उतà¥à¤¤à¤® सिंह सामनà¥à¤¤ (जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अधिकारियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ कहा गया था) गà¥à¤°à¤¾à¤® उड़ई, देवलथल, जनपद पिथौरागढ़ के रहने वाले थे। इनका जनà¥à¤® १९०८ में हà¥à¤† था। दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µ यà¥à¤¦à¥à¤§ का सूरमा, अपनी शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ का अकेला राजà¤à¤•à¥à¤¤, यà¥à¤¦à¥à¤§ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अपूरà¥à¤µ शौरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ के लिये “मारà¥à¤¶à¤² कà¥à¤°à¤¾à¤¸” और “मिलेटà¥à¤°à¥€ कà¥à¤°à¤¾à¤¸ इन वार” समà¥à¤®à¤¾à¤¨ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤à¥¤ १६ अपà¥à¤°à¥ˆà¤², १९४४ को कोहिमा का ऎतिहासिक यà¥à¤¦à¥à¤§ समापà¥à¤¤ हà¥à¤† और २ॠमई, १९४५ को पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ सरकार के गजट में सूबेदार उतà¥à¤¤à¤® सिंह कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ की जोरदार तारीफ की गई और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ “मारà¥à¤¶à¤² कà¥à¤°à¤¾à¤¸” से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया। राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रायफलà¥à¤¸ के राजपूत सैनिकों ने इनके समà¥à¤®à¤¾à¤¨ में निमà¥à¤¨ पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को यà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¥‚मि में लड़ाई का मजमून बनाया- “लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€à¤¬à¤¾à¤ˆ की कहां राख है, सिर से उसे लगा लें हम, उतà¥à¤¤à¤® सिंह का कहां कà¥à¤°à¥‹à¤§ है, गात रकà¥à¤¤ गरमा लें हम” दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µ यà¥à¤¦à¥à¤§ के दौरान हिटलर की मृतà¥à¤¯à¥ के बाद अखिल विशà¥à¤µ में अपनी हूकà¥à¤®à¤¤ की इचà¥à¤›à¤¾ रखने वाले जापान ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सीमा तक घेर ली थी। यह खबर पाते ही आसाम रायफलà¥à¤¸ के कमांडिंग आफीसर ने सूबेदार उतà¥à¤¤à¤® सिंग के नेतृतà¥à¤µ में १६ वीं पà¥à¤²à¤¾à¤Ÿà¥‚न आपू पहाड़ी पर à¤à¥‡à¤œ दी। २ अपà¥à¤°à¥ˆà¤², १९४४ को उतà¥à¤¤à¤® सिंह अपनी पà¥à¤²à¤¾à¤Ÿà¥‚न लेकर आराधूरा नामक टीले पर पहà¥à¤‚चे। जापानी सेना मिनिसà¥à¤Ÿà¤° हिल की तरफ आगे बढ़ रही थी, यहीं पर सूबेदार उतà¥à¤¤à¤® सिंह ने जापानी टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¥€ को अपने कबà¥à¤œà¥‡ में ले लिया। इस आपरेशन में जापानी सेना के १५ जवान मारे गये, हमले में जापानी कमाणà¥à¤¡à¤° तराकोने à¤à¤¾à¤— निकला। हैड कà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤° लौटते ही इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जापान अधिकृत कोकीटीला और टेनिस गà¥à¤°à¤¾à¤‰à¤£à¥à¤¡ जाने का हà¥à¤•à¥à¤® हà¥à¤†, इस पूरे कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° पर जापानी सेना का कबà¥à¤œà¤¾ था। यहीं पर शहीदों की याद में अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ बादशाह जारà¥à¤œ पंचम ने दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की सबसे बड़ी वार सिमेटà¥à¤°à¥€ बनवाई थी। इसी वार सिमेटà¥à¤°à¥€ के पास उतà¥à¤¤à¤® सिंह ने सिपाही अमर बहादà¥à¤° थापा को साथ लेकर जापानी सेना के ओ०पी० को धराशाई किया था। फलसà¥à¤µà¤°à¥à¤ª १६१ इणà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¨ इनà¥à¤«à¥‡à¤¨à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ बà¥à¤°à¤¿à¤—ेड की सारी यूनिटें आगे बढ़ सकीं। आठघंटॆ के à¤à¤¯à¤‚कर यà¥à¤¦à¥à¤§ के बाद जापानी सेना मोरà¥à¤šà¤¾ छोड़कर à¤à¤¾à¤— गई और कोकोटीला पर बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सेना का कबà¥à¤œà¤¾ जो गया। किनà¥à¤¤à¥ आगे जेल हिल के पास उतà¥à¤¤à¤® सिंह को दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ की गोलियों ने घायल कर दिया, इनका सारा शरीर छलनी हो गया, इनके शरीर को दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥‹à¤‚ ने संगीनों से घोंप डाला। शिलांग मिलेटà¥à¤°à¥€ हासà¥à¤ªà¤¿à¤Ÿà¤² में इनके शरीर से १२ गोलियां निकाली गई। इसी बहादà¥à¤°à¥€ के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ “मारà¥à¤¶à¤² कà¥à¤°à¤¾à¤¸” से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया।
