सीमांत पà¥à¤°à¤¾à¤‚तर पिथौरागॠके धारचूला में साà¥à¥‡ दस हजार फीट की ऊंचाई पर बसे गरà¥à¤¬à¥à¤¯à¤¾à¤‚ग गांव की गंगोतà¥à¤°à¥€ गरà¥à¤¬à¥à¤¯à¤¾à¤² शिकà¥à¤·à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अपनी विशिषà¥à¤Ÿ सेवाओं के कारण 1964 राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ डा० सरà¥à¤µà¤ªà¤²à¥à¤²à¥€ राधाकृषà¥à¤£à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ जिसका शà¥à¤°à¥‡à¤¯ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जनà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को ही दिया था। इनका जनà¥à¤® ९ दिसमà¥à¤¬à¤°, १९१८ में हà¥à¤† था, गंगोतà¥à¤°à¥€ जी शैकà¥à¤·à¤¿à¤• संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं से जà¥à¥œà¥€ रही, शिकà¥à¤·à¤¾ जगत और समाजसेवा में गंगोतà¥à¤°à¥€ जी की सेवायें अनà¥à¤•à¤°à¤£à¥€à¤¯ हैं। इनका समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जीवन शिकà¥à¤·à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ होकर कारà¥à¤¯ करते हà¥à¤¯à¥‡ वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ सेवानिवृतà¥à¤¤à¤¿ से मृतà¥à¤¯à¥ तक वे कैलाश नारायण आशà¥à¤°à¤®, पिथौरागॠमें अवैतनिक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• के रà¥à¤ª में सेवारत रहीं। गंगोतà¥à¤°à¥€ जी बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² से ही कà¥à¤¶à¤¾à¤—à¥à¤° बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ की अति मेधावी छातà¥à¤°à¤¾ थी, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने १९३१ में वरà¥à¤¨à¤¾à¤•à¥à¤¯à¥‚लर लोअर मिडिल उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ कर लिया था। उस समय ओई०टी०सी० उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ को गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ पाठशाला में नौकरी मिल जाती थी। मिस ई. विलियमà¥à¤¸, ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® बालिका मà¥à¤–à¥à¤¯ निरीकà¥à¤·à¤•à¤¾ थीं, परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की महिलाओं को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शिकà¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करने में बड़ी रà¥à¤šà¤¿ दिखाई, वे à¤à¤‚गà¥à¤²à¥‹ इंडियन थीं। सीमानà¥à¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से आई छातà¥à¤°à¤¾à¤“ं का वह विशेष धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखती थीं,उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ही छातà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¾à¤¸ की ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ संरकà¥à¤·à¤¿à¤•à¤¾ रंदा दीदी से कहा कि गंगोतà¥à¤°à¥€ को हाईसà¥à¤•à¥‚ल में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दिलायें, छातà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ मैं दूंगी। यदि विवाह हो à¤à¥€ जाये तो à¤à¥€ आगे पढने में कà¥à¤¯à¤¾ आपतà¥à¤¤à¤¿ हो सकती है।
१९३५ में तीन दिन की बीमारी के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ गांव में इनके मंगेतर की मृतà¥à¤¯à¥ हो गई, तब गंगोतà¥à¤°à¥€ जी à¤à¤¡à¤®à¥à¤¸ हाई सà¥à¤•à¥‚ल में पॠरही थीं। बालमन दà¥à¤ƒà¤–ी हà¥à¤†, १९३ॠमें गंगोतà¥à¤°à¥€ जी को शà¥à¤°à¥€ नारायण सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€* के सतà¥à¤¸à¤‚ग व सानिधà¥à¤¯ का अवसर मिला। इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नारायण सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ से दीकà¥à¤·à¤¾Â ले ली और गà¥à¤°à¥à¤®à¤‚तà¥à¤° को जीवन का पथ माना।
