वंशीधर पाठक “जिगà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥” उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के लोक अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾
वंशीधर पाठक ‘जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥â€™ जी का जनà¥à¤® अलà¥à¤®à¥‹à¤¡à¤¼à¤¾ जनपद के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾à¤¹à¤¾à¤Ÿ विकासखंड के नहरा, पो. मासर (कफड़ा) गांव में 21 फरवरी 1934 को हà¥à¤†à¥¤ बहà¥à¤¤ छोटी उमà¥à¤° में ही वे अपने पिता के साथ देहरादून चले गये। यही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की। कà¥à¤› समय बाद वे पिता के साथ दिलà¥à¤²à¥€ चले गये। इसके बाद […]
कबूतरी देवी : उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की पहली लोक गायिका
आप लोगों ने यदि à¥à¥¦-८० के दशक में नजीबाबाद और लखनऊ आकाशवाणी से पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ कà¥à¤®à¤¾à¤‚ऊनी गीतों के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को सà¥à¤¨à¤¾ होगा तो à¤à¤• खनकती आवाज आपके जेहन में जरà¥à¤° होगी। जो हाई पिच पर गाती थी, “आज पनि à¤à¥Œà¤‚-à¤à¥Œ, à¤à¥‹à¤² पनि à¤à¥Œà¤‚-à¤à¥Œà¤‚, पोरखिन त नà¥à¤¹à¥ˆ जूंला†और “पहाड़ों को ठणà¥à¤¡à¥‹ पाणि, कि à¤à¤²à¤¿ मीठी बाणीâ€à¥¤Â इस […]