उत्तराखण्ड को जन आन्दोलनों की धरती भी कहा जा सकता है, उत्तराखण्ड के लोग हमेशा से ही अपने जल-जंगल, जमीन और बुनियादी हक-हकूकों के लिय और उनकी रक्षा के लिये हमेशा से ही जागरुक रहे हैं। चाहे 1921 का कुली बेगार आन्दोलन 1930 का तिलाड़ी आन्दोलन हो या 1974 का चिपको आन्दोलन, या 1984 का नशा नहीं रोजगार दो आन्दोलन या 1994 का उत्तराखण्ड राज्य प्राप्ति आन्दोलन, अपने हक-हकूकों के लिये उत्तराखण्ड की जनता और खास तौर पर मातृ शक्ति ने आन्दोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज हम बात करने जा रहे हैं, 1974 में शुरु हुये विश्व विख्यात चिपको आन्दोलन की जननी, प्रणेता श्रीमती गौरा देवी जी की, जो चिपको वूमन के नाम से मशहूर हैं। 1925 में चमोली जिले के लाता गांव के एक मरछिया परिवार में श्री नारायण सिंह के घर में इनका जन्म हुआ था। गौरा देवी ने कक्षा पांच तक की शिक्षा भी ग्रहण की थी, जो बाद में उनके अदम्य साहस और उच्च विचारों का सम्बल बनी। मात्र ११ साल की उम्र में इनका विवाह रैंणी गांव के मेहरबान सिंह से हुआ, रैंणी भोटिया (तोलछा) का स्थायी आवासीय गांव था, ये लोग अपनी गुजर-बसर के लिये पशुपालन, ऊनी कारोबार और खेती-बाड़ी किया करते थे। २२ वर्षीय गौरा देवी पर वैधव्य का कटु प्रहार हुआ, तब उनका एकमात्र पुत्र चन्द्र सिंह मात्र ढाई साल का ही था। गौरा देवी ने ससुराल में रह्कर छोटे बच्चे की परवरिश, वृद्ध सास-ससुर की सेवा और खेती-बाड़ी, कारोबार के लिये अत्यन्त कष्टों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपने पुत्र को स्वालम्बी बनाया, उन दिनों भारत-तिब्बत व्यापार हुआ करता था, गौरा देवी ने उसके जरिये भी अपनी आजीविका का निर्वाह किया। १९६२ के भारत-चीन युद्ध के बाद यह व्यापार बन्द हो गया तो चन्द्र सिंह ने ठेकेदारी, ऊनी कारोबार और मजदूरी द्वारा आजीविका चलाई, इससे गौरा देवी आश्वस्त हुई और खाली समय में वह गांव के लोगों के सुख-दुःख में सहभागी होने लगीं। इसी बीच अलकनन्दा में १९७० में प्रलंयकारी बाढ़ आई, जिससे यहां के लोगों में बाढ़ के कारण और उसके उपाय के प्रति जागरुकता बनी और इस कार्य के लिये प्रख्यात पर्यावरणविद श्री चण्डी प्रसा भट्ट ने पहल की। भारत-चीन युद्ध के बाद भारत सरकार को चमोली की सुध आई और यहां पर सैनिकों के लिये सुगम मार्ग बनाने के लिये पेड़ों का कटान शुरु हुआ। जिससे बाढ़ से प्रभावित लोगों में संवेदनशील पहाड़ों के प्रति चेतना जागी। इसी चेतना का प्रतिफल था, हर गांव में महिला मंगल दलों की स्थापना, १९७२ में गौरा देवी जी को रैंणी गांव की महिला मंगल दल का अध्यक्ष चुना गया। इसी दौरान वह चण्डी प्रसा भट्ट, गोबिन्द सिंह रावत, वासवानन्द नौटियाल और हयात सिंह जैसे समाजिक कार्यकर्ताओं के सम्पर्क में आईं। जनवरी १९७४ में रैंणी गांव के २४५१ पेड़ों का छपान हुआ। २३ मार्च को रैंणी गांव में पेड़ों का कटान किये जाने के विरोध में गोपेश्वर में एक रैली का आयोजन हुआ, जिसमें गौरा देवी ने महिलाओं का नेतृत्व किया। प्रशासन ने सड़क निर्माण के दौरान हुई क्षति का मुआवजा देने की तिथि २६ मार्च तय की गई, जिसे लेने के लिये सभी को चमोली आना था। इसी बीच वन विभाग ने सुनियोजित चाल के तहत जंगल काटने के लिये ठेकेदारों को निर्देशित कर दिया कि २६ मार्च को चूंकि गांव के सभी मर्द चमोली में रहेंगे और समाजिक कायकर्ताओं को वार्ता के बहाने गोपेश्वर बुला लिया जायेगा और आप मजदूरों को लेकर चुपचाप रैंणी चले जाओ और पेड़ों को काट डालो।
