पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ शिकारी, वनà¥à¤¯ छाया चितà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° व संरकà¥à¤·à¤£à¤µà¤¾à¤¦à¥€ à¤à¤¡à¤µà¤°à¥à¤¡ जेमà¥à¤¸ कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ (Advard James Corbett or Jim Corbett) का जनà¥à¤® वरà¥à¤· 1875 में नैनीताल में हà¥à¤†. उनके पà¥à¤°à¤–े उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤à¤¿à¤• वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ से à¤à¤¾à¤°à¤¤ आये थे और नैनीताल में बस गये. कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ के पिता की जायदाद कालाढà¥à¤‚गी में à¤à¥€ थी. आज à¤à¥€ कालाढूंगी और नैनीताल में कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ के बंगलों को देखने परà¥à¤¯à¤Ÿà¤• दूर-दूर से आते हैं. कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ परिवार ठणà¥à¤¡ के दिनों में मैदानों की तरफ आकर पूरा शीतकाल कालाढà¥à¤‚गी में बिताता था और गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ नैनीताल में होता था. कालाढà¥à¤‚गी के अपने फारà¥à¤® में यह लोग फल और अनà¥à¤¯ फसलें उगाने का कारोबार करते थे.
कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ के बचपन का अधिकांश समय तराई के जंगलों, कालाढà¥à¤‚गी और नैनीताल में गà¥à¤œà¤°à¤¾. पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के बीच बिताये गये बचपन के इन दिनों में कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ ने जंगली पशà¥à¤“ं को काफी नजदीक से देखा और उनकी जीवनशैली, मनोविजà¥à¤žà¤¾à¤¨ और सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ को समà¤à¤¨à¥‡ की कोशिश की. शिकार के गà¥à¤£ उनमें जनà¥à¤®à¤œà¤¾à¤¤ थे और 12 साल की उमर में कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ ने अपना पहला बड़ा शिकार à¤à¤• तेंदà¥à¤à¤‚ के रूप में किया. उनका कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° शीघà¥à¤° ही à¤à¤• लमà¥à¤¬à¥‡ इलाके में फैल गया और इन जंगलों की हर बारीकी से वह à¤à¤²à¥€-à¤à¤¾à¤‚ति परिचित थे.
18 वरà¥à¤· की आयॠमें कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ ने रेलवे में नौकरी शà¥à¤°à¥ की और बिहार में नये रेलमारà¥à¤—ों के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में काम किया. उनका मन इस काम में नहीं रमा और वह नौकरी छोड़ कर वापस कालाढà¥à¤‚गी आ गये. इसके बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने जीवन के कई साल तराई व कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚-गढवाल के लगà¤à¤— सà¤à¥€ हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में खूंखार नरà¤à¤•à¥à¤·à¥€ बाघों को मारने में बिताये. पैदायशी शिकारी कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ ने तराई व पहाड़ों के इन जंगलों में ही उस समय के मशहूर नरà¤à¤•à¥à¤·à¥€ शेरों का शिकार किया. इन नरà¤à¤•à¥à¤·à¥€ बाघों में से कà¥à¤› तो सैकड़ों लोगों का अकेले शिकार कर चà¥à¤•à¥‡ थे. चंपावत इलाके में 1907 में जिम कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ ने à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ बाघिन को मारा जो कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤ और नेपाल के कई इलाकों में 400 से अधिक लोगों को अपना शिकार बना चà¥à¤•à¥€ थी. जिस इलाके में कोई बाघ आदमखोर हो जाता था वहाठके सीधे-साधे गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ लोग इन आदमखोर बाघों के à¤à¤¯ से अपने खेती और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ के सामानà¥à¤¯ दैनिक काम à¤à¥€ नहीं कर पाते थे. किसी à¤à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में नरà¤à¤•à¥à¤·à¥€ बाघ की खबर मिलते ही जिम कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ उस इलाके की और कूच करते थे और लगà¤à¤— सà¤à¥€ मामलों में वह बाघ को समापà¥à¤¤ करने के बाद ही लौटे. कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ कà¥à¤®à¤¾à¤à¤Š के लोगों के साथ बेहद घà¥à¤²à¥‡ मिले थे और इस इलाके के सà¤à¥€ रीति-रिवाजों, तीज तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से à¤à¤²à¥€à¤à¤¾à¤‚ति परिचित थे, कà¥à¤®à¤¾à¤à¤Š के लोग à¤à¥€ उनका बहà¥à¤¤ आदर करते थे. कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ अपने जीवन काल मे ही लोकनायक बन गये. वे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगो के दà¥à¤– दरà¥à¤¦ को गहराई से समà¤à¤¤à¥‡ थे. अनेक आतंक के परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ नरà¤à¤•à¥à¤·à¥€ शेरों से उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगो को मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ दिलाई जिस कारण अनेक गाà¤à¤µ वासियों के बीच वे नायक व पूजà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बन गये.
कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ ने हालांकि जीवन के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤à¤¿à¤• वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ शिकारी के तौर पर काफी नाम कमाया, किनà¥à¤¤à¥ बाद के वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में वे à¤à¤• संरकà¥à¤·à¤£à¤µà¤¾à¤¦à¥€ बन गये और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने राइफल की जगह हाथ में कैमरा लेना पसनà¥à¤¦ किया. उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खींचे गये वनà¥à¤¯ जनà¥à¤¤à¥à¤“ं के चितà¥à¤° व वृतà¥à¤¤à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤° अपने आप मे विशिषà¥à¤Ÿ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रखते हैं. कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ जहाठअपने अचूक निशाने और जंगल के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ में दकà¥à¤· थे और जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने वनà¥à¤¯ जीवन के अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ को लेखन के माधà¥à¤¯à¤® से दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सामने रखा तो यह à¤à¥€ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ हो गया कि लेखन पर à¤à¥€ उनकी पकड़ अनूठी थी. शिकार और वनà¥à¤¯ जीवन पर लिखने वाले लेखकों में जिम कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ विशà¥à¤µ के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤à¤¿à¤• और अगà¥à¤°à¤£à¥€ लेखक हैं. बाघों के साथ हà¥à¤ˆ उनकी आमने-सामने की मà¥à¤ à¤à¥‡à¥œà¥‹à¤‚ का जिम कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ ने इतना सजीव और रोमांचकारी चितà¥à¤°à¤£ किया है कि पाठक उनकी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ को बार-बार पढते हैं और जिम कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ के साहस और जंगलों के बारे में उनके जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को सराहे बिना नहीं रह पाते. उनकी लिखी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ "कà¥à¤®à¤¾à¤à¤Š के नरà¤à¤•à¥à¤·à¥€" (Man Eaters of Kumaon), "रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— का नरà¤à¤•à¥à¤·à¥€ तेंदà¥à¤†", "टैमà¥à¤ªà¤² टाइगर" (Temple Tiger) इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ आज à¤à¥€ सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में गिनी जा सकती हैं. वन संरकà¥à¤·à¤£ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में किये गये उनके उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देते हà¥à¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार ने देश के पहले राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ वन उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨ का नाम उनके नाम पर "जिम कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ नैशनल पारà¥à¤•" रखा. कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ आजीवन अविवाहित रहे. अपने जीवन के अनà¥à¤¤à¤¿à¤® वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में कारà¥à¤¬à¥‡à¤Ÿ केनà¥à¤¯à¤¾ चले गये थे.
लेखक- हेम पनà¥à¤¤
this site is a very nce effort by the author. i did my schooling from veerbhatti nainital and i am a resident of uttarakhand. after viewething this site all my memories of champawat , naninatl and whole hilss are again fresh.
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