(उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं को लेकर à¤à¤• नई बहस शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ है। सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ जरूरतों और विकास के लिठइसको पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ देने की टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¥‹à¤‚ में बातें होती रही हैं। राजà¥à¤¯ में बोली जाने वाली मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤: तीन बोलियों कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤¨à¥€, गढ़वाली और जौनसारी को संविधान की आठवीं अनà¥à¤¸à¥‚ची में शामिल करने की बात à¤à¥€ उठती रही है। इन दिनों नई दिलà¥à¤²à¥€ से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ ‘जनपकà¥à¤· आजकल’ पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इसे लोक à¤à¤¾à¤·à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ के रूप में चलाया जा रहा है, जिसे हम साà¤à¤¾à¤° यहां पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ कर रहे हैं। इसकी पहली कड़ी में आप लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ सिंह बिषà¥à¤Ÿ “बटरोही’ जी का लेख , दूसरी कड़ी में बदà¥à¤°à¥€à¤¦à¤¤à¥à¤¤ कसनियाल का लेख, तीसरी कड़ी में शà¥à¤°à¥€ à¤à¤—वती पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ नौटियाल का लेख तथा चौथी कड़ी में साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° शà¥à¤°à¥€ पूरन चनà¥à¤¦à¥à¤° कांडपाल जी का लेख पà¥à¤¾à¥¤ इसकी पांचवीं कड़ी में साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° शà¥à¤°à¥€ दिनेश करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤• जी का लेख पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ है।)
पिछले कà¥à¤› समय से उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं को लेकर काफी हलचल है। à¤à¤• ओर देश में पहली बार किसी राजà¥à¤¯ ने संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ को अपनी दूसरी राजà¤à¤¾à¤·à¤¾ बनाया है तो दूसरी ओर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾-बोलियों को जितनी जलà¥à¤¦à¥€ समूह-ग के पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤ªà¤¤à¥à¤° में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ किया गया, उतनी ही जलà¥à¤¦à¥€ उससे किनारा कर लिया गया। फिर हिनà¥à¤¦à¥€ अकादमी तथा à¤à¤¾à¤·à¤¾ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बनाने को राजà¥à¤¯ कैबिनेट ने सà¥à¤µà¥€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ दी। यह कदम राजà¥à¤¯ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के लगà¤à¤— दस साल बाद उठाया गया। अà¤à¥€ इन दोनों को अपना आकार गà¥à¤°à¤¹à¤£ करना शेष है। राजà¥à¤¯ में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ अकादमी का गठन काफी पहले तथा काफी तेजी से हà¥à¤† था। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ सरकार संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ को लेकर रोज नà¤-नठसंकलà¥à¤ª ले रही है। पिछले दिनों कà¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ में आया कि à¤à¤• गांव को संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤-गांव के रूप में विकसित किया जाà¤à¤—ा। फिर सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ में आया कि हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के रिकà¥à¤¶à¥‡ तथा टैकà¥à¤¸à¥€ वाले यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में बात करेंगे। इसके बाद, काफी तेजी से संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ का अलग निदेशालय बनाया गया। सरकार बहà¥à¤¤ जलà¥à¤¦à¥€ सà¤à¥€ सरकारी दिशा-निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ तथा कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ के नामों को à¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥€ के साथ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में लिखवा देना चाहती है। फिर तय किया गया कि अब ककà¥à¤·à¤¾ आठके बजाय दस तक अनिवारà¥à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पढ़ायी जाà¤à¤—ी। यह तब है जबकि राजà¥à¤¯ के सà¥à¤•à¥‚लों में लगà¤à¤— दस साल से कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥‚टर धूल खा रहे हैं और सूचना तथा तकनीक के यà¥à¤— में कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥‚टर à¤à¤• विषय के रूप में विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ में दसà¥à¤¤à¤• दे रहा है। हम इस दसà¥à¤¤à¤• को सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ के बजाय बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ में दकà¥à¤· करने का संकलà¥à¤ª ले रहे हैं।
