उत्तराखण्ड की एक विरासत है कुमाऊंनी रामलीला
भगवान राम की कथा पर आधारित रामलीला नाटक के मंचन की परंपरा भारत में युगों से चली आयी है। लोक नाट्य के रुप में प्रचलित इस रामलीला का देश के विविध प्रान्तों में अलग अलग तरीकों से मंचन किया जाता है। उत्तराखण्ड खासकर कुमायूं अंचल में रामलीला मुख्यतया गीत-नाट्य शैली में प्रस्तुत की जाती है। […]
गिर्दा का जाना एक युग का अवसान है
विगत २२ अगस्त, २०१० को हमारे गिर्दा हमसे हमेशा के लिये दूर चले गये। गिरीश चन्द्र तिवारी उर्फ गिर्दा मेरा पहाड़ परिवार के लिये एक अभिभावक की तरह थे, उनके जाने से हमने अपने अभिभावक को खो दिया है। उत्तराखण्ड की संस्कृति या आन्दोलनों पर जैसे ही हम कोई लेख तैयार कर रहे होते तो किसी चीज […]
राग और रंग का अनूठा संगम : कुमाऊं की बैठकी होली
होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार है,धूम का त्यौहार है। लेकिन उत्तराखण्ड के कुमाऊं मण्डल में होली रंगो के साथ-साथ रागों के संगम का त्यौहार है। इसे अनूठी होली कहना भी अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि यहां होली सिर्फ रंगो से ही नहीं बल्कि रागों से भी खोली जाती है। पौष माह के पहले सप्ताह से […]