निसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥, करà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ समाजसेवी शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ रेवती उनियाल का वà¥à¤¯à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ बहà¥à¤¤ निराला था, à¤à¤• साधारण किसान परिवार में जनà¥à¤®à¥€ पà¥à¤œà¤¾à¤° गांव की रेवती बचपन से ही अति तेजसà¥à¤µà¥€ तथा मेधावी थी। वे पिता की असामयिक मृतà¥à¤¯à¥ के कारण केवल पाचवीं ककà¥à¤·à¤¾ तक ही पॠसकीं। १ॠवरà¥à¤· की आयॠमें उनका विवाह हà¥à¤†, पति शà¥à¤°à¥€ मेधापति उनियाल का तीन वरà¥à¤· बाद ही देहानà¥à¤¤ हो गया। इनकी पैतृक समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र गà¥à¤µà¤¾à¤² में थी, वैधवà¥à¤¯ के बाद दो सौतेले बेटों और अपने à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° पà¥à¤¤à¥à¤° के साथ शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र में आकर रहने लगीं। महिलाओं के विकास के लिये सबसे पहले महिलाओं को à¤à¤•à¤œà¥à¤Ÿ करने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कीरà¥à¤¤à¤¨ मंडली बनाई और उसके माधà¥à¤¯à¤® से महिलाओं को पà¥à¤¨à¥‡ के लिये पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ किया। वे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ इलाहाबाद गई, वहां से विशेष अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ लेकर पà¥à¤°à¥Œà¤¢ महिलाओं और बाल विधवा सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की उमà¥à¤° कम करवा कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤•à¥‚ल में à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ कराया। शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र गà¥à¤µà¤¾à¤² का जिला परिषद सà¥à¤•à¥‚ल १९४६ तक पांचवीं ककà¥à¤·à¤¾ तक ही था, उसमें सह शिकà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€ थी, फिर वह गवरà¥à¤¨à¤®à¥‡à¤‚ट कालेज ककà¥à¤·à¤¾ सात तक बना, जिसमें रणजीत कामà¥à¤¬à¥‹à¤œ पहली पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯à¤¾ थीं। उनकी मदद से रेवती जी ने गांव से लड़कियों को बà¥à¤²à¤¾-बà¥à¤²à¤¾ कर पढने के लिये पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ किया। वहां दूर-दूर गांव से आकर लड़कियां पढने लगीं, जब वहां आठवीं ककà¥à¤·à¤¾ खà¥à¤²à¥€ तो छातà¥à¤°à¤¾à¤“ं को पà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिये सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® शिकà¥à¤·à¤¿à¤•à¤¾ देवेशà¥à¤µà¤°à¥€ खंडूड़ी थीं, जो रेवती जी के मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ में पà¥à¤¾à¤¨à¥‡ लगीं और सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥€ आगे पà¥à¤¤à¥€ रहीं।
जब शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र में इंटर कालेज खà¥à¤²à¤¾ तो सà¥à¤•à¥‚ल को रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤¿à¤¤ कर दिया गया। उस समय देवेशà¥à¤µà¤°à¥€ खंडूड़ी मातà¥à¤° १४ वरà¥à¤· की किशोरी विधवा थीं। अतः रेवती उनियाल लखनऊ गई और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शिकà¥à¤·à¤¾ विà¤à¤¾à¤— से जाकर कहा कि देवेशà¥à¤µà¤°à¥€ अकेले रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— नहीं जायेगी, वह शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र में रहकर ही नौकरी करेगी, चाहे उसे वेतन मिले या नहीं, इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से उस असहाय किशोरी को अपने संरकà¥à¤·à¤£ में रखा। उस समय संसà¥à¤¥à¤¾ की पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• सदसà¥à¤¯à¤¾ का २५ पैसे अनिवारà¥à¤¯ सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ शà¥à¤²à¥à¤• रखा गया था, सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ से अधिक à¤à¥€ दे सकते थे। आज से लगà¤à¤— ५०-५५ साल पहले जब कि पैसे का सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ अà¤à¤¾à¤µ था, यह संसà¥à¤¥à¤¾ परसà¥à¤ªà¤° चनà¥à¤¦à¤¾ करके अपनी अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखती थी। शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र में जब सरà¥à¤µà¥‹à¤¦à¤¯à¥€ नेता आये तो रेवती जी से उनका परिचय हà¥à¤†à¥¤ समाज सेविका रेवती को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चरखे दिये, लगà¤à¤— १९४८-५० के आस-पास इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चरखा संघ खोला। सरà¥à¤µà¥‹à¤¦à¤¯à¥€ नेता इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कचà¥à¤šà¤¾ माल ला कर देते थे, तà¤à¥€ से वे “मंतà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€â€ के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤ˆà¤‚, इनकी देख-रेख में तैयार किया गया पकà¥à¤•à¤¾ माल सरà¥à¤µà¥‹à¤¦à¤¯à¥€ नेताओं को दिया जाता था।
