चनà¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤‚वर बरà¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤² जी का जनà¥à¤® चमोली जिले के गà¥à¤°à¤¾à¤® मालकोटी, पटà¥à¤Ÿà¥€ तलà¥à¤²à¤¾ नागपà¥à¤° में 20 अगसà¥à¤¤, 1919 में हà¥à¤† था। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के चितेरे कवि, हिमवंत पà¥à¤¤à¥à¤° बरà¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤² जी अपनी मातà¥à¤° २८ साल की जीवन यातà¥à¤°à¤¾ में हिनà¥à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯ की अपूरà¥à¤µ सेवा कर अननà¥à¤¤ यातà¥à¤°à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कर गये, १९४ॠमें इनका आकसà¥à¤®à¤¿à¤• देहानà¥à¤¤ हो गया। बरà¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤² जी की शिकà¥à¤·à¤¾ पौड़ी, देहरादून और इलाहाबाद में हà¥à¤ˆà¥¤ १९३९ में इनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡ इलाहाबाद से बी०à¤à¥¦ की परीकà¥à¤·à¤¾ उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ की, १९४१ में à¤à¤®à¥¦à¤à¥¦ में लखनऊ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ लिया। यहीं पर ये शà¥à¤°à¥€ सूरà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤¨à¥à¤¤ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी “निराला” जी के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आये।
१९३९ में ही इनकी कवितायें “करà¥à¤®à¤à¥‚मि” सापà¥à¤¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤• पतà¥à¤° में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ होने लगी थी, इनके कà¥à¤› फà¥à¤Ÿà¤•à¤° निबनà¥à¤§à¥‹à¤‚ का संगà¥à¤°à¤¹ “नागिनी” इनके सहपाठी शà¥à¤°à¥€ शमà¥à¤à¥‚पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बहà¥à¤—à¥à¤£à¤¾ जी ने पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ कराया। बहà¥à¤—à¥à¤£à¤¾ जी ने ही १९४५ में “हिमवनà¥à¤¤ का à¤à¤• कवि” नाम से इनकी कावà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ पर à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ की। इनके काफल पाको गीति कावà¥à¤¯ को हिनà¥à¤¦à¥€ के शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गीति के रà¥à¤ª में “पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ अà¤à¤¿à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥” में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया गया। इनकी मृतà¥à¤¯à¥ के बाद बहà¥à¤—à¥à¤£à¤¾ जी के समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•à¤¤à¥à¤µ में “नंदिनी” गीति कविता पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ, इसके बाद इनके गीत- माधवी, पà¥à¤°à¤£à¤¯à¤¿à¤¨à¥€, पयसà¥à¤µà¤¿à¤¨à¤¿, जीतू, कंकड-पतà¥à¤¥à¤° आदि नाम से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤¯à¥‡à¥¤ नंदिनी गीत कविता के संबंध में आचारà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ और à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤—र के शà¥à¤°à¥€ हरिशंकर मूलानी लिखते हैं कि “रस, à¤à¤¾à¤µ, चमतà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¦à¥à¤µà¤¨à¥à¤¦ की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤‚जना, à¤à¤¾à¤µ शवलता, वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ आदि दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से नंदिनी अतà¥à¤¯à¥à¤¤à¥à¤¤à¤® है। इसका हर चरण सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°, शीतल, सरल, शानà¥à¤¤ और दरà¥à¤¦ से à¤à¤°à¤¾ हà¥à¤† है।
अपनी मातृà¤à¥‚मि से उनका लगाव इस कविता से à¤à¤²à¤•à¤¤à¤¾ है-
मà¥à¤à¤•à¥‹ पहाड़ ही पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ है
पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ समà¥à¤‚दà¥à¤° मैदान जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚
नित रहे उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वही पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡
मà¥à¤ को हिम से à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤
अपने पहाड़ ही पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ है
पावों पर बहती है नदिया
करती सà¥à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤£ गरà¥à¤œà¤¨ धवानिया
माथे के ऊपर चमक रहे
नठके चमकीले तारे है
आते जब पà¥à¤°à¤¿à¤¯ मधॠऋतॠके दिन
गलने लगता सब और तà¥à¤¹à¤¿à¤¨
उजà¥à¤œà¥à¤µà¤² आशा से à¤à¤° आते
तब कà¥à¤°à¤¶à¤¤à¤¨ à¤à¤°à¤¨à¥‡ सारे है
छहों में होता है कà¥à¤œà¤¨
शाखाओ में मधà¥à¤°à¤¿à¤® गà¥à¤‚जन
आà¤à¤–ों में आगे वनशà¥à¤°à¥€ के
खà¥à¤²à¤¤à¥‡ पट नà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ नà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ है
छोटे छोटे खेत और
आडू -सेबो के बागीचे
देवदार-वन जो नठतक
अपना छवि जाल पसारे है
मà¥à¤à¤•à¥‹ तो हिम से à¤à¤°à¥‡ हà¥à¤
अपने पहाड़ ही पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ है
इनकी और कवितायें पà¥à¤¨à¥‡ के लिये यहां पर जायें चनà¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤‚वर बरà¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤² और उनकी कवितायें
[…] वैषà¥à¤£à¤µ, नरेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह à¤à¤‚डारी और चंदà¥à¤°à¤•à¥à¤à¤µà¤° बरà¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤² की दà¥à¤°à¥à¤²à¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ के पà¥à¤¨à¤°à¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ […]
[…] मौलाराम तोमर, तà¥à¤°à¥‡à¤ªà¤¨ सिंह नेगी, चनà¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤‚वर बरà¥à¤¥à¤µà¤¾à¤², ऋषिवलà¥à¤²à¤ सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤², à¤à¤•à¥à¤¤à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ आदि […]