उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ को देवà¤à¥‚मि कहा जाता है, कहा जाता है कि इस पवितà¥à¤° धरती पर हिनà¥à¤¦à¥‚ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° समसà¥à¤¤ ३३ करोड़ देवी-देवताओं का वास है। इन सà¤à¥€ देवी-देवताओं का हमारी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है और उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में देवी-देवता हर कषà¥à¤Ÿ का निवारण करने के लिये हमारे पास आते है, किसी पवितà¥à¤° शरीर के माधà¥à¤¯à¤® से और इसी पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को कहा जाता है- जागर।
जागर का अरà¥à¤¥ है à¤à¤• अदृशà¥à¤¯ आतà¥à¤®à¤¾ (देवी-देवताओं) को जागृत कर उसका आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ कर उसे किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के शरीर में अवतरित करना और इस कारà¥à¤¯ के लिये जागरिया जागर लगाता है, देवता की जीवनी और उसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का बखान करता है। इसमें हमारे लोक वादà¥à¤¯ हà¥à¥œà¥à¤•à¤¾ और कांसे की थाली का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– रà¥à¤ª से पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया जाता है।
“मूल में जागर कà¥à¤¯à¤¾ है?…….कि सिदà¥à¤§à¤¿à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ à¤à¤—वान गणेश, संधà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤¾à¤² का पà¥à¤°à¤œà¥à¤œà¤µà¤²à¤¿à¤¤ पंचमà¥à¤–ी पानस, माता-पिता, गà¥à¤°à¥-देवता, चार गà¥à¤°à¥ चौरंगीनाथ, बारगà¥à¤°à¥ बारंगी नाथ, नौखणà¥à¤¡à¥€ धरती, ऊंचा हिमाल-गहरा पाताल, कि धà¥à¤£à¥€-पाणी सिदà¥à¤§à¥‹à¤‚ की बाणी-बिना गà¥à¤°à¥ गà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं, कि बिणा धà¥à¤£à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं, चौरासी सिदà¥à¤§-बारह पंथ-तैंतीस कोति देवता-बावन सौ बीर-सोलह सौ मशान, नà¥à¤¯à¥‹à¤²à¥€ का शबà¥à¤¦-कफà¥à¤µà¥‡ की à¤à¤¾à¤·à¤¾, सà¥à¤²à¤•à¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ नारी का सत, हरी हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° कि, बदà¥à¤°à¥€à¤•à¥‡à¤¦à¤¾à¤°, पंचनाम देवताओं का सत, इन सà¤à¥€ के धीर-धरम, कौल करार और महाशकà¥à¤¤à¤¿ को साकà¥à¤·à¥€ करके बजने लगा……शंख…कांसे की थाली और बिजयसार का ढोल और ढोल के बाईस तालो के साथ जगरिया बजाने लगा हà¥à¥œà¥à¤•à¤¾- à¤à¤® à¤à¤¾à¤®, पम पाम और पयà¥à¤¯à¤¾ के सोटे से बजने लगी कांसे की थाली……..।â€
जागर कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की होती है,
जागर- à¤à¤• दिन की होती है।
चौरास- चार दिन के इस कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को चौरास कहते हैं।
बैसी– बाईस दिन के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को बैसी कहते हैं।
इसमें मà¥à¤–à¥à¤¯ रà¥à¤ª से तीन लोगों की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है,
१- जगरिया या धौंसिया
२- डंगरिया
३- सà¥à¤¯à¥‹à¤‚कार-सà¥à¤¯à¥‹à¤‚नाई
जगरिया या धौंसिया- उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को कहा जाता है जो अदृशà¥à¤¯ आतà¥à¤®à¤¾ को जागृत करता है, इसका कारà¥à¤¯ देवता की जीवनी, उसके जीवन की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– घटनायें व उसके पà¥à¤°à¤®à¥à¤– मानवीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को लोक वादà¥à¤¯ के साथ à¤à¤• विशेष शैली में गाकर देवता को जागृत कर उसका अवतरण डंगरिया से शरीर में कराना होता है। यह देवता को पà¥à¤°à¤œà¥à¤œà¤²à¤¿à¤¤ धूनी के चारों ओर चलाता है और उससे जागर लगवाने वाले की मनोकामना पूरà¥à¤£ करने का अनà¥à¤°à¥‹à¤§ करता है। यह कारà¥à¤¯ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ हरिजन समाज के लोग करते हैं और यह समाज का समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ होता है, इसके लिये जागर लगवाने वाला वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ नये वसà¥à¤¤à¥à¤° और सफेद साफा लेकर आता है और यह उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पहन कर यह कारà¥à¤¯ करता है। जगरिया को à¤à¥€ खान-पान और छूत आदि का à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना होता है।