१९६० के नशा विरोधी आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में à¤à¥€ रेवती जी ने बà¥-चॠकर हिसà¥à¤¸à¤¾ लिया, उस समय उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हरिजन बसà¥à¤¤à¥€ धà¥à¤¨à¤¾à¤° खोला, शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र गà¥à¤µà¤¾à¤² में घर-घर जाकर शराबबनà¥à¤¦à¥€ के लिये कारà¥à¤¯ किया और कई परिवारों को नशे के कारण नषà¥à¤Ÿ होने से बचाया। कालानà¥à¤¤à¤° में ये सरà¥à¤µà¥‹à¤¦à¤¯à¥€ नेताओं से परिचित हà¥à¤ˆà¤‚, इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने महिला संघ, जिसमें देवेशà¥à¤µà¤°à¥€ खंड़ूडी, चंदनी काला, दà¥à¤°à¥à¤—ा देवी खंडूड़ी, रामेशà¥à¤µà¤°à¥€ देवी, सà¥à¤§à¤¾, शकà¥à¤‚तला देवी, तृपà¥à¤¤à¤¾ देवी गैरोला, बचà¥à¤šà¥€ देवी तथा नगर की अनà¥à¤¯ जागरà¥à¤• महिलायें समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ थीं। इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने शराब के विरोध में जगह-जगह पर पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ किये, जà¥à¤²à¥‚स निकाले, शराब की दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र और पौड़ी में अनेक बार धरने दिये और शराब की दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ बनà¥à¤¦ करवाई। शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र में ठेके पर दी गई देसी शराब की दà¥à¤•à¤¾à¤¨ बनà¥à¤¦ तो हो गई, लेकिन चोरी-छिपे पिछवाड़े से बिकà¥à¤°à¥€ जारी रही, तो मंतà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ जी ने दà¥à¤•à¤¾à¤¨ पर ताला लगा दिया और पà¥à¤²à¤¿à¤¸ अधीकà¥à¤·à¤• को तार à¤à¤¿à¤œà¤µà¤¾à¤¯à¤¾ कि दà¥à¤•à¤¾à¤¨ पर ताला डाल दिया है, इसकी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ मैं लेती हूं, इसके विरà¥à¤¦à¥à¤§ यदि कोई कारà¥à¤°à¤µà¤¾à¤ˆ करनी है तो मà¥à¤ पर कर लें। परिणामतः देशी शराब की दà¥à¤•à¤¾à¤¨ बनà¥à¤¦ करवा दी गई।
शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ उनियाल रेडकà¥à¤°à¤¾à¤¸ की सेकà¥à¤°à¥‡à¤Ÿà¤°à¥€ à¤à¥€ रहीं, सà¥à¤¶à¥à¤°à¥€ फरà¥à¤²à¥‡ जब बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ से शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र तथा पौड़ी à¤à¥à¤°à¤®à¤£ पर आई तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रेवती जी के कारà¥à¤¯ की अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सराहना की। रेवती जी ने पौड़ी, शà¥à¤°à¥€à¤¨à¤—र, चमोली, रà¥à¤¦à¥à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤—, ननà¥à¤¦à¤ªà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤— के गांवों में घूम-घूम कर महिला मंडलों की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की। महिलाओं को लेकर ये जà¥à¤²à¥‚स निकालती थीं, हरिजनों के उदà¥à¤§à¤¾à¤° के लिये à¤à¥€ इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कारà¥à¤¯ किये।
शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ रेवती उनियाल के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯, समाजिक, पारिवारिक और धारà¥à¤®à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की लमà¥à¤¬à¥€ सूची है, वे ऊपर से कठोर किंतॠअति संवेदनशील हृदय, परदà¥à¤ƒà¤– कातर, अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सरल, करà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤·à¥à¤ , समाजसेवी महिला थीं। कठोर परिशà¥à¤°à¤® के कारण वे बाद में असà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रहने लगीं और लगà¤à¤— ६६-६ॠवरà¥à¤· की आयॠमें उनका निधन हो गया।
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ महिलाओं और उनकी उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जानने के लिये हमारे फोरम पर पधारें।