इसी योजना पर अमल करते हुये श्रमिक रैंणी की ओर चल पड़े और रैंणी से पहले ही उतर कर ऋषिगंगा के किनारे रागा होते हुये रैंणी के देवदार के जंगलों को काटने के लिये चल पड़े। इस हलचल को एक लड़की द्वारा देख लिया गया और उसने तुरंत इससे गौरा देवी को अवगत कराया। पारिवारिक संकट झेलने वाली गौरा देवी पर आज एक सामूहिक उत्तरदायित्व आ पड़ा। गांव में उपस्थित २१ महिलाओं और कुछ बच्चों को लेकर वह जंगल की ओर चल पड़ी। इनमें बती देवी, महादेवी, भूसी देवी, नृत्यी देवी, लीलामती, उमा देवी, हरकी देवी, बाली देवी, पासा देवी, रुक्का देवी, रुपसा देवी, तिलाड़ी देवी, इन्द्रा देवी शामिल थीं। इनका नेतृत्व कर रही थी, गौरा देवी, इन्होंने खाना बना रहे मजदूरो से कहा”भाइयो, यह जंगल हमारा मायका है, इससे हमें जड़ी-बूटी, सब्जी-फल, और लकड़ी मिलती है, जंगल काटोगे तो बाढ़ आयेगी, हमारे बगड़ बह जायेंगे, आप लोग खाना खा लो और फिर हमारे साथ चलो, जब हमारे मर्द आ जायेंगे तो फैसला होगा।” ठेकेदार और जंगलात के आदमी उन्हें डराने-धमकाने लगे, उन्हें बाधा डालने में गिरफ्तार करने की भी धमकी दी, लेकिन यह महिलायें नहीं डरी। ठेकेदार ने बन्दूक निकालकर इन्हें धमकाना चाहा तो गौरा देवी ने अपनी छाती तानकर गरजते हुये कहा “मारो गोली और काट लो हमारा मायका” इस पर मजदूर सहम गये। गौरा देवी के अदम्य साहस से इन महिलाओं में भी शक्ति का संचार हुआ और महिलायें पेड़ों के चिपक गई और कहा कि हमारे साथ इन पेड़ों को भी काट लो। ऋषिगंगा के तट पर नाले पर बना सीमेण्ट का एक पुल भी महिलाओं ने तोड़ डाला, जंगल के सभी मार्गों पर महिलायें तैतात हो गई। ठेकेदार के आदमियों ने गौरा देवी को डराने-धमकाने का प्रयास किया, यहां तक कि उनके ऊपर थूक तक दिया गया। लेकिन गौरा देवी ने नियंत्रण नहीं खोया और पूरी इच्छा शक्ति के साथ अपना विरोध जारी रखा। इससे मजदूर और ठेकेदार वापस चले गये, इन महिलाओं का मायका बच गया। इस आन्दोलन ने सरकार के साथ-साथ वन प्रेमियों और वैज्ञानिकों का ध्यान अपनी ओर खींचा। सरकार को इस हेतु डा० वीरेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया। जांच के बाद पाया गया कि रैंणी के जंगल के साथ ही अलकनन्दा में बांई ओर मिलने वाली समस्त नदियों ऋषि गंगा, पाताल गंगा, गरुड़ गंगा, विरही और नन्दाकिनी के जल ग्रहण क्षेत्रों और कुवारी पर्वत के जंगलों की सुरक्षा पर्यावरणीय दृष्टि से बहुत आवश्यक है। इस प्रकार से पर्यावरण के प्रति अतुलित प्रेम का प्रदर्शन करने और उसकी रक्षा के लिये अपनी जान को भी ताक पर रखकर गौरा देवी ने जो अनुकरणीय कार्य किया, उसने उन्हें रैंणी गांव की गौरा देवी से चिपको वूमेन फ्राम इण्डिया बना दिया।
श्रीमती गौरा देवी पेड़ों के कटान को रोकने के साथ ही वृक्षारोपण के कार्यों में भी संलग्न रहीं, उन्होंने ऐसे कई कार्यक्रमों का नेतृत्व किया। आकाशवाणी नजीबाबाद के ग्रामीण कार्यक्रमों की सलाहकार समिति की भी वह सदस्य थी। सीमित ग्रामीण दायरे में जीवन यापन करने के बावजूद भी वह दूर की समझ रखती थीं। उनके विचार जनहितकारी हैं, जिसमें पर्यावरण की रक्षा का भाव निहित था, नारी उत्थान और सामाजिक जागरण के प्रति उनकी विशेष रुचि थी। श्रीमती गौरा देवी जंगलों से अपना रिश्ता बताते हुये कहतीं थीं कि “जंगल हमारे मैत (मायका) हैं” उन्हें दशौली ग्राम स्वराज्य मण्डल की तीस महिला मंगल दल की अध्यक्षाओं के साथ भारत सरकार ने वृक्षों की रक्षा के लिये 1986 में प्रथम वृक्ष मित्र पुरस्कार प्रदान किया गया। जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी द्वारा प्रदान किया गया था।
