à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· के सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® में हजारों लाखों की संखà¥à¤¯à¤¾ में देशà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने अपने तà¥à¤¯à¤¾à¤— और बलिदान से इतिहास में अपना सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बनाया है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ राजà¥à¤¯ का à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® में सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® इतिहास रहा है, नेताजी सà¥à¤à¤¾à¤· चनà¥à¤¦à¥à¤° बोस जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जब आजाद हिनà¥à¤¦ फौज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की गई तो उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के अधिसंखà¥à¤¯ रणबांकà¥à¤°à¥‹à¤‚ ने इस सेना की सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ लेकर देश रकà¥à¤·à¤¾ करने की ठानी। इसी कà¥à¤°à¤® में नाम आता है उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के जौनसार बावर के वीर सपूत शहीद केसरी चनà¥à¤¦ का। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® में अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹ की आहूति देकर अपने साथ-साथ जौनसार और उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का नाम राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ के इतिहास में सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¿à¤® शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में अंकित करा दिया।Â
अमर शहीद वीर केसरी चनà¥à¤¦ जी का जनà¥à¤® 1 नवमà¥à¤¬à¤°, 1920 को जौनसार बावर के कà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¾ गांव में पं० शिवदतà¥à¤¤ के घर पर हà¥à¤† था। इनकी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ विकासनगर में हà¥à¤ˆ, 1938 में डी०à¤à¥¦à¤µà¥€à¥¦ कालेज, देहरादून से हाईसà¥à¤•à¥‚ल की परीकà¥à¤·à¤¾ उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ कर इसी कालेज मे इणà¥à¤Ÿà¤°à¤®à¥€à¤¡à¤¿à¤¯à¥‡à¤Ÿ की à¤à¥€ पà¥à¤¾à¤ˆ जारी रखी। केसरी चनà¥à¤¦ जी बचपन से ही निरà¥à¤à¥€à¤• और साहसी थे, खेलकूद में à¤à¥€ इनकी विशेष रà¥à¤šà¤¿ थी, इस कारण वे टोलीनायक रहा करते थे। नेतृतà¥à¤µ के गà¥à¤£ और देशपà¥à¤°à¥‡à¤® की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ इनमें कूट-कूट कर à¤à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ थी। देश में सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ की सà¥à¤—बà¥à¤—ाहट के चलते केसरी चनà¥à¤¦ पà¥à¤¾à¤ˆ के साथ-साथ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की सà¤à¤¾à¤“ं और कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ à¤à¤¾à¤— लेते रहते थे।Â
इणà¥à¤Ÿà¤° की परीकà¥à¤·à¤¾ पूरà¥à¤£ किये बिना ही केसरी चनà¥à¤¦ जी 10 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², 1941 को रायल इनà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾ आरà¥à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¿à¤¸ कोर में नायब सूबेदार के पद पर à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ हो गये। उन दिनों दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µ यà¥à¤¦à¥à¤§ जोरों पर चल रहा था, केसरी चनà¥à¤¦ को 29 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 1941 को मलाया के यà¥à¤¦à¥à¤§ के मोरà¥à¤šà¥‡ पर तैनात किया गया। जहां पर जापानी फौज दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बनà¥à¤¦à¥€ बना लिया गया, केसरी चनà¥à¤¦ जी à¤à¤¸à¥‡ वीर सिपाही थे, जिनके हृदय में देशपà¥à¤°à¥‡à¤® कूट-कूटकर à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† था। नेताजी सà¥à¤à¤¾à¤· चनà¥à¤¦à¥à¤° बोस जी ने नारे “तà¥à¤® मà¥à¤à¥‡ खून दो, मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ आजादी दूंगा†के नारे से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर यह आजाद हिनà¥à¤¦ फौज में शामिल हो गये। इनके à¤à¥€à¤¤à¤° अदमà¥à¤¯ साहस, अदà¥à¤à¥à¤¤ पराकà¥à¤°à¤®, जोखिम उठाने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾, दृढ संकलà¥à¤ª शकà¥à¤¤à¤¿ का जà¥à¤µà¤¾à¤° देखकर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आजाद हिनà¥à¤¦ फौज में जोखिम à¤à¤°à¥‡ कारà¥à¤¯ सौंपे गये, जिनका इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ से समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ किया।Â
