पशà¥à¤§à¤¨ की कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ की कामना का परà¥à¤µ “खतडà¥à¤µà¤¾”
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ से ही कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ आजीविका का मà¥à¤–à¥à¤¯ सà¥à¤°à¥‹à¤¤ रहा है। जटिल à¤à¥Œà¤—ोलिक परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कारण वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤à¤‚ नगणà¥à¤¯ थीं, लेकिन कम उपजाऊ जमीन होने के बावजूद कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ ही जीवनयापन के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आधार थे। आज à¤à¥€ कृषि और पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ कई पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• लोक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤à¤‚ और तीज-तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° पहाड़ के […]
ऋतà¥à¤“ं के सà¥à¤µà¤¾à¤—त का तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°- हरेला
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ की समृदà¥à¤§à¤¤à¤¾ के विसà¥à¤¤à¤¾à¤° का कोई अनà¥à¤¤ नहीं है, हमारे पà¥à¤°à¤–ों ने सालों पहले जो तीज-तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° और सामानà¥à¤¯ जीवन के जो नियम बनाये, उनमें उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ और विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का à¤à¤°à¤ªà¥‚र उपयोग किया था। इसी को चरितारà¥à¤¥ करता उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का à¤à¤• लोक तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° है-हरेला। हरेले का परà¥à¤µ हमें नई ऋतॠके शà¥à¤°à¥ होने […]