥à¤¯ की सामाजिक, आरà¥à¤¶à¤¿à¤• तथा सब पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ करना है, हां मैंने पà¥à¤°à¤œà¤¾ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ काले कानूनों और कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की अवशà¥à¤¯ आलोचना की है और मैं इसे पà¥à¤°à¤œà¤¾ का जनà¥à¤®à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ अधिकार समà¤à¤¤à¤¾ हूं।†लेकिन इस पर à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिये बिना à¤à¥‚ठे मà¥à¤•à¤¦à¤®à¥‡ और फरà¥à¤œà¥€ गवाहों के आधार पर ३१ जनवरी, १९४४ को दो साल का कारावास और २०० रà¥à¤ªà¤¯à¤¾ जà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¾ लगाकर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सजायाफà¥à¤¤à¤¾ मà¥à¤œà¤°à¤¿à¤® बना दिया गया। इस दà¥à¤°à¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से खीà¤à¤•à¤° इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने २९ फरवरी से २१ दिन का उपवास पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ कर दिया, जिससे जेल के करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ कà¥à¤› à¤à¥à¤•à¥‡, लेकिन जब महाराजा से कोई बातचीत नहीं कराई गई तो इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उसकी मांग की, लेकिन बदले में बेंतों की सजा इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मिली। किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का उतà¥à¤¤à¤° न मिलने पर इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ३ मई, १९४४ से अपना à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• आमरण अनशन शà¥à¤°à¥ कर दिया। इस बीच इनपर कई पाशविक अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° किये गये, इनके मनोबल को डिगाने की कोशिश की, लेकिन यह अपने विरोध पर कायम रहे। जब इनके अनशन के समाचार जनता तक पहà¥à¤‚चे तो जनता उदà¥à¤µà¤¿à¤—à¥à¤¨ हà¥à¤ˆ, सो रियासत ने यह अफवाह फैला दी कि शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ ने अनशन समापà¥à¤¤ कर दिया है और ४ अगसà¥à¤¤ को महाराजा के जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ पर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ रिहा कर दिया जायेगा।
à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ सà¥à¤®à¤¨ जी को à¤à¥€ दिया गया, लेकिन सà¥à¤®à¤¨ जी ने कहा कि “कà¥à¤¯à¤¾ मैंने अपनी रिहाई के लिये यह कदम उठाया है। à¤à¤¸à¤¾ मायाजाल डालकर आप मà¥à¤à¥‡ विचलित नहीं कर सकते। अगर पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤®à¤£à¥à¤¡à¤² को रजिसà¥à¤Ÿà¤°à¥à¤¡ किये बिना मà¥à¤à¥‡ रिहा कर दिया गया तो मैं फिर à¤à¥€ अपना अनशन जारी रखूंगा।â€Â अनशन से इनकी हालत बिगड़ती गई और जेल के अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° à¤à¥€, जेल के करà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने यह पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करवा दिया कि इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नà¥à¤¯à¥‚मोनिया हो गया है, लेकिन इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कà¥à¤¨à¥ˆà¤¨ के इनà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤µà¥‡à¤¨à¤¸ इनà¥à¤œà¥‡à¤•à¥à¤¶à¤¨ लगाये गये। जिससे इनके सारे शरीर में खà¥à¤¶à¥à¤•à¥‡ फैल गई और ये पानी-पानी चिलà¥à¤²à¤¾à¤¤à¥‡ रहà¥à¤¤à¥‡ और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पानी न दिया जाता। २० जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ की रात से ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बेहोशी आने लगी और २५ जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ, १९४४ को शाम करीब चार बजे इस अमर सेनानी ने अपने देश, अपने आदरà¥à¤¶ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिये अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹ की आहà¥à¤¤à¤¿ दे दी। इसी रात को जेल पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ ने इनकी लाश à¤à¤• कमà¥à¤¬à¤² में लपेट कर à¤à¤¾à¤—ीरथी और à¤à¤¿à¤²à¤‚गना के संगम से नीचे तेज पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ में फेंक दी।
इनकी शहादत का जनता पर बहà¥à¤¤ गहरा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा और उसने राजशाही के खिलाफ खà¥à¤²à¤¾ विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ कर दिया, इनके बलिदान के बाद जनता के आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ ने टिहरी रियासत को पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤®à¤£à¥à¤¡à¤² को वैधानिक करार दी पर मजबूर कर दिया, मई १९४ॠमें उसका पà¥à¤°à¤¥à¤® अधिवेशन हà¥à¤†à¥¤ १९४८ में तो जनता ने देवपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, कीरà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤—र और टिहरी पर अधिकार कर लिया और पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤®à¤£à¥à¤¡à¤² का मंतà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤°à¤¿à¤·à¤¦ गठित हà¥à¤†à¥¤Â इसके बाद १ अगसà¥à¤¤, १९४९ को टिहरी गà¥à¤µà¤¾à¤² राजà¥à¤¯ का à¤à¤¾à¤°à¤¤ गणराजà¥à¤¯ में विलीनीकरण हो गया।
