गौरा देवी : चिपको आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ की जननी
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ को जन आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨à¥‹à¤‚ की धरती à¤à¥€ कहा जा सकता है, उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के लोग हमेशा से ही अपने जल-जंगल, जमीन और बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦à¥€ हक-हकूकों के लिय और उनकी रकà¥à¤·à¤¾ के लिये हमेशा से ही जागरà¥à¤• रहे हैं। चाहे 1921 का कà¥à¤²à¥€ बेगार आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ 1930 का तिलाड़ी आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ हो या 1974 का चिपको आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨, या 1984 का […]
कबूतरी देवी : उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की पहली लोक गायिका
आप लोगों ने यदि à¥à¥¦-८० के दशक में नजीबाबाद और लखनऊ आकाशवाणी से पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ कà¥à¤®à¤¾à¤‚ऊनी गीतों के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को सà¥à¤¨à¤¾ होगा तो à¤à¤• खनकती आवाज आपके जेहन में जरà¥à¤° होगी। जो हाई पिच पर गाती थी, “आज पनि à¤à¥Œà¤‚-à¤à¥Œ, à¤à¥‹à¤² पनि à¤à¥Œà¤‚-à¤à¥Œà¤‚, पोरखिन त नà¥à¤¹à¥ˆ जूंला†और “पहाड़ों को ठणà¥à¤¡à¥‹ पाणि, कि à¤à¤²à¤¿ मीठी बाणीâ€à¥¤Â इस […]
à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€ – उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में महिलाओं को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤• विशिषà¥à¤Ÿ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ राजà¥à¤¯ में कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚-गढवाल मणà¥à¤¡à¤² के पहाड़ी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° अपनी विशिषà¥à¤Ÿ लोक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं और तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को कई शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से सहेज रहे हैं| यहाठपà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ कई à¤à¤¸à¥‡ तीज-तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हैं, जो सिरà¥à¤« इस अंचल में ही मनाये जाते हैं. जैसे कृषि से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हैं हरेला और फूलदेई, माठपारà¥à¤µà¤¤à¥€ को अपने गाà¤à¤µ की बेटी मानकर उसके मायके […]