जाहिर सी बात है इस सारी कवायद का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ राजà¥à¤¯ को देवà¤à¥‚मि बनाने से है। à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ देवà¤à¥‚मि जहां à¤à¤—वा पूरे आवेग से लहराठतथा लोग देववाणी में बोलते हà¥à¤ नजर आà¤à¤‚। इसीलिठराजà¥à¤¯ का नाम उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल रखा गया था। à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ नाम जिसके होने से राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ को बल मिलता तथा à¤à¤¦à¥‡à¤¸à¤ªà¤¨ और अलगाव नजर नहीं आता था। शायद इसीलिठमशहूर लेखक हिमांशॠजोशी को कहना पड़ा कि उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ मेरे सपनों का राजà¥à¤¯ नहीं है, हमने तो इस राजà¥à¤¯ की परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल के रूप में की थी। हिमांशॠजोशी तो यह बात दिलà¥à¤²à¥€ में रहकर कह रहे हैं, लेकिन इस राजà¥à¤¯ के बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• पिछड़े लोगों का कà¥à¤¯à¤¾ किया जाà¤, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° तथा उसका गौरव कà¤à¥€ समठमें नहीं आता, जो कà¤à¥€ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ तो कà¤à¥€ अपनी पिछड़ी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं को लेकर बीच में आ जाते हैं। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ लोगों की वजह से सरकार को अलग से à¤à¤¾à¤·à¤¾ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बनाना पड़ता है। तीन दिन का वृहत लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾ समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ करना पड़ता है। वरना कà¥à¤¯à¤¾ राजà¥à¤¯ में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ अकादमी नहीं थी? मजबूरी है à¤à¤¾à¤ˆ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में à¤à¥€ तो जाना है। बात साफ है, अगर इस सरकार को लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं तथा उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾ की चिनà¥à¤¤à¤¾ होती तो वह राजà¥à¤¯ की दूसरी राजà¤à¤¾à¤·à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤¨à¥€, गढ़वाली को बनाती। कितनी अजीब बात है कि हम कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤¨à¥€-गढ़वाली को आठवीं अनà¥à¤¸à¥‚ची में तो समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ करना चाहते हैं, मगर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने ही राजà¥à¤¯ की दूसरी राजà¤à¤¾à¤·à¤¾ नहीं बना सकते। अगर हमें उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• पहचान की चिनà¥à¤¤à¤¾ होती तो हम अब तक संगीत, नाटक तथा कला अकादमी और हिनà¥à¤¦à¥€ अकादमी जैसी संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं को कब के बना चà¥à¤•à¥‡ होते। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इस से देवà¤à¥‚मि की अवधारणा का à¤à¤²à¤¾ नहीं होता, इसलिठà¤à¤¸à¤¾ काम कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ किया जाà¤? गौर करें अपने कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में नारायण दतà¥à¤¤ तिवारी ने जितनी रà¥à¤šà¤¿ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ अकादमी को बनाने में ली, उतनी ही उपेकà¥à¤·à¤¾ साहितà¥à¤¯, कला तथा संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ परिषद बनाकर इन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिखायी। हालांकि वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ सरकार ने à¤à¤¾à¤·à¤¾ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ तथा हिनà¥à¤¦à¥€ अकादमी बनाकर सही दिशा में चलने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ तो किया है, लेकिन इनके गठन की गति अपने आप में सब बयान करती हà¥à¤ˆ नजर आ रही है।
à¤à¤¾à¤·à¤¾ तथा असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾ पर चरà¥à¤šà¤¾ करते हà¥à¤ हमें उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ राजà¥à¤¯ की अवधारणा के मूल में जाना होगा। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के लोगों ने राजà¥à¤¯ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की लड़ाई कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लड़ी? पहला कारण था आरà¥à¤¥à¤¿à¤•à¥¤ रोजगार की समसà¥à¤¯à¤¾ तथा बेहतर जीवन का सवाल! दूसरा महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कारण था, पहचान! उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ जैसे बड़े राजà¥à¤¯ का हिसà¥à¤¸à¤¾ होने के कारण इस पहाड़ी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की पहचान को डाइलà¥à¤¯à¥‚ट कर दिया जाता था। कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ आकांकà¥à¤·à¤¾à¤“ं को राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ के मारà¥à¤— में रोड़ा दिखाकर हवा में उड़ा दिया जाता था। तà¤à¥€ पहाड़ को अपनी मà¥à¤Ÿà¥à¤ ी में कैद समà¤à¤¨à¥‡ वाले नारायण दतà¥à¤¤ तिवारी जैसे नेता कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ नहीं करना चाहते थे कि कà¤à¥€ अलग उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ राजà¥à¤¯ बनाया à¤à¥€ जा सकता है। राजà¥à¤¯ बना और पहचान को डाइलà¥à¤¯à¥‚ट करने का कà¥à¤°à¤® à¤à¥€ चलता रहा। राजà¥à¤¯ बनने के बाद जन à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के विरूदà¥à¤§ जाकर राजà¥à¤¯ का नाम उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤‚चल रखा गया तथा हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के उन कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को राजà¥à¤¯ में जोड़ दिया गया जहां के लोग राजà¥à¤¯ में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ ही नहीं होना चाहते थे। इससे पहाड़ी राजà¥à¤¯ की अवधारणा को काफी धकà¥à¤•à¤¾ लगा। इस संकट को नठपरिसीमन के बाद हà¥à¤ विधानसà¤à¤¾ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के वरà¥à¤—ीकरण से उपजी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ समà¤à¤¾ जा सकता है। यही नहीं जब राजà¥à¤¯ की दूसरी राजà¤à¤¾à¤·à¤¾ का सवाल आया तो कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤¨à¥€-गढ़वाली को छोडक़र संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ को राजà¤à¤¾à¤·à¤¾ बना दिया गया। दरअसल, हमें लगता है कि अगर कोई राजà¥à¤¯ और वहां की जनता अपनी à¤à¤¾à¤·à¤¾ की बात करती है तो वह अलगाव की ओर बढ़ रही है। à¤à¤¾à¤·à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की आतà¥à¤®à¤¾ की तरह है। आप किसी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के लोगों को उनकी आतà¥à¤®à¤¾ से कैसे काट सकते हैं। हर à¤à¤¾à¤·à¤¾ चाहे वह लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾ हो अथवा राजà¤à¤¾à¤·à¤¾, अपने बोलने वाले लोगों के अपार शà¥à¤°à¤®, सामूहिकता तथा सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• निषà¥à¤ ा के कारण असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आती है। हरेक à¤à¤¾à¤·à¤¾ को बनने में सैकड़ों साल लगते हैं। वह à¤à¤• नदी की तरह लमà¥à¤¬à¥€ यातà¥à¤°à¤¾ करते हà¥à¤ तथा तमाम ठोकरें खाने के बाद अपना रूप और आकार बनाती जाती है। इसलिठकोई à¤à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो, वह मानवता की अमूलà¥à¤¯ निधि है। वह छोटी-बड़ी नहीं हो सकती। उसे छोटा-बड़ा राजनीति बनाती है। वह देश की à¤à¤•à¤¤à¤¾ में बाधा नहीं हो सकती। अगर आप उसे समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देंगे तो वह देश की à¤à¤•à¤¤à¤¾ को मजबूत करने में अपनी à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤—ी। मजे की बात देखिà¤, जिस हिनà¥à¤¦à¥€ को दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अपने ऊपर थोपने का विरोध कर रहा था, आज वहां के यà¥à¤µà¤¾ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°, सिनेमा तथा रोजगार के लिठखà¥à¤¦ ही बगैर किसी हिचक के उसे अपना रहे हैं। लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का अपना कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° होता है। हो सकता है, उनका विसà¥à¤¤à¤¾à¤° कà¥à¤› जिलों या किसी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° विशेष तक हो। यह à¤à¥€ सच है कि लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤‚ राजà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नहीं ले सकतीं, लेकिन कम से कम राजà¥à¤¯ बनने के बाद वे अपने कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में गौरवानà¥à¤µà¤¿à¤¤ तो हों। नाटक, संगीत, सिनेमा, साहितà¥à¤¯, पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ तथा विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ में मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में पाठके रूप में शामिल हो कर लोगों की जà¥à¤¬à¤¾à¤¨ पर बनी रहे, फले-फूले। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हमारी राजà¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ न सिरà¥à¤« राजà¥à¤¯ के à¤à¥€à¤¤à¤°, बलà¥à¤•à¤¿ देश के सà¥à¤¤à¤° पर संपरà¥à¤• à¤à¤¾à¤·à¤¾ का कारà¥à¤¯ करे। हिनà¥à¤¦à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में हिनà¥à¤¦à¥€ तथा लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का रिशà¥à¤¤à¤¾ कहीं घर के अंदर से शà¥à¤°à¥‚ होता है तो कहीं आंगन से तो कहीं सडक़ पर आकर। कई बार हम हिनà¥à¤¦à¥€ को लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं की तरकà¥à¤•à¥€ में बाधा के रूप में देखने लगते हैं। यह संकीरà¥à¤£ सोच है। दोनों की à¤à¥‚मिकाà¤à¤‚ तथा कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° अलग-अलग हैं। इसलिठउनमें आपस में टकराव का सवाल ही नहीं है। हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¥€ लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं की तरह हमारी आतà¥à¤®à¤¾ तथा असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾ की à¤à¤¾à¤·à¤¾ है।
yes ,,, meru garhwal jinda vaad
MY uttrakhand
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Mera uttarakhand bhai bhain se ek vinti hai jayada si jayda apni bhasa( garhwali,jaunsari, kumaoni) ka prayog kare
Mera uttarakhand bhai bhain se ek vinti hai jayada si jayda apni bhasa( garhwali,jaunsari, kumaoni) ka prayog kare tabhi hamari bhasaon ka vikash hoga aur ye samridh hogi
Good
kumoani garwali medium schooling education will incourage these languases.many years ago massab teaches alphabets like amarka bachuldi etc.
Mi Dr Narendra GauniyaalJin ju likhi vesi puri taron saimat chaun. Unki ek bhot khaas baat jai far ham log vishesh dhyaan ni denda oo ch ” bhasa ki ekroopta “. Log bani bani ki garhwali chan likhna jaiki vaja si ekroopta ni ch. Agar hamthain garhwali thain ek bhashak roop ma viksit karn ta sabsee pail sabthain ” ekroopta” thain apnaun podlu.
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