इस अमर सेनानी को यà¥à¤—ो-यà¥à¤—ों तक याद किया जायेगा, इनकी याद को अकà¥à¤·à¥à¤£à¥à¤£ रखने के लिये पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में कई विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹, चिकितà¥à¤¸à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ का नाम इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया है। हमने à¤à¥€ इस महान बलिदानी को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¸à¥à¤®à¤¨ अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤¯à¥‡ दिनांक ३० अगसà¥à¤¤, २००८ को इनके à¤à¤• पोसà¥à¤Ÿà¤° का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ किया, जो सबसे ऊपर पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ है। MeraPahad Dot Com Network, Uttarakhand इस अमर बलिदानी को अशà¥à¤°à¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤¯à¥‡Â पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ और केनà¥à¤¦à¥à¤° सरकार से मांग करता है कि टिहरी बांध पर बनी à¤à¥€à¤² का नाम शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ सागर रखा जाय।
शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ के बलिदान के फलसà¥à¤µà¤°à¥à¤ª ही टिहरी में सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ आई और देश की आजादी में à¤à¥€ उनकी शहादत से कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ आई।
आपका बलिदान हमेशा ही हमें पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देता रहा है और रहेगा।
नमन à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि
i also salam suman ji ko
शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ जी की पà¥à¤£à¥à¤¯ तिथि के उपलकà¥à¤·à¥à¤¯ में हम शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ सà¥à¤®à¤¨ अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हैं.
suman ji ki jai,ho……
अमर शहीद शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ को उनकी पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¤à¤¿à¤¥à¥€ पर सादर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जली
शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ जी को “उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड जनशकà¥à¤¤à¤¿ यà¥à¤µà¤¾ मंच” की ओर से संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· होने के नाते मैं अपने शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ सà¥à¤®à¤¨ अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करता हूठऔर टिहरी à¤à¥€à¤² का नाम शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ का नाम रखने का समरà¥à¤¥à¤¨ करता हूà¤à¥¤
[…] ही नहीं पूरे उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है। शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ की टिहरी से लेकर ऋषिबलà¥à¤²à¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤² […]
[…] हो सकता है उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के सामने शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨, नागेनà¥à¤¦à¥à¤° सकलानी जैसे नाम बहà¥à¤¤ छोटे […]
अपने देश मै à¤à¤¸à¥‡ महान वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की दोबारा आवशयकता हैठजो इस देश के राज नेता को सà¥à¤§à¤¾à¤° सकेà¤
mai shree dev suman ji ko apna guru maanataa hu mai v unke vicharoun par chalata hu. wo 1 mahan krantikari rhe hai, Agar Yamraaj ne mujhe apne pass bulaa liya to unse mai 1 hi vinati karunga ki he iswar mujhe kewal 1 baar shree dev suman ji or nirmal pandit se milawa de. mai sadaa aapki gulaami ke liye tatpar hu. jay hind jay uttarakhand
9654611999
Mera Sabhi Pahadi Banduoun se Vinamr Niwedan Hai Ki Uttarakhand ke Liye Hone Waale Har Ek Aandolan Me Mujhe Bhi Apne Sath Len.
Sarfaroshi Ki tamanna Ab hamaare DIL me hai…………… I Love Uttarakhand
-जनपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¥€ ही नहीं सामाजिक संगठन à¤à¥€ जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° हैं महापà¥à¤°à¥‚षों के अनादर के लिà¤
-अमर शहीद शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ के बलिदान दिवस
25 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ को सांय गढ़वाल à¤à¤µà¤¨ पंचकà¥à¤¯à¤¾ रोड़ दिलà¥à¤²à¥€ में देश की आजादी व टिहरी में राजशाही से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठअपना बलिदान देने वाले महान कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिवीर शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ का बलिदान दिवस मनाया गया। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि यहां जो महान कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी हà¥à¤ उनको यहां के नेताओं ने समाज कहीं जागृत न हो कर उनको लोकशाही को रौंदने से खदेड़ न दें इसी à¤à¤¯ से व अपनी संकीरà¥à¤£ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ के कारण यहां के महापà¥à¤°à¥‚षों के विराट वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को गà¥à¤®à¤¨à¤¾à¤®à¥€ में रखने का षडयंतà¥à¤° रचते हैं वहीं दूसरी तरफ हमारे समाज की अधिकांश सामाजिक संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं में à¤à¤¸à¥‡ लोग काबिज रहते हैं जिनका न तो मानसिक सà¥à¤¤à¤° à¤à¤¸à¤¾ होता है व नहीं इनके जीवन की राह ही इन महापà¥à¤°à¥‚षों की महता को समà¤à¤¨à¥‡ में सकà¥à¤·à¤® होता है। इसके कारण ये अधिकांश संसà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ अपने महापà¥à¤°à¥‚षों को न तो याद करते हैं अगर कोई à¤à¤•à¤¾à¤¦ ने उस महापà¥à¤°à¥‚ष को याद à¤à¥€ कर लिया तो वे समाज में जनहित के कारà¥à¤¯à¥‹ में लगे वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारियों को समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देने के बजाय महापà¥à¤°à¥‚षों के आदरà¥à¤¶à¥‹ को रौंदने वाले राजनेताओं, धनपशà¥à¤“ं आदि को मंचासीन करके महापà¥à¤°à¥‚षों को ही à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से अपमान करने का कारà¥à¤¯ à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से कर देते है। इसी कारण देवà¤à¥‚मि व मनीषियों की à¤à¥‚मि समà¤à¥€ जाने वाली उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में राजà¥à¤¯ गठन के बाद à¤à¤¸à¥€ जनविरोधी व सतà¥à¤¤à¤¾à¤²à¥‹à¤²à¥à¤ªà¥ हà¥à¤•à¥à¤®à¤°à¤¾à¤¨ सतà¥à¤¤à¤¾à¤¸à¥€à¤¨ हà¥à¤ जिनके कृतà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व कà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ से विशà¥à¤µ में अपनी ईमानदारी व करà¥à¤®à¤ ता का परचम फेहराने वाले उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ आज इन 12 सालों में देश का सबसे à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¥à¤¤à¤® राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¤• हो गया है।
25 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ को गढ़वाल à¤à¤µà¤¨ दिलà¥à¤²à¥€ में दिलà¥à¤²à¥€ की सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं में से à¤à¤• टिहरी उतà¥à¤¤à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¥€ जनविकास परिषद ने शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ का बलिदान दिवस मनाया। संसà¥à¤¥à¤¾ के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· गंà¤à¥€à¤° सिंह नेगी व सà¤à¤¾ के संचालक दाताराम जोशी के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ व चंद दिन पहले तक टिहरी उतà¥à¤¤à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¥€ के सांसद रहे विजय बहà¥à¤—à¥à¤£à¤¾ व केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ राजà¥à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ हरीश रावत सहित अनैक जनपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया गया था। परनà¥à¤¤à¥ इस आयोजन में उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिदल के शीरà¥à¤· नेता काशीसिंह à¤à¤°à¥€, पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª नगर के विधायक विकà¥à¤°à¤® नेगी, समाजसेवी जोध सिंह बिषà¥à¤Ÿ, रेल के अधिकारी शà¥à¤°à¥€ लोहानी सहित अनà¥à¤¯ समाजसेवियों ने अपनी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ की। संसà¥à¤¥à¤¾ के पदाधिकारी सà¤à¤¾ में आशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¤¨ देते रहे कि हमारे नेता आने ही वाले है परनà¥à¤¤à¥ अंतिम समय तक इनके सà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤® धनà¥à¤¯ नेताओं ने इस सà¤à¤¾ में आ कर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¥‡à¤¯ सà¥à¤®à¤¨ को अपनी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि देने की जरूरत नहीं समà¤à¥€à¥¤ या तो नेता à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ की महता को अà¤à¥€ तक न समà¤à¥‡ हों या वे आयोजकों की महता। हालांकि मà¥à¤à¥‡ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ था कि मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ विजय बहà¥à¤—à¥à¤£à¤¾ अगर दिलà¥à¤²à¥€ में हैं तो यहां पर अवशà¥à¤¯ आयेंगे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चंद महिनों के अंदर ही टिहरी उतà¥à¤¤à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¥€ संसदीय कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से लोकसà¤à¤¾ उप चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में अपने कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¶à¥€ को चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ समर में उतारना है। परनà¥à¤¤à¥ वे à¤à¥€ नहीं आये। परनà¥à¤¤à¥ सà¤à¤¾ में कई अगà¥à¤°à¤£à¥€ आंदोलनकारी व समाजसेवी चिंतक थे परनà¥à¤¤à¥ सà¤à¤¾ के आयोजकों को उनकी सà¥à¤§ लेने की फà¥à¤°à¥à¤¸à¤¤ तक नहीं। लगता है ये आयोजक शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ को सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ विशेष तक उनको सीमित रखना चाहते। जबकि शà¥à¤°à¥€ देव सà¥à¤®à¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°, जाति, धरà¥à¤® से उपर उठकर पूरे मानवीय समाज व देश की लोकशाही के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ रहे। यहां सवाल केवल टिहरी उतà¥à¤¤à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¥€ जनविकास परिषद का नहीं अपितॠअधिकांश उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡à¥€ संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं का है। शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ को समà¤à¤¨à¥‡ वाला और मानने वाला आदमी कà¤à¥€ लोकशाही को थोपशाही का तथा लोकशाही को अपने निहित सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹ -सतà¥à¤¤à¤¾à¤²à¥‹à¤²à¥à¤ªà¤¤à¤¾ के लिठरौंदने वालों को उनके बलिदान दिवस पर कà¤à¥€ अतिथि बनाने व समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ करने की अकà¥à¤·à¤®à¥à¤¯ à¤à¥‚ल नहीं करता। परनà¥à¤¤à¥ देखने में यह आ रहा है कि हमारे समाज के अधिकांश सामाजिक संगठनों में को शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ या चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¸à¤¿à¤‚ह गढ़वाली या बाबा मोहन उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡à¥€ जैसे अमर सूपतों के विराट वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ से नहीं अपितॠलोकशाही व जनहितों को रौंदने वाले नेताओं के गले में माला डाल कर व उनके साथ तसà¥à¤µà¥€à¤° खिंचा कर अपने तà¥à¤šà¥à¤› अहं को तà¥à¤·à¥à¤Ÿ करने के अलावा किसी से कà¥à¤› सरोकार नहीं है। सामाजिक संगठन तो à¤à¤• तरफ हमारे बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ समà¤à¥‡ जाने वाले पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° संगठन व पà¥à¤°à¤¥à¤® शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ के अधिकारियों की तथाकथित बड़ी संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं की इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की शरà¥à¤®à¤¨à¤¾à¤• ेपà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¤¿ देख कर समाज के इस घोर पतन का सहज ही अहसास हो जायेगा। जिस समाज में समाज व मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ लोगों के बजाय समाज के हितों को रौंदने वाले गà¥à¤¨à¤¾à¤¹à¤—ारों को समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ करने की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¤¿ रहती वह समाज कà¤à¥€ न तो समà¥à¤®à¤¾à¤¨ अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ कर पाता है व नहीं आगे बढ़ पाता है। यही कारण है कि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ राजà¥à¤¯ गठन के बाबजूद 12 सालों में उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के अब तक के सतà¥à¤¤à¤¾à¤²à¥‹à¤²à¥à¤ªà¥ हà¥à¤•à¥à¤®à¤°à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने न तो पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ को मà¥à¤œà¤«à¤°à¤¨à¤—र काणà¥à¤¡ में रौंदने वाले राव-मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® के पà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥‹à¤‚ को दणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ करा पाये व नहीं पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के हक हकूकों की ही रकà¥à¤·à¤¾ कर पाये। उलà¥à¤Ÿà¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ को रौंदने के लिठजनता के दिलों में खलनायक बन गये मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® व उनके कहारों के साथ गलबहियां करके पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के जखà¥à¤®à¥‹à¤‚ को कà¥à¤°à¥‡à¤¦ कर रौदने का अकà¥à¤·à¤®à¥à¤¯ अपराध करने का दà¥à¤¶à¤¾à¤¹à¤¸ जरूर करने की होड़ कर रहे हैं। दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ यह है कि हमारे लोगों में à¤à¤¸à¥‡ गà¥à¤¨à¤¾à¤¹à¤—ारों की आरती उतारने की होड़ लगी है। इसी कारण आज उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ शराब, बांध व बाघों से बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ किया जा रहा है और हमारे सामाजिक संगठन इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ गà¥à¤¨à¤¾à¤¹à¤—ारों को मालà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤ªà¤£ करके उनकी जनगणमन करने में लगे हैं।
nice note about the shri dav suman
इस महान कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकरी को हमारा सत अत नमन ।
अमर शहीद शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ को मेरा शत शत नमन
srdhye suman ji ko hamara sat sat naman.
Very nice shridev suman…….. I love uttarakhand……
अमर शहीद शà¥à¤°à¥€à¤¦à¥‡à¤µ सà¥à¤®à¤¨ को मेरा शत शत नमन
Shri dev Suman ko sat sat naman
I love my uttrakhand & tehri
l love my uttarakhand
I LOVE MY UTTArAKhAnD
Sat sat naman karta hu mai es veer saput ko jai hind jai uttrakhand …..
amar sahid shridev suman ko mera salam
अमर शहीद शà¥à¤°à¥€ देव सà¥à¤®à¤¨ को मेरा शत – शत नमन
सतॠसतॠनमन वीर शहीद शà¥à¤°à¥€ देव सà¥à¤®à¤¨ को
Plz koi sridev suman ki likhi hui kavita share kr do… Plz its urgent
जन नायक को शतॠशतॠनमन
Sat sat naman Swatantra senani Sri sridev Suman ji ko..garv mahasus hota h ..hamari or se hum 15 August or 26 January k awasar pr shradhanjali arpit krte Hain. Jai Hind.Jai Tehri Garhwal..Jai Bharat.