इमà¥à¤«à¤¾à¤² के मोरà¥à¤šà¥‡ पर à¤à¤• पà¥à¤² उड़ाने के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ में बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ फौज ने इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पकड़ लिया और बनà¥à¤¦à¥€ बनाकर दिलà¥à¤²à¥€ की जिला जेल à¤à¥‡à¤œ दिया। वहां पर बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ राजà¥à¤¯ और समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ षडयंतà¥à¤° के अपराध में इन पर मà¥à¤•à¤¦à¤®à¤¾ चलाया गया और मृतà¥à¤¯à¥ दणà¥à¤¡ की सजा दी गई। मातà¥à¤° 24 वरà¥à¤· 6 माह की अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ में यह अमर बलिदानी 3 मई, 1945 को आततायी बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सरकार के आगे घूटने न टेककर हंसते-हंसते ’à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ की जय’ और ’जयहिनà¥à¤¦â€™ का उदघोष करते हà¥à¤¯à¥‡ फांसी के फनà¥à¤¦à¥‡ पर à¤à¥‚ल गया। Â
वीर केसरी चनà¥à¤¦ की शहादत ने न केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· का मान बà¥à¤¾à¤¯à¤¾, वरन उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ और जौनसार बावर का सीना गरà¥à¤µ से चौड़ा कर दिया। à¤à¤²à¥‡ ही उनकी शहादत को सरकारों ने à¤à¥à¤²à¤¾ दिया हो, लेकिन उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के लोगों ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ और उनकी शहादत को नहीं à¤à¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ उनकी पà¥à¤£à¥à¤¯ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में आज à¤à¥€ चकराता के पास रामताल गारà¥à¤¡à¤¨ (चौलीथात) में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· à¤à¤• मेला लगता है, जिसमें हजारों-लाखों लोग अपने वीर सपूत को नमन करने आते हैं। जौनसारी लोक गीत ’हारà¥à¤²â€™ में à¤à¥€ इनकी शहादत को समà¥à¤®à¤¾à¤¨ दिया जाता है-Â
सूपा लाइती पीठी है,Â
ताउंखे आई गोई केसरी चनà¥à¤¦à¤¾,Â
जापान की चीठी हे,Â
जापान की चीठी आई,Â
आपू बांचं केसेरी हे।Â
सà¥à¤°à¥‹à¤¤ à¤à¤µà¤‚ संदरà¥à¤ – जौनसार बावर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥€ रतन सिंह जौनसारी से साà¤à¤¾à¤° फोटो- शà¥à¤°à¥€ बारॠसिंह चौहान, समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•, “गॠबैराट” से साà¤à¤¾à¤°
अमर शहीद को शतॠशतॠनमन
गà¥à¤°à¤¾à¤® अणॠके पंडित शिव राम जी ने à¤à¤• पà¥à¤ƒà¤¤à¤• “हिनà¥à¤¦ सिपाही केसरीचंद” में उनकी जीवनगाथा को कावà¥à¤¯ के रूप में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है! पंडित शिवराम जी ने १९à¥à¥¨-à¥à¥© में ये पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• मà¥à¤à¥‡ à¤à¥‡à¤‚ट की थी! मैंने १९८१ में उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के ततकालों वितà¥à¤¤, नियोजन और ऊरà¥à¤œà¤¾ मंतà¥à¤°à¥€ सà¥à¤µ.शà¥à¤°à¥€ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जी को उनका à¤à¤• समारक बनवाने हेतॠपातà¥à¤° लिखा था जिसके उतà¥à¤¤à¤° में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जताया था कि केसरीचंद जी विकास नगर में उनके सहपाठी रहे ते! और बाद में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उनका à¤à¤• समारक à¤à¥€ बनवाया!
उनके à¤à¤¾à¤ˆ के पौतà¥à¤° शà¥à¤°à¥€ बिपिनचंदà¥à¤° उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड में वाणिजà¥à¤¯ कर विà¤à¤¾à¤— में अपर आयà¥à¤•à¥à¤¤ के पद पर कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ हैं!
देवà¤à¥‚मि के इस लाल को शतà¥-शतॠनमन,,, सà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ ने ही इस जौनसार बावर को बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ किया