शà¥à¤°à¥€ चनà¥à¤¦à¤° सिंह बसेड़ा का जनà¥à¤® १८à¥à¥¦ के आस-पास पिथौरागढ जिले के à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤°à¥€à¤—ांव, देवलथल में हà¥à¤† था। अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤à¤¿à¤• शिकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने के बाद वह सेना में à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ हो गये थे, उस समय पà¥à¤°à¤¥à¤® विशà¥à¤µ यà¥à¤¦à¥à¤§ लगà¤à¤— अनà¥à¤¤à¤¿à¤® चरण पर था, बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सेनायें अनà¥à¤¤à¤¿à¤® दम तक लड़कर जरà¥à¤®à¤¨ और तà¥à¤°à¥à¤• सेनाओं को पछाड़ने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर रही थीं। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ सैनिक अफसर इराक के मेसापोटामिया मैदान (आज का इराक) में तैनात तà¥à¤°à¥à¤• सेनाओं के मोरà¥à¤šà¥‡ को विफल करने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सैनिकों की छिनà¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ टà¥à¤•à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¤•à¤¤à¥à¤° कर रहे थे। इसी कà¥à¤°à¤® में दिसमà¥à¤¬à¤°, १९१६ में बरà¥à¤®à¤¾ मिलेटà¥à¤°à¥€ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ से २०० कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚नी सैनिकों को ३ॠडोगरा रेजीमेनà¥à¤Ÿ में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ कर टिगरिस नदी के कà¥à¤Ÿ सेकà¥à¤Ÿà¤° के समीप बने à¤à¤® २० पोसà¥à¤Ÿ पर à¤à¥‡à¤œà¤¾ गया। दूसरे किनारे पर तà¥à¤°à¥à¤• सेनायें डटी थीं, १२ फरवरी, १९१ॠको १०२ गà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥‡à¤¡à¤¸ के कपà¥à¤¤à¤¾à¤¨ कà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤Ÿà¥€ के नेतृतà¥à¤µ में कà¥à¤Ÿ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° पर आकà¥à¤°à¤®à¤£ हà¥à¤†, जिसमें गà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥‡à¤¡à¤°à¥à¤¸ को à¤à¤¾à¤°à¥€ नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ उठाना पड़ा। परनà¥à¤¤à¥ दूसरे पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ में à¤à¤® २० मोरà¥à¤šà¥‡ को कामयाबी मिल गई। ३ॠडोगरा रेजीमेनà¥à¤Ÿ की २ कमà¥à¤ªà¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सहायता पहà¥à¤‚चाने तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ जाना पड़ा, इसी कमà¥à¤ªà¤¨à¥€ में सूबेदार चनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह बसेड़ा तैनात थे। दजला नदी के इस सपाट तट पर आगे बढ़ रहे इन à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सिपाहियों को तà¥à¤°à¥à¤• सेना दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की गई à¤à¤¾à¤°à¥€ मशीनगन फायरिंग à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥€ पड़ी, जिसमें à¤à¤¾à¤°à¥€ जनहानि हà¥à¤ˆ, जिसमें सैनिक टà¥à¤•à¥œà¥€ के 16 लोग मारे गये, 57 बà¥à¤°à¥€ तरह घायल हà¥à¤¯à¥‡ और à¤à¤• लापता हो गये। सेना की टà¥à¤•à¥œà¥€ को कमाणà¥à¤¡ कर रहे दोनों बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ अफसर शहीद हो चà¥à¤•à¥‡ थे, इन नाजà¥à¤• कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में अपने विवेक तथा साहस का परिचय देते हà¥à¤¯à¥‡ सà¥à¤¬à¥‡à¤¦à¤¾à¤° चनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह बसेड़ा ने कमà¥à¤ªà¤¨à¥€ की कमाणà¥à¤¡ अपने हाथों में ले ली और तोपखाने के à¤à¤£à¥à¤¡à¥‡ को फहराते हà¥à¤¯à¥‡, गोलियों की बौछार के बीच बढ़ते हà¥à¤¯à¥‡ फतह हासिल करके ही दम लिया। इससे तà¥à¤°à¥à¤• सेना का मनोबल टूट गया और बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सेना अपने मकसद में कामयाब हà¥à¤ˆà¥¤