गौरा देवी ने ही अपने अदम्य साहस और दूरदर्शिता से चिपको आन्दोलन का सूत्रपात किया था। हालांकि उन्हें परे कर अनेक लोगों ने इस आन्दोलन को हाईजैक कर अनेकों पुरस्कार बटोरे। लेकिन हमारी नजर में चिपको आन्दोलन की जननी गौरा देवी ही हैं। इस महान व्यक्तित्व का निधन 4 जुलाई, 1991 को हुआ, यद्यपि आज गौरा देवी इस संसार में नहीं हैं, लेकिन उत्तराखण्ड ही हर महिला में वह अपने विचारों से विद्यमान हैं। हिमपुत्री की वनों की रक्षा की ललकार ने यह साबित कर दिया कि संगठित होकर महिलायें किसी भी कार्य को करने में सक्षम हो सकती है। जिसका ज्वलंत उदाहरण है चिपको आन्दोलन को अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त होना है।
उत्तराखण्ड के अन्य पर्यावरण प्रेमियों के बारे में जानने के लिये मेरा पहाड फोरम पर पधारें।
Respected sir ji,
We are very-very happy to see the http://www.merapahad.com.
rgds
Lalit Shastri
Doordershan Temple
भाई साहब आप ने बिलकुल सही कहा गौरा देवी ही असली जननी है चिपको आन्दोलन की..अभी भी कुछ लोग इस सत्य से वंचित है..आप के इस प्रयास को नमन…आप के जरिये अब मै इस बात को लोगो तक पहुचा सकता हूं..
Respected Sir Ji,
Very good
We are very happy for aove.
ek upanyas padhaa thaa”daavanal”.gaura devi jee key baarey mein sabsey pehley wahin sey jaana.aaj wo jankaari renew ho gayee.
चिपको आन्दोलन की जननी गौरा देवी जी को शत-शत नमन. श्रीमती गौरा देवी जी हमे आप पर गर्व है और उत्तराखण्ड व देश के इतिहास मे आप क नाम अमर रहेगा.!
बहुत बहुत धन्यवाद मेहता जी व टीम, गौरा देवी के बारे मे विस्तारपूर्वक जानकारी के लिये…
पेड लगाओ जंगल बचाओ…
जय उत्तराखण्ड।
Our Patti Mall Chaukaut Deghat is giving the thanks because site http://www.merapahad.com/gaura-devi-mother-of-chipko-movement/ is very good for the peoples.
With Best Regards
Lalit Shastri
Hi friends, My name is Kamlesh Binjola. I am from pauri garhwal village Nail Post Office Sillogi. I feel very much glad to become a part of this site. Actually I love very much my garhwal culture. There is huge mountain, great rivers, fresh air its a great and nautural place. Therefore everybody say to this place GOD BHOOMI. Really friends I proud my self because i born there. Whenever I read uttrakhand history then my hair is cripy. I feel felicious very much. Upper site mention about the Goora Devi. She was really daring woman who fought with the enemy like family crisis, economy problem, natural disaster and so many difficulties. She was never be hopeless for facing any siutation. She is such a wothy inspiration lady for today youth. She have faced many danger even then she did not change her way. She was continued fighting with the enemy. She start a revolution of escape the tree and she gave the name of revolution was Chipko Aandolan. Because tree is sign of greenery and long life. If you will cut the tree so nobody can survive their life of this environment and environment will be polluted. As you know trees like life line of the human being and every creatures of the earth. So I think she had done fantastic job because she knew very weill if we wants save uttrakhand so we will have to come ahead and do first.
