
भाषायें बहता हुआ दरिया हैं
(उत्तराखण्ड में स्थानीय भाषाओं को लेकर एक नई बहस शुरू हुई है। स्थानीय जरूरतों और विकास के लिए इसको प्रोत्साहन देने की टुकड़ों में बातें होती रही हैं। राज्य में बोली जाने वाली मुख्यत: तीन बोलियों कुमाऊनी, गढ़वाली और जौनसारी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की बात भी उठती रही है। इन […]

स्थानीय बनाम व्यावहारिक भाषा
(उत्तराखण्ड में स्थानीय भाषाओं को लेकर एक नई बहस शुरू हुई है। स्थानीय जरूरतों और विकास के लिए इसको प्रोत्साहन देने की टुकड़ों में बातें होती रही हैं। राज्य में बोली जाने वाली मुख्यत: तीन बोलियों कुमाऊंनी, गढ़वाली और जौनसारी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की बात भी उठती रही है। मेरा […]

एक प्रतिबद्ध कामरेड स्व० नारायण दत्त सुन्दरियाल
[उत्तराखण्ड सदियों से कर्मवीरों की भूमि रही है, हम किसी भी क्षेत्र में जब व्यक्तित्व की बात करते हैं तो उत्तराखण्ड की कई विभूतियां उनमें शीर्ष स्थान पर अपने आप भी शामिल हो जाती हैं। दिल्ली में पत्रकारिता कर रहे श्री सत्येन्द्र सिंह रावत आज हमें एक ऐसे ही एक व्यक्तित्व से परिचित करा रहे […]