ऋतà¥à¤“ं के सà¥à¤µà¤¾à¤—त का तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°- हरेला
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की समृदà¥à¤§à¤¤à¤¾ के विसà¥à¤¤à¤¾à¤° का कोई अनà¥à¤¤ नहीं है, हमारे पà¥à¤°à¤–ों ने सालों पहले जो तीज-तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° और सामानà¥à¤¯ जीवन के जो नियम बनाये, उनमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ और विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का à¤à¤°à¤ªà¥‚र उपयोग किया था। इसी को चरितारà¥à¤¥ करता उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का à¤à¤• लोक तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° है-हरेला। हरेले का परà¥à¤µ हमें नई ऋतॠके शà¥à¤°à¥ होने […]
तà¥à¤²à¤¸à¥€ देवी : उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की उदà¥à¤¯à¤®à¤¶à¥€à¤² और समाजसेवी महिला
उदà¥à¤¯à¤®à¤¶à¥€à¤²à¤¤à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ नाम है तà¥à¤²à¤¸à¥€ देवी जी का, पिथौरागॠजिले के नौलरा गांव में १९१९ में à¤à¥‹à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ खीम सिंह रावत और सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ रावत के घर पर उनका जनà¥à¤® हà¥à¤†à¥¤ परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की à¤à¥‹à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ जनजाति का साग-सबà¥à¤œà¥€ से हरा-à¤à¤°à¤¾ यह छोटा सा गांव उनका असà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ आवास था, जहां ऊन धोने, […]