सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ बनाम वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤·à¤¾
(उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं को लेकर à¤à¤• नई बहस शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ है। सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ जरूरतों और विकास के लिठइसको पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ देने की टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¥‹à¤‚ में बातें होती रही हैं। राजà¥à¤¯ में बोली जाने वाली मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤: तीन बोलियों कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚नी, गढ़वाली और जौनसारी को संविधान की आठवीं अनà¥à¤¸à¥‚ची में शामिल करने की बात à¤à¥€ उठती रही है। मेरा […]