डंगरिया- डंगरिया वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ होता है, जिसके शरीर में देवता का अवतरण होता है, इसे डगर (रासà¥à¤¤à¤¾) बताने वाला माना जाता है, इसलिये इसे डंगरिया कहा जाता है। जब डंगरिया के शरीर में देवता का अवतरण हो जाता है है तो उसका पूरा शरीर कांपता है और वह सà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤–ी लोगों की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के समाधान बताता है, उसे उस समय देवता की तरह ही शकà¥à¤¤à¤¿ संपनà¥à¤¨ और सरà¥à¤µà¤«à¤²à¤¦à¤¾à¤¯à¥€ माना जाता है। डंगरिया को समाज में महà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया जाता है और सà¤à¥€ उसका आदर और समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते हैं। इस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की दिनचरà¥à¤¯à¤¾ हमारी तरह सामानà¥à¤¯ नहीं होती, उसे रोज सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ कर पूजा करनी होती है, वह सà¤à¥€ जगह खा-पी नहीं सकता। यहां तक कि चाय पीने के लिये à¤à¥€ विशेष धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ उसे रखना होता हैआ उसे हमेशा शà¥à¤¦à¥à¤§ ही रहना होता है अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ देवता कà¥à¤ªà¤¿à¤¤ हो जाते हैं और उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को दणà¥à¤¡ देते हैं ऎसी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ है। उसकी दिनचरà¥à¤¯à¤¾ को चरची कहा जाता है। जागर के वकà¥à¤¤ à¤à¥€ डंगरिया गो-मूतà¥à¤°, गंगाजल और गाय के दूध का सेवन कर, शà¥à¤¦à¥à¤§ होकर ही धूणी में जाते हैं।
सà¥à¤¯à¥‹à¤‚कार-सà¥à¤¯à¥‹à¤‚नाई- जिस घर में जागर या बैसी या चौरास लगाई जाती है, उस घर के मà¥à¤–िया को सà¥à¤¯à¥‹à¤‚कार और उसकी पतà¥à¤¨à¥€ को सà¥à¤¯à¥‹à¤‚नाई कहा जाता है। यह अपनी समसà¥à¤¯à¤¾ देवता को बताते हैं और देवता के सामने चावल के दाने रखते हैं, देवता चावल के दानों को हाथ में लेते हैं और उसकी समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान बताते हैं।
जागर के लिये धूणी- जागर के लिये धूणी बनाना à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• है, इसे बनाने के लिये लोग नहा-धोकर, पंडित जी के अगà¥à¤µà¤ˆ में शà¥à¤¦à¥à¤§ होकर à¤à¤• शà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का चयन करते हैं तथा वहां पर गौ-दान किया जाता है फिर वहां पर गोलाकार à¤à¤¾à¤— में थोड़ी सी खà¥à¤¦à¤¾à¤ˆ की जाती है और वहां पर लकड़ियां रखी जाती हैं। लकड़ियों के चारों ओर गाय के गोबर और दीमक वाली मिटà¥à¤Ÿà¥€ ( यदि उपलबà¥à¤§ न हो तो शà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ की लाल मिटà¥à¤Ÿà¥€) से यहां पर लीपा जाता है। जिसमें जागर लगाने से पहले सà¥à¤¯à¥‹à¤‚कार दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दीप जलाया जाता है, फिर शंखनाद कर धà¥à¤£à¥€ को पà¥à¤°à¤œà¥à¤œà¤µà¤²à¤¿à¤¤ किया जाता है। इस धूणी में किसी à¤à¥€ अशà¥à¤¦à¥à¤§ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के जाने और जूता-चपà¥à¤ªà¤² लेकर जाने का निषेध होता है।
