बैरिसà¥à¤Ÿà¤° मà¥à¤•à¥à¤¨à¥à¤¦à¥€ लाल जी का जनà¥à¤® 14 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 1885 में चमोली जिले के पाटली गांव, मलà¥à¤²à¤¾ नागपà¥à¤° पटà¥à¤Ÿà¥€ में हà¥à¤† था। वे à¤à¤• सà¥à¤µà¤¿à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ विधिवेतà¥à¤¤à¤¾, कà¥à¤¶à¤² पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤•, उचà¥à¤šà¤•à¥‹à¤Ÿà¤¿ के कला मरà¥à¤®à¤—à¥à¤¯, लेखक, पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°, शिकारी, फोटोगà¥à¤°à¤¾à¤«à¤°, पà¥à¤·à¥à¤ª पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€, पकà¥à¤·à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ थे, कà¥à¤² मिलाकर वह à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ थे। उनकी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ चोपड़ा (पौड़ी) मिशन हाईसà¥à¤•à¥‚ल में हà¥à¤ˆ, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हाईसà¥à¤•à¥‚ल और इणà¥à¤Ÿà¤°à¤®à¥€à¤¡à¤¿à¤¯à¥‡à¤Ÿ की परीकà¥à¤·à¤¾ रैमजे इंटर कालेज, अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ से पà¥à¤°à¤¥à¤® शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ की। 1911 में इलाहाबाद से बी०à¤à¥¦ की परीकà¥à¤·à¤¾ पास कर दानवीर घनाननà¥à¤¦ खंडूडी से मिली आरà¥à¤¥à¤¿à¤• सहायता से 1913 में इंगà¥à¤²à¥ˆà¤£à¥à¤¡ गये और वहां से 1919 में बार-à¤à¤Ÿ-ला की डिगà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की और सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ लौटे।
इंगà¥à¤²à¥ˆà¤£à¥à¤¡ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कमà¥à¤¯à¥à¤¨à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿ नेता सकलातवाला, पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® सेनानी, शिव पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ गà¥à¤ªà¥à¤¤, पà¥à¤°à¥‹à¥¦ हेरालà¥à¤¡ लासà¥à¤•à¥€, पà¥à¤°à¥‹à¥¦ गिलवरà¥à¤Ÿ गेर, दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• वरà¥à¤Ÿà¥‡à¤¡ रसेल और साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° बरà¥à¤¨à¤¾à¤¡ शा आदि लोगों के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आये। 1914 में वहीं पर उनकी मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ महातà¥à¤®à¤¾ गांधी से à¤à¥€ हà¥à¤ˆ, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ काल में ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बोलà¥à¤µà¥‡à¤¶à¤¿à¤• साहितà¥à¤¯ पà¥à¤¾ और उससे पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤¯à¥‡à¥¤ 6 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², 1919 को बार-à¤à¤Ÿ-ला की डिगà¥à¤°à¥€ के साथ योरोपीय आदरà¥à¤¶à¤µà¤¾à¤¦ और मारà¥à¤•à¥à¤¸à¤µà¤¾à¤¦à¥€ विचारों को लेकर सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ लौटे। बमà¥à¤¬à¤ˆ में खà¥à¤«à¤¿à¤¯à¤¾ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हिरासत में ले लिया, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इनके पास मारà¥à¤•à¥à¤¸à¤µà¤¾à¤¦à¥€ साहितà¥à¤¯ था। बमà¥à¤¬à¤ˆ में ही इनसे करेणà¥à¤¡à¤•à¤° जी और हिनà¥à¤¦à¥‚ समाचार पतà¥à¤° के समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• कसà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ रंगा अयà¥à¤¯à¤° ने इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मदà¥à¤°à¤¾à¤¸ आने तथा हिनà¥à¤¦à¥‚ में काम करने का निमंतà¥à¤°à¤£ दिया। बैरिसà¥à¤Ÿà¤° ने यह आमंतà¥à¤°à¤£ ठà¥à¤•à¤°à¤¾ दिया और इलाहाबाद चले आये, जहां पर जवाहर लाल नेहरॠने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ इनका सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। इस दौरान उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पं० मोती लाल नेहरà¥, जवाहर लाल नेहरà¥, रामेशà¥à¤µà¤°à¥€ नेहरà¥, सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤²à¤¾à¤² और महातà¥à¤®à¤¾ गांधी जैसे राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ नेताओं के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आने का अवसर मिला तथा वह उनके विचारों से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤¯à¥‡à¥¤ इसके बाद मà¥à¤•à¥à¤¨à¥à¤¦à¥€ लाल जी ने कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ ले ली और अपने पहाड़ लौट आये। 1919 में इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लैंसडाउन में वकालत पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ की, तà¤à¥€ ये सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ और राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® सेनानियों के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आये। 1920 में ये उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ से पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤®à¤£à¥à¤¡à¤² लेकर अमृतसर के कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ में गये और वहां पर उनकी मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ जिनà¥à¤¨à¤¾ से ही हà¥à¤ˆà¥¤
समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ से लौटने के बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यहां पर कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की और इसके 800 सदà¥à¤¸à¥à¤¯ बनाये, इस समय उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में कà¥à¤²à¥€ बेगार आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ चरम पर था, मà¥à¤•à¥à¤¨à¥à¤¦à¥€ लाल जी à¤à¥€ इस आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में कूद पड़े, आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पहाड़ की धडकन का पता चला, इसी आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चौंदकोट के केसर सिंह रावत, योगेशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बहà¥à¤–णà¥à¤¡à¥€, मंगतराम खंतवाल, हरिदतà¥à¤¤ बौड़ाई, à¤à¥ˆà¤°à¤µ दतà¥à¤¤ धूलिया, ईशà¥à¤µà¤°à¥€ दतà¥à¤¤ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥€, à¤à¥‹à¤²à¤¾ दतà¥à¤¤ चनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¾, जीवाननà¥à¤¦ बडोला, रघà¥à¤µà¤° दयाल और हयात सिंह जैसे सहयोगी मिले। 1923 और 1926 में मà¥à¤•à¥à¤¨à¥à¤¦à¥€ लाल जी, जो अब बैरिसà¥à¤Ÿà¤° से नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हो गये थे, गà¥à¤µà¤¾à¤² सीट से पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥€à¤¯ कौंसिल के लिये चà¥à¤¨à¥‡ गये, 1927 में यह कौंसिल के उपाधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· à¤à¥€ चà¥à¤¨à¥‡ गये। 1930 में इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ छोड़ दी। 1930 में वीर चनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह गढवाली और पेशावर काणà¥à¤¡ के सिपाहियो की पैरवी के लिये à¤à¤¬à¤Ÿà¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ चले आये, अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ सरकार अपने इस अपमान (राजदà¥à¤°à¥‹à¤¹) का बदला इन सिपाहियों को फांसी देकर चà¥à¤•à¤¾à¤¨à¤¾ चाहती थी, लेकिन बैरिसà¥à¤Ÿà¤° की दमदार बहस से वे पेशावर कांड के सà¤à¥€ सिपाहियों को फांसी की सजा से बचाने में कामयाब रहे। इसके बाद 1938 से 1943 तक ये टिहरी रियासत के हाईकोरà¥à¤Ÿ के जज रहे और फिर 16 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक टरपेनà¥à¤Ÿà¤¾à¤‡à¤² फैकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€, बरेली के जनरल मैनेजर रहे। 1930 में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ से इसà¥à¤¤à¥€à¤«à¤¾ देने के 32 साल बाद और पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥€à¤¯ कौंसिल के लिये 1936 में चà¥à¤¨à¤¾à¤µ हारने के बाद 1962 में इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गà¥à¤µà¤¾à¤² से 1962 में इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विधान सà¤à¤¾ का निरà¥à¤¦à¤²à¥€à¤¯ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ लड़ा और जीते, ततà¥à¤ªà¤¶à¥à¤šà¤¾à¤¤ पà¥à¤¨à¤ƒ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हो गये। 1967 में इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ राजनीति से à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ ले लिया।
à¤à¤• कला समीकà¥à¤·à¤•, लेखक, समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤•-पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° और संगà¥à¤°à¤¹à¤•à¤¾à¤° के रà¥à¤ª में इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपना परचम लहराया। मौलाराम के कवि-चितà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में लाने में इनकी महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका रही है, बलà¥à¤•à¤¿ इसका शà¥à¤°à¥‡à¤¯ इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ को जाता है। “ गà¥à¤µà¤¾à¤² पेनà¥à¤Ÿà¤¿à¤‚गà¥à¤¸â€ नामक इनकी पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ 1969 में à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ विà¤à¤¾à¤— ने किया। 1972 में इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ ललित कला अकादमी की फेलोशिप मिली, 1978 में अखिल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कला संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ने अपनी सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ जयनà¥à¤¤à¥€ के अवसर पर इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया। इटली के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ समाचार पतà¥à¤° यंग इटली की तरà¥à¤œ पर इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लैंसडाउन से “ तरà¥à¤£ कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚†नाम से मासिक पतà¥à¤° का समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ और पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ शà¥à¤°à¥ किया। इसके अलावा बैरिसà¥à¤Ÿà¤° à¤à¤• कà¥à¤¶à¤² शिकारी à¤à¥€ थे, उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने जीवन काल में 5 शेर और 23 बाघों का शिकार किया। कोटदà¥à¤µà¤¾à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ इनका घर “à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ à¤à¤µà¤¨â€ पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और दà¥à¤°à¥à¤²à¤ फूलों का à¤à¤• छोटा संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ है। बैरिसà¥à¤Ÿà¤° हमेशा ही उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के विकास के लिये पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² रहे, गà¥à¥à¤µà¤¾à¤² कमिशà¥à¤¨à¤°à¥€ का गठन और मौलाराम सà¥à¤•à¥‚ल आफ गढवाल आरà¥à¤Ÿà¤¸ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ही जाता है। जीवन के 97 सालों में बैरिसà¥à¤Ÿà¤° आरà¥à¤¯ समाजी, ईसाई, सिख, हिनà¥à¤¦à¥‚ और बौदà¥à¤§ बने और बतौर बà¥à¤¦à¥à¤§ ही निरà¥à¤µà¤¾à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के पà¥à¤°à¤¥à¤® और अनà¥à¤¤à¤¿à¤® बैरिसà¥à¤Ÿà¤° के रà¥à¤ª में à¤à¥€ इनकी पहचान रही। वासà¥à¤¤à¤µ में मà¥à¤•à¥à¤¨à¥à¤¦à¥€ लाल जी उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के लाल हैं।
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कसà¥â€à¤¤à¥‚री रंगा अयà¥à¤¯à¤‚गार
हमे गरà¥à¤µ है कि हम उनके परिवार में से है और उस à¤à¥‚मि से वासà¥à¤¤à¤¾ रखते है जय देव à¤à¥‚मि जय हिंद ,,