छह महीने के इलाज के बाद सूबेदार उतà¥à¤¤à¤® सिंह को फिर से यà¥à¤¦à¥à¤§ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में जाने का हà¥à¤•à¥à¤® हà¥à¤†à¥¤ कोहिमा से १६१ इणà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¨ इनà¥à¤«à¥ˆà¤¨à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€ ने कूच कर सामरा तथा होमलिन में पड़ाव डाल रखा था। उधर यू रिवर के पास १९ इणà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¨ डिवीजन का कबà¥à¤œà¤¾ था, लेकिन बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤ªà¥à¤¤à¥à¤° और इरावदी नदी के पार जापानी सैनिकों का कबà¥à¤œà¤¾ था। उतà¥à¤¤à¤® सिंह अकà¥à¤Ÿà¥‚बर १९४४ में चिनमिन दरिया पार कर साइपू पहà¥à¤‚चे तो करà¥à¤¨à¤² सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¨à¤²à¥€ ने इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इरावदी नदी पार करने का हà¥à¤•à¥à¤® दिया, नाव से जब ये नदी पार कर रहे थे तो दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ ने इन पर हमला बोल दिया, लेकिन अपने बà¥à¤²à¤¨à¥à¤¦ हौसले के बल पर सूबेदार उतà¥à¤¤à¤® सिंह नदी पार पहà¥à¤‚च गये, लेकिन दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥‹à¤‚ ने इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ फिर से घेर लिया। रात के अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¥‡ का फायदा उठाकर जब ये लोग चमू पहà¥à¤‚चे तो यहां इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सूचना मिली कि आसाम रायफलà¥à¤¸ के कई जवान और करà¥à¤¨à¤² बोन जापानियों के हाथों मारे गये हैं और शेष बटालियनें à¤à¥€ वापस जा चà¥à¤•à¥€ हैं। आखिर फरवरी, १९४५ में ये लोग सेबू के डिवीजन हैड कà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤° पहà¥à¤‚चे, मांडले पर १५,४ और ३३ बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ कोर का घेरा था। चिनमिन तथा इरावदी नदी के बीच जनरल मोहन सिंह के नेतृतà¥à¤µ में आजाद हिनà¥à¤¦ फौज à¤à¥€ वहां पर लड़ रही थी, उतà¥à¤¤à¤® सिंह इस इलाके में महीनों गशà¥à¤¤ करते रहे, इसी दौरान उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जापानियों पर हमला कर जापान दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ लड़ाई का महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ नकà¥à¤¶à¤¾ अपने कबà¥à¤œà¥‡ में ले लिया। उसी नकà¥à¤¶à¥‡ के आधार पर इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जापान पर हमला कर दिया और उसे तबाह कर दिया। ११ अगसà¥à¤¤, १९४५ को जापान ने आतà¥à¤® समरà¥à¤ªà¤£ कर दिया, जापान की तबाही के बाद लारà¥à¤¡ माउणà¥à¤Ÿà¤¬à¥‡à¤Ÿà¤¨ ने मांडाले पर यूनियन जैक लहराया। इस कà¥à¤¶à¤² अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ के बाद सूबेदार उतà¥à¤¤à¤® सिंह को दिलà¥à¤²à¥€ में वायसराय लारà¥à¤¡ बेथल ने “मिलेटà¥à¤°à¥€ कà¥à¤°à¤¾à¤¸ इन वार” से दोबारा समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया। जूनियर होते हà¥à¤¯à¥‡ à¤à¥€ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सूबेदार मेजर बना दिया गया। इस पद पर यह १९६४ तक रहे। १९६४ में इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ डा० à¤à¤¸à¥¦ राधाकृषà¥à¤£à¤¨ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– à¤à¥¦à¤¡à¥€à¥¦à¤¸à¥€à¥¦ बनाया गया, अनपढ़ होते हà¥à¤¯à¥‡ à¤à¥€ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कमà¥à¤ªà¤¨à¥€ कमाणà¥à¤¡à¤° का पद दिया गया। २६ नवमà¥à¤¬à¤°, १९६८ को ३९ सालों की शौरà¥à¤¯ से à¤à¤°à¥€ सराहनीय सैनà¥à¤¯ सेवा के बाद इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अवकाश गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर लिया। सेवा निवृतà¥à¤¤ होने के बाद यह अपने पैतृक गांव उड़ई, देवलथल आ गये और १० साल तक गà¥à¤°à¤¾à¤® सà¤à¤¾ के सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿ रहे। अपनी जिनà¥à¤¦à¤—ी à¤à¤° उतà¥à¤¤à¤®à¥‹à¤‚ में उतà¥à¤¤à¤® रहे उतà¥à¤¤à¤® सिंह राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के लिये गौरव रहे। इसके अतिरिकà¥à¤¤ वह अपने गांव के साथ ही देवलथल के विकास के लिये समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ रहे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के लोगों के लिये आसाम राईफलà¥à¤¸ में विशेष à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ के कैमà¥à¤ª देवलथल में ही लगवाये और आसाम राईफलà¥à¤¸ के सेवानिवृतà¥à¤¤ सैनिकों और उनके परिवार की सहायता वह मृतà¥à¤¯à¥ परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ करते रहे। देवलथल कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में आज à¤à¥€ उनका नाम बेहद समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के साथ लिया जाता है, आज की पीढी उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मेजर बू के नाम से जानती है और उनकी याद को अकà¥à¤·à¥à¤£à¥à¤£ रखने के लिये देवलथल बाजार में उनके आवास पर सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों ने उनके नाम पर à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤²à¤¯ à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया है। दिनांक 19 दिसमà¥à¤¬à¤°, 1999 को उनका देहावसान हो गया।
Great Leader, Brave soldier and true son of Mother India as well as Home town Dewalthal.
The nation will always Salute you.
You are the Pillar and Pathfinder of Dewalthal.
People of Dewalthal never Forget You.
Jai Hind
मेजर बूबू को हम सब देवलथल वासियों का नमन, वह हमारा गौरव थे।