जागर का मà¥à¤–à¥à¤¯ कारà¥à¤¯ करता है जगरिया और वह जागर को आठà¤à¤¾à¤—ों में पूरा करता है।
१- पà¥à¤°à¤¥à¤® चरण – सांà¤à¤µà¤¾à¤²à¥€ गायन (संधà¥à¤¯à¤¾ वंदन)
२- दूसरा चरण- बिरतà¥à¤µà¤¾à¤ˆ गायन (देवता की बिरà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤²à¥€ गायन)
३- तीसरा चरण- औसाण (देवता के नृतà¥à¤¯ करते समय का गायन व वादन)
४- चौथा चरण- हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में गà¥à¤°à¥ की आरती करना
५- पांचवा चरण- खाक रमाना
६- छठा चरण- दाणी का विचार करवाना
à¥- सातवां चरण- आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ दिलाना, संकट हरण का उपाय बताना, विघà¥à¤¨-बाधाओं को मिटाना
८- आठवां चरण- देवता को अपने निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ कैलाश परà¥à¤µà¤¤ और हिमालय को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ कराना
जागर के पà¥à¤°à¤¥à¤® चरण में जगरिया हà¥à¥œà¥à¤•à¥‡ या ढोल-दमाऊं के वादन के साथ सांà¤à¤µà¤¾à¤²à¥€ का वरà¥à¤£à¤¨ करता है, इस गायन में जगरिया सà¤à¥€ देवी-देवताओं का नाम, उनके निवास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का नाम और संधà¥à¤¯à¤¾ के समय समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ दैवी कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• रà¥à¤ª से संचालन का वरà¥à¤£à¤¨ करता है।
जै गà¥à¤°à¥-जै गà¥à¤°à¥
माता पिता गà¥à¤°à¥ देवत
तब तà¥à¤®à¤°à¥‹ नाम छू इजाऽऽऽऽऽऽ
यो रà¥à¤®à¤¨à¥€-à¤à¥‚मनी संधà¥à¤¯à¤¾ का बखत में॥
तै बखत का बीच में,
संधà¥à¤¯à¤¾ जो à¤à¥à¤²à¤¿ रै।
बरम का बरम लोक में, बिषà¥à¤£à¥ का बिषà¥à¤£à¥ लोक में,
राम की अजà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ में, कृषà¥à¤£ की दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¾ में,
यो संधà¥à¤¯à¤¾ जो à¤à¥à¤²à¤¿ रै,
शंà¤à¥ का कैलाश में,
ऊंचा हिमाल, गैला पताल में,
डोटी गॠà¤à¤—ालिंग में
जागर à¤à¤• पवितà¥à¤° और लमà¥à¤¬à¤¾ अनà¥à¤·à¥à¤ ान है, इसलिये इसे à¤à¤• लेख में समाहित कर पाना मेरे लिये तो असंà¤à¤µ है, इसके बारे में विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ जानकारी हमारे फोरम पर है, इसे देखने के लिये जागर- देवताओं का पवितà¥à¤° आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ पर आयें।
I had witnessed a Jagar several years ago in my village.
sigh, not been there for long 🙁
à¤à¤• जागर हमारे नेताओं के लिये à¤à¥€ लगा दो, अरेऽऽऽऽऽऽ नहीं-नहीं जागर तो देवताओं की लगाई जाती है, इनके लिये à¤à¥‚त पूजा करा दो कि राजधानी गैरसैंण बनवाने के लिये इनको सदबà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आ सके।
जागर : – जब जगर बात हैं
मेरी काकी मà¥à¤•à¥ याद à¤à¤‚
Calling the devtass ..it’s surrounds a lot of mystery around it ..well love i t..and going to dig deep in to it soon…..
Though, i attended several JAGAR at my village, but didn’t know lots of other facts, u have mentioned here… Amazing job.. keep it up..
Also, i almost everyday browse the forum to get fresh. great job. keep it up !
Jai hooo! sufala hai jaya deva sufala hai jaya deva hoo!
jai hooo! sufala hai jaya deva sufala hai jaya deva hoo!
Jagar is real yr.
I think. Its real
And i belive in it
दà¥à¤°à¥à¤²à¤ जानकारी। मैं बहà¥à¤¤ समय से ढूंढ रहा था। और विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ होती तो और अचà¥à¤›à¤¾ लगता । आà¤à¤¾à¤° नैथानी जी इस सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° लेख के लिये। कà¥à¤¯à¤¾ इस समà¥à¤¬à¤‚ध में कोई पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• उपलबà¥à¤§ है। यदि है तो कहाठमिलेगी ।
I m totally disturb