इसी दौरान बरेली में इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ई०टी०सी० (इंगà¥à¤²à¤¿à¤¶ टीचर सरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ) में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ लिया। ई.टी.सी. उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ करने के बाद १९३९ में गंगोतà¥à¤°à¥€ जी की नियà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ सी०टी० गà¥à¤°à¥‡à¤¡ में राजकीय कनà¥à¤¯à¤¾ हाईसà¥à¤•à¥‚ल, बरेली में हà¥à¤ˆà¥¤ पूरे पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में यही पà¥à¤°à¤¥à¤® हाईसà¥à¤•à¥‚ल था, यहां पर मिसेज à¤à¤²à¤¾à¤¯ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ थीं, कà¥à¤› वरà¥à¤· बाद यह इंटर कालेज हो गया। छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में कà¤à¥€ ये अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ रंदा दीदी के पास तथा कà¤à¥€ मां आननà¥à¤¦à¤®à¤¯à¥€ के आशà¥à¤°à¤® देहरादून जाया करती थीं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इणà¥à¤Ÿà¤° की परीकà¥à¤·à¤¾ निजी रà¥à¤ª से पास की और इसी तरह बी०à¤à¥¦ तथा à¤à¤®à¥¦à¤à¥¦ à¤à¥€ पास किया। अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤¾à¤µà¤•à¤¾à¤¶ लेकर राजकीय महिला पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯, पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— से à¤à¤²à¥¦à¤Ÿà¥€à¥¦ किया। १९४५ में राजकीय कनà¥à¤¯à¤¾ हाईसà¥à¤•à¥‚ल, अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ खà¥à¤²à¤¾ तो यह अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ आ गई। पà¥à¤¨à¤ƒ रंदा दीदी के संरकà¥à¤·à¤£ में रहीं। गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में शांति निकेतन से घर आई जयंती पांडे, जयंती पनà¥à¤¤, गौरा पाणà¥à¤¡à¥‡ (शिवानी जी) के सानिधà¥à¤¯ में à¤à¥€ रहीं।
जब समाज सेवा की धà¥à¤¨ लगी तो गंगोतà¥à¤°à¥€ जी १९४८ में असà¥à¤•à¥‹à¤Ÿ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° से जिला परिषर, अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ की निरà¥à¤µà¤¿à¤°à¥‹à¤§ सदसà¥à¤¯ चà¥à¤¨à¥€ गई। अब वे शिकà¥à¤·à¤£ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अतिरिकà¥à¤¤ सामाजिक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ रà¥à¤šà¤¿ लेने लगीं, लोगों की समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हल करने लगी, वे जिला परिषद, अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ की उपाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· à¤à¥€ रहीं।
वे गà¥à¤°à¤¾à¤® पाठशालाओं का निरीकà¥à¤·à¤£ कर समसà¥à¤¯à¤¾ समाधान के लिये सदैव पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² रहीं। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ विरोधी रà¥à¤¢à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अब सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ का महतà¥à¤µ समठमें आने लगा, वे कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का सà¥à¤•à¥‚ल à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ लगे। गंगोतà¥à¤°à¥€ जी मदà¥à¤¯ निषेध पर à¤à¥€ बोलती थीं, अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ में १९४६ से १९५२ तक महिला नारà¥à¤®à¤² सà¥à¤•à¥‚ल में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ रहकर वे विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ समाज सेवी संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं से जà¥à¥œà¥€ रहीं। १९४९-५० में चीन ने तिबà¥à¤¬à¤¤ पर कबà¥à¤œà¤¾ किया, चीनी तिबà¥à¤¬à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर आधिपतà¥à¤¯ जमाने लगे और तिबà¥à¤¬à¤¤à¥€ जनता को अपने ढांचे में ढालने हेतॠसà¥à¤•à¥‚ल, असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² आदि की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ देने लगे। सीमानà¥à¤¤ के à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ चीनियों का अंकà¥à¤¶ बà¥à¤¨à¥‡ लगा, अतः सीमानà¥à¤¤à¤µà¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपनी सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ की चिंता होने लगी। तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने २४ फरवरी से २६ फरवरी, १९५१ में रामनगर, जिला नैनीताल में à¤à¤• विराट समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ का आयोजन किया। इस हिमालय पà¥à¤°à¤¾à¤‚तीय समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ में लाहौल, कà¥à¤²à¥à¤²à¥‚-कांगड़ा, गà¥à¤µà¤¾à¤², कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ के जनपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ समà¥à¤®à¥à¤²à¤¿à¤¤ थे, ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ सांसद देवीदतà¥à¤¤ पनà¥à¤¤ तथा विधायक हर गोबिनà¥à¤¦ पनà¥à¤¤ à¤à¥€ आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ थे, वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹ à¤à¤µà¤‚ जनता का बड़ा सराहनीय सहयोग à¤à¥‹à¤œà¤¨ तथा वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के लिये था। पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और नागरिकों ने बहà¥à¤¤ बड़ा जà¥à¤²à¥‚स निकालकर समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ का पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया। ’सीमानà¥à¤¤ को बचाओ’ ’सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ हो’ ’वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° बचाओ’ ’सीमानà¥à¤¤ का विकास करो’ आदि जोशीले नारे लगाये गये, सà¥à¤µà¤¾à¤—ताधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· कारà¥à¤¯ गंगोतà¥à¤°à¥€ जी के सà¥à¤ªà¥à¤°à¥à¤¦ था। आगंतà¥à¤•, जनपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ जनसमूह का सà¥à¤µà¤¾à¤—त करते हà¥à¤¯à¥‡ सीमानà¥à¤¤ समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला। ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ समसà¥à¤¤ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को लेकर उनकी मांगों को पूरा करवाने के लिये à¤à¤• समिति का गठन किया गà¥à¤¯à¤¾, जिसका नाम हिमालय सीमानà¥à¤¤ संघ रखा गया। गंगोतà¥à¤°à¥€ गरà¥à¤¬à¥à¤¯à¤¾à¤² कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤£à¥€ के सात सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¤• मातà¥à¤° महिला सदसà¥à¤¯ थीं, तब यह à¤à¥€ निशà¥à¤šà¤¯ किया गया कि संघ का à¤à¤• शिषà¥à¤Ÿà¤®à¤‚डल अपनी मांगों को लेकर पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ के पास दिलà¥à¤²à¥€ जायेगा।
गंगोतà¥à¤°à¥€ गरà¥à¤¬à¥à¤¯à¤¾à¤² दारमा, से शिषà¥à¤Ÿà¤®à¤‚डल की सदसà¥à¤¯ थीं, अपने कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में गंगोतà¥à¤°à¥€ जी ने सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° और पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° के लिये समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤¾à¤µ से कारà¥à¤¯ किया। जब अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ में छातà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¾à¤¸ न था, तब इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सीमानà¥à¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से आने वाली समसà¥à¤¤ छातà¥à¤°à¤¾à¤“ं को अपने पास रखा और शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया। परिवार की तरह à¤à¤• ही रसोई होती थी, कà¥à¤› छातà¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ कà¥à¤› महीनों से लेकर १५ वरà¥à¤· तक इनके साथ रहीं, à¤à¤• जाती, दूसरी आती, यही कà¥à¤°à¤® चलता रहा।
सीमानà¥à¤¤ पर तैनात जवानों के लिये उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सेना सेवा समिति का गठन किया, वे हाथ से बने गरम कपड़े और डिबà¥à¤¬à¤¾ बनà¥à¤¦ à¤à¥‹à¤œà¤¨ फौजी à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये à¤à¥‡à¤œà¤¤à¥€à¥¤ जिलाधिकारी के संरकà¥à¤·à¤£ में इन सब कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• à¤à¤¾à¤— लेने वाली वहां की कà¥à¤› अनà¥à¤¯ शिकà¥à¤·à¤¿à¤•à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ माया खरà¥à¤•à¤µà¤¾à¤², जानकी जोशी, विà¤à¤¾ मासीवाल तथा सà¥à¤¶à¥€à¤²à¤¾ उपà¥à¤°à¥‡à¤¤à¥€ à¤à¥€ थीं। राजकीय इनà¥à¤Ÿà¤° कालेज में