 इस वीरता à¤à¤°à¥‡ कारनामे को अंतिम कà¥à¤·à¤£ पर अंजाम देने वाले सूबेदार चनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह बसेड़ा को यà¥à¤¦à¥à¤§ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में ही आई०ओ०à¤à¤®à¥¦ (इणà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¨ आरà¥à¤¡à¤° आफ मैरिट) से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया, यह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सैनिको को दिये जाने वाला उस समय का सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š समà¥à¤®à¤¾à¤¨ था। उस समय तक विकà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कà¥à¤°à¤¾à¤¸ केवल बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सैनिकों को ही दिया जाता था। उनके लिये जंगी इनाम अलग से घोषित किया गया, यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° यà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¥‚मि में शौरà¥à¤¯ के उदाहरणों से à¤à¤°à¤¾ पड़ा है, लेकिन शौरà¥à¤¯ की उस परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के जनक होने का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ सूबेदार चनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह बसेड़ा को ही जाता है। शà¥à¤°à¥€ बसेड़ा को इस शौरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ के लिये विकà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ कà¥à¤°à¤¾à¤¸ न दे पाने की गà¥à¤²à¤¾à¤¨à¤¿ बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ अधिकारियों में à¤à¥€ थी, इसलिये अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अधिकारियों ने बसेड़ा जी से उनकी किसी और अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ के लिये पूछा गया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि मेरे पास सब कà¥à¤› है और कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚नी सैनिकों के लिये अलग से रेजीमेनà¥à¤Ÿ के गठन की इचà¥à¤›à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ की, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि तब तक कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚नी सैनिकों के लिये अलग से बटालियन नहीं थी, कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ के लोगों की सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® में सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¤¾à¤—ीदारी के कारण अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपना वफादार नहीं मानते थे, इसीलिये उस समय कà¥à¤®à¤¾à¤‰à¤¨à¥€ लोग फौज में जाने पर अपनी जाति लिखते नहीं थे और चनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह बसेड़ा à¤à¥€ चनà¥à¤¦à¤°à¥€ चनà¥à¤¦ के नाम से ही à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ हà¥à¤¯à¥‡ थे। चनà¥à¤¦à¤°à¥€ चनà¥à¤¦ जी ने ही अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अफसरों को अहसास कराया कि कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚नी सैनिक वीर होने के साथ ही जिसका नमक खाते हैं, उनके वफादार à¤à¥€ होते हैं। इसी से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने यà¥à¤¦à¥à¤§à¤•à¤¾à¤² में ही 1918 में 1 बटा 50 गढà¥à¤µà¤¾à¤² राइफलà¥à¤¸ से 3 कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ रायफलà¥à¤¸ बनाई , यह à¤à¥€ सेना के इतिहास में à¤à¤• अलग ही नजीर है कि यà¥à¤¦à¥à¤§à¤•à¤¾à¤² में ही किसी नई बटालियन का गठन किया गया हो। वरà¥à¤· 1945 में जब सेना का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤—ठन हà¥à¤† तो कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ रेजीमेणà¥à¤Ÿ असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आई। इसके साथ ही बसेड़ा जी ने रेजीमेणà¥à¤Ÿ के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में कà¥à¤®à¤¾à¤‚ऊनी समà¥à¤®à¤¾à¤¨ का सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• ” सफेद टोपी” पहनने की इचà¥à¤›à¤¾ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ की। इस साहसी और पराकà¥à¤°à¤®à¥€ सैनिक का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ शासन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ ही मान लिया। सेना से रिटायर होने बाद यह अपने गांव आ गये और à¤à¤• à¤à¤µà¥à¤¯ मकान का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कराया, जिसे आज à¤à¥€ ठà¥à¤²à¤˜à¤° के नाम से जाना जाता है। दिनांक 09 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 1926 को इनकी मृतà¥à¤¯à¥ हो गई। इनके पà¥à¤¤à¥à¤° सà¥à¤µà¥¦ ननà¥à¤¦à¤¨ सिंह बसेड़ा ने à¤à¥€ पिता की गौरवानà¥à¤µà¤¿à¤¤ सैनिक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ को जीवित रखा और सिगà¥à¤¨à¤² रेजीमेणà¥à¤Ÿ से मेजर के पद पर सेवानिवृतà¥à¤¤ हà¥à¤¯à¥‡, इस सैनà¥à¤¯ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ को उनके पोते शà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª सिंह बसेड़ा ने à¤à¥€ जीवित रखा और कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ रेजीमेणà¥à¤Ÿ से करà¥à¤¨à¤² के पद से सेवानिवृतà¥à¤¤ हà¥à¤¯à¥‡à¥¤ हालांकि कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ रेजीमेणà¥à¤Ÿ ने चनà¥à¤¦à¤°à¥€ चनà¥à¤¦ जी को अपने निरà¥à¤®à¤¾à¤£ या निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ कदापि नहीं दिया, लेकिन कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ रेजीमेणà¥à¤Ÿ के कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ शिलà¥à¤ªà¥€ तो वही थे, उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ की वीरता से अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ को कà¥à¤®à¤¾à¤‚ऊनी सैनिको की वीरता और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हà¥à¤†, जिसकी परिणिति यà¥à¤¦à¥à¤§à¤•à¤¾à¤² में कà¥à¤®à¤¾à¤‚ऊ राइफलà¥à¤¸ के गठन के रà¥à¤ª में हà¥à¤ˆà¥¤ कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚नी सैनिको की वीरता और साहस को गौरवानà¥à¤µà¤¿à¤¤ कर अलग पहचान दिलाने के उनके अतà¥à¤²à¤¨à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ को हमारा नमन।
कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ रेजीमेणà¥à¤Ÿ ने चनà¥à¤¦à¤°à¥€ बूबू को कà¤à¥€ शà¥à¤°à¥‡à¤¯ नहीं दिया, लेकिन हम जानते हैं और मानते हैं कि यह रेजीमेणà¥à¤Ÿ उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ का सपना है।
सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ीय चनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ चंदà¥à¤° जी पूरे कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ का गौरव हैं। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ की बदौलत आज कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ रेजिमेंट का मारà¥à¤— पà¥à¤°à¤¸à¤¸à¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ कà¥à¤› तो खास है उस मिटà¥à¤Ÿà¥€ में, जिसने à¤à¤• से बà¥à¤•à¤° à¤à¤• महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को जनà¥à¤® दिया और घमंड कà¤à¥€ नहीं किया। हमारे महान पूरà¥à¤µà¤œ सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ीय चनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€ चंदà¥à¤° बसेड़ा जी हमेशा हमारे पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ सà¥à¤°à¥‹à¤¤ रहेंगे और कà¤à¥€ देश हमसे कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ मांगे तो उनà¥à¤¹à¥€ के नकà¥à¤¶à¥‡ कदमों पर चलते हà¥à¤µà¥‡ हम à¤à¥€ इस मिटà¥à¤Ÿà¥€, मातृà¤à¥‚मि पर कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨ हो जाà¤à¤‚गे।
जै हिनà¥à¤¦
जयà¤à¤¾à¤°à¤¤
जै उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड
और नमन उस लाल कोðŸ’ðŸ’ðŸ’ðŸ’
सैलà¥à¤¯à¥‚ट है बूबूजी को, कोटिशः नमन
हमारे बूबूजी की वीरता और समाज की चिंता को सà¤à¥€ से रूबरू कराने के लिये मेरा पहाड़ को साधà¥à¤µà¤¾à¤¦à¥¤
बाराबीसी के गौरव चनà¥à¤¦à¤°à¥€ चनà¥à¤¦ जी को नमन
सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ीय चंदà¥à¤°à¥€ चंद जी की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ को नमन.
Pride of Barabisi. Grand salute sir
ये तो हमारे बूबू हैं। पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® बूबू। आमा को देखे अचà¥à¤›à¥€ तरह याद है ।लेकिन बूबू की नहीं है। हमारी ककà¥à¤·à¤¾ तीसरी की पढाई ,à¤à¤‚डारी गांव ठà¥à¤²à¤˜à¤° से ही आरमà¥à¤ हà¥à¤ˆ थी ।।गलà¥à¤¸ सà¥à¤•à¥‚ल पà¥à¤°à¤¾à¤‚रठहà¥à¤† था। नमन पà¥à¤£à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ को। नमन देवलथल।
Great salute for great soul
जय हिंद वंदे मातरमà¥à¥¤ वीरों की धरती देवलथल पà¥à¤£à¥à¤¯ à¤à¥‚मि को नमन।
बाबू जी को कोटि कोटि नमन जय हो कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ रजिमैनà¥à¤Ÿ की
जय जवान जय किसान **जय à¤à¤¾à¤°à¤¤*****ðŸ™ðŸ’