गिर्दा का जाना एक युग का अवसान है
विगत २२ अगस्त, २०१० को हमारे गिर्दा हमसे हमेशा के लिये दूर चले गये। गिरीश चन्द्र तिवारी उर्फ गिर्दा मेरा पहाड़ परिवार के लिये एक अभिभावक की तरह थे, उनके जाने से हमने अपने अभिभावक को खो दिया है। उत्तराखण्ड की संस्कृति या आन्दोलनों पर जैसे ही हम कोई लेख तैयार कर रहे होते तो किसी चीज […]
कबूतरी देवी : उत्तराखण्ड की पहली लोक गायिका
आप लोगों ने यदि ७०-८० के दशक में नजीबाबाद और लखनऊ आकाशवाणी से प्रसारित कुमांऊनी गीतों के कार्यक्रम को सुना होगा तो एक खनकती आवाज आपके जेहन में जरुर होगी। जो हाई पिच पर गाती थी, “आज पनि झौं-झौ, भोल पनि झौं-झौं, पोरखिन त न्है जूंला” और “पहाड़ों को ठण्डो पाणि, कि भलि मीठी बाणी”। इस […]
Choliya Dance- A Folk Dance of Uttarakhand
छलिया नृत्य हमारे उत्तराखण्ड के लोक नृत्यों में सबसे लोकप्रिय नृत्य है। यह नृत्य युद्ध के प्रतीक के रुप में ही प्रयोग किया जाता है, इसमें पुरुष प्राचीन सैनिकों जैसी वेश-भूषा धारण कर तलवार और् ढाल लेकर युद्ध जैसा नृत्य करते हैं। जिसमें उत्तराखण्ड के लोक वाद्य ढोल, दमाऊ, रणसिंग, तुरही और मशकबीन भी शिरकत […]