नियà¥à¤•à¥à¤¤ सà¥à¤¶à¥à¤°à¥€ गंगोतà¥à¤°à¥€ १९६१ में लोक सेवा आयोग दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चयनित होकर पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¿à¤•à¤¾ के पद पर उतà¥à¤¤à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¥€ गई। तब ककà¥à¤·à¤¾ दस में मातà¥à¤° दो छातà¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ थीं, गंगोतà¥à¤°à¥€ जी के सतत पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ से उनमें वृदà¥à¤§à¤¿ होती चली गई। १९६२ में चीन आकà¥à¤°à¤®à¤£ के समय राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कोष में धन संचय हेतॠगंगोतà¥à¤°à¥€ जी की पहल और पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से छातà¥à¤°à¤¾à¤“ं ने à¤à¤• सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® तैयार कर मकर संकà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के परà¥à¤µ पर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया तथा उस कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® से २००० रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ की राशि à¤à¤•à¤¤à¥à¤° कर राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ कोष में दी, इससे ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ सà¥à¤šà¥‡à¤¤à¤¾ कृपलानी बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¤‚। गंगोतà¥à¤°à¥€ जी सेवानिवृतà¥à¤¤à¤¿ के बाद à¤à¥€ उसी गति और à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से समाज सेवा में संलगà¥à¤¨ रहीं। दिनांक २० अगसà¥à¤¤, १९९९ को इनका देहावसान हो गया। इनकी सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देने की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ को अकà¥à¤·à¥à¤£à¥à¤£ रखने के लिये जनपद पिथौरागॠके राजकीय बालिका इणà¥à¤Ÿà¤° कालेज का नाम गंगोतà¥à¤°à¥€ गरà¥à¤¬à¥à¤¯à¤¾à¤² राजकीय बालिका इणà¥à¤Ÿà¤° कालेज रखा गया है।
इस विà¤à¥‚ति को मेरा पहाड का शत-शत नमन।
 ’धाद’ संसà¥à¤¥à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ ’गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ आयोजन : à¤à¤•â€™Â से साà¤à¤¾à¤° टंकित
* नारायण सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ à¤à¤µà¤‚ सीमानà¥à¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में अनेकों सà¥à¤•à¥‚ल खोले , पिथौरागॠजिले में डीडीहाट के पास बसा नारायणनगर इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के नाम पर बसा है, आज वहां पर महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ है। सीमानà¥à¤¤ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥Šà¤‚ में कई आशà¥à¤°à¤® और विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने खोले, जिनमें पà¥à¥‡ लोग आज कई खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ हैं। पिथौरागॠजिले के देवलथल में à¤à¥€ हाईसà¥à¤•à¥‚ल की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ इनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही की गई थी, पहले उसका नाम नारायण विदà¥à¤¯à¤¾ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° हायर सेकेणà¥à¤¡à¤°à¥€ सà¥à¤•à¥‚ल, देवलथल था। इस पोसà¥à¤Ÿ में लगी फोटो उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कैलाश मानसरोवर यातà¥à¤°à¤¾ मारà¥à¤— में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ नारायण आशà¥à¤°à¤® की है।
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ महिलाओं और उनकी उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जानने के लिये हमारे फोरम पर पधारें।
Thanks a lot for posting about my maternal grandmother…
Feel indebted towards merapahad.com for bringing forward her contribution towards the society.
Thanks
Dear Richa,
Will it be possible for you to send us her picture as we are publishing a book on the prominent women of Uttarakhand and she is a part of it.
Raanu Bisht