उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की à¤à¤• विरासत है कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚नी रामलीला
à¤à¤—वान राम की कथा पर आधारित रामलीला नाटक के मंचन की परंपरा à¤à¤¾à¤°à¤¤ में यà¥à¤—ों से चली आयी है। लोक नाटà¥à¤¯ के रà¥à¤ª में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ इस रामलीला का देश के विविध पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ में अलग अलग तरीकों से मंचन किया जाता है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ खासकर कà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ं अंचल में रामलीला मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤¯à¤¾ गीत-नाटà¥à¤¯ शैली में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ की जाती है। […]
पशà¥à¤§à¤¨ की कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ की कामना का परà¥à¤µ “खतडà¥à¤µà¤¾”
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ से ही कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ आजीविका का मà¥à¤–à¥à¤¯ सà¥à¤°à¥‹à¤¤ रहा है। जटिल à¤à¥Œà¤—ोलिक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कारण वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ नगणà¥à¤¯ थीं, लेकिन कम उपजाऊ जमीन होने के बावजूद कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ ही जीवनयापन के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आधार थे। आज à¤à¥€ कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ कई पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• लोक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤à¤‚ और तीज-तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° पहाड़ के […]
गिरà¥à¤¦à¤¾ का जाना à¤à¤• यà¥à¤— का अवसान है
विगत २२ अगसà¥à¤¤, २०१० को हमारे गिरà¥à¤¦à¤¾ हमसे हमेशा के लिये दूर चले गये। गिरीश चनà¥à¤¦à¥à¤° तिवारी उरà¥à¤« गिरà¥à¤¦à¤¾ मेरा पहाड़ परिवार के लिये à¤à¤• अà¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤• की तरह थे, उनके जाने से हमने अपने अà¤à¤¿à¤à¤¾à¤µà¤• को खो दिया है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ या आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨à¥‹à¤‚ पर जैसे ही हम कोई लेख तैयार कर रहे होते तो किसी चीज […]