So my conclusion is that Goora Devi was a great lady of uttrakhand and we should take inspiration by her and we should follow her determination and ability of duty. Thus we will be also become good citizen of uttrakhand.
Thanks
Kamlesh Binjola
Village : Nail
Post Office: Sillogi
District : Pauri Garhwal
Mob: 09968293363
WE SHOULD BE VERY THANKFUL OF OUR REAL UTTRAKANDI LEADERS LIKE GAURA DEVI,VEER CHANDER SINGH GARHWALI, GANGU RAMOLA ETC AND I REQUEST ALL PLZ GENERATE HOME BUSINESS IN PAHARAN STOP MIGRATION FROM UTTRAKHAND . IF THERE ARE SOME PROBLEMS AND YOU COME TO OTHER CITY SO PLZ DON’T FORGET KODO-JHANGORA AND OUR GARHWALI BOLI BECOUSE ITS SYMBOL OF OUR CULTURE, SO IF WE MEAT WITH A UTTRAKHANDI WE SHOULD USE OUR PAHARI BHASA AND ALWAYS HELP PAHARI PERSON FOR FINDING JOB, SO THAT WE CAN MAKE A BETTER FUTURE FOR OUR PAHAR
MUKESH BAMRORA
MANAGER,
STATE BANK OF INDIA
SILOGI , PAURI GARHWAL
Chipko Andolan ki janaji shremati Gora devi dwaar raini village
[IMG]http://i998.photobucket.com/albums/af103/merapahad_2010/Sera%20hit%20gailyani%20Ropni/aaa_2004_image_070.jpg[/IMG]
very nic 2 c & read bout dis. it really helpd me in my hindi assignment…………….
me shankar lal deistic-Nainital,Tehsil-Ramnagar ka Shivnath Pur New Basti Maldhan Chour,Psot Office-Chandra Nagar No-1 ke ak chote se gav me rehta hu .
mujhe khushi hai ki mera janam dev bhumi Uttarakhand me huwa hai . hamare kumauni reeti rewaj or yha ke parampraye bhut hi uche hai . kumauni loggeet or shangeet to dil ko chu jata hai. mucjhe garv hai apne un mahan bibhutiyo pe jo es dev bhume me janme hai .
etne sunder-2 darasoy jo swarg se sunder hai or man ko bha jate hai . hamare uttarakhand ki to bat hi neerali hai . kha jata hai ki devi or devtawo ka niwash esi devbhumi Uttarakhand me hi hai.
I Love My Uttarakhad
Shankar jai kishan
Maldhn chour
Mob.No. 8191047809
Respected sir it’s real story about “chipko women movement”.l am very happy and impressive with your research letter.I hope that you will be share more ancient knowledge . God bless you . Heera manohar (lecturer geog.)
gora devi is symbol of motivation for every indin women.i salute to gora devi.
Kay ka hu uttrakhand k freedom faitar k kuch sabd he nahi jai uttrakhand ha y jaroor kahunga muka mile to ham bhi age aenge
us tree ka name kyy hhh
Chipko aandolan kis Tree se shuru hua
awesome courageous act by fellow ladies.salute to their nature love .
I am very thankful to you sir to provide this valuable knowledge about gaura devi.She was very courageious and determined lady.She lost her husband at very early age but she did not lose her patient.We should learn the meaning of courage and determination from gaura devi who fought bravely those peoples.Jai Bharat,Jai Uttarakhand.
I am very thankful to you sir to provide this valuable knowledge about gaura devi.She was very courageious and determined lady.She lost her husband at very early age but she did not lose her patient.We should learn the meaning of courage and determination from gaura devi who fought bravely those peoples.Jai Bharat,Jai Uttarakhand. ( Sushil mall) Gauchar,chamoli. Teacher at sarswati vidhya mandir,inter college.Gauchar chamoli.9012709232.
nice article
I Really Love my Uttarakhand and it’s Pahadi Culture…Whenever I thought the Womens of Uttarakhand They are very Courageous and Brave…The song of Mr Narendra singh negi “Betibwari Pahadon ki” dedicated all my Uttarakhandi women’s…unhi ka ek pratiroop Gaura Devi hain..Salute such type of all Uttarakhandi Womens…Jai Hind ..Jai Uttarakhand
Bhagwan Singh Negi
Dehradun Uttarakhand