Gwaldam : A Little Heaven in the Woods
Gwaldam is a sleepy little town, on the border of Garhwal & Kumaon hills. Set amidst green woods and apple orchards, it is located at an altitude of 1629 mt. 40 Km from Kausani, Gwaldam offers a fascinating view of Himalayan peaks Nanda Devi (7817 mt), Trishul (7120 mt) and Nanda Ghuti (6309 mt). Gwaldam […]
Binsar:The Royal Summer Capital
The summer capital of the erstwhile Chand Rajas (7th-18th Century), Binsar is a picturesque, sleepy hamlet, one of the most scenic sports in the Kumaons Himalayas. Pitched at the impressive altitude of 2,420 mtrs, 95 kms from Nanital it offers a majestic view of the snow covered Himalayan peaks, the mesmerizing range Chaukhamba, Trisul, Nanda […]
Buransh: Poet’s Favourite
वहां उधर पहाड़ शिखर पर बुरूंश का फूल खिल गया और मैं समझी कि मेरी प्यारी बिटिया हीरू आ रही है। अरे फूलों से झकझक लदे हुए बुरूंश के पेड़ को मैने अपनी बिटिया हीरू का रंगीन पिछौड़ा समझ लिया। वह तो बुरूंश का वृक्ष है। मेरी बेटी हीरू को तो राजा का पटवारी सोने-चांदी का लोभ दिखाकर अपने साथ ले गया है। वह अब आने से रही। अब तो वह तभी आएगी जब बूढ़ा पटवारी आएगा उसी के साथ वह आएगी।
सुप्रसिद्ध कहानीकार मोहन लाल नेगी की कहानी ‘बुरांश की पीड’ की नायिका रूपदेई के मुख पर अगर किसी परदेशी ने देख लिया तो उसकी मुखड़ी शर्म से ऐसे लाल हो जाती थी जैसे उसके मुख पर बुरूंश का फूल खिल गया हो। पहाड़ में नायिका के कपोलों और होठों को परिभाषित करने के लिए बुरूंश एक लोकप्रसिद्ध उपनाम है। गढ़वाल के पुराने प्रसिद्ध कवि चन्द्र मोहन रतूड़ी ने नायिका के ओठों की लालिमा का जिक्र कुछ इस अंदाज में किया है। इस बुरांश के फूल ने हाय राम तेरे ओंठ कैसे चुरा लिए, चोरया कना ए बुरासन ओंठ तेरा नाराण।