उत्तराखण्ड को देवभूमि कहा जाता है, कहा जाता है कि इस पवित्र धरती पर हिन्दू मान्यताओं के अनुसार समस्त ३३ करोड़ देवी-देवताओं का वास है। इन सभी देवी-देवताओं का हमारी संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है और उत्तराखण्ड में देवी-देवता हर कष्ट का निवारण करने के लिये हमारे पास आते है, किसी पवित्र शरीर के माध्यम से और इसी प्रक्रिया को कहा जाता है- जागर।
जागर का अर्थ है एक अदृश्य आत्मा (देवी-देवताओं) को जागृत कर उसका आह्वान कर उसे किसी व्यक्ति के शरीर में अवतरित करना और इस कार्य के लिये जागरिया जागर लगाता है, देवता की जीवनी और उसके द्वारा किये कार्यों का बखान करता है। इसमें हमारे लोक वाद्य हुड़्का और कांसे की थाली का प्रमुख रुप से प्रयोग किया जाता है।
“मूल में जागर क्या है?…….कि सिद्धिदाता भगवान गणेश, संध्याकाल का प्रज्जवलित पंचमुखी पानस, माता-पिता, गुरु-देवता, चार गुरु चौरंगीनाथ, बारगुरु बारंगी नाथ, नौखण्डी धरती, ऊंचा हिमाल-गहरा पाताल, कि धुणी-पाणी सिद्धों की बाणी-बिना गुरु ग्यान नहीं, कि बिणा धुणी ध्यान नहीं, चौरासी सिद्ध-बारह पंथ-तैंतीस कोति देवता-बावन सौ बीर-सोलह सौ मशान, न्योली का शब्द-कफुवे की भाषा, सुलक्षिणी नारी का सत, हरी हरिद्वार कि, बद्रीकेदार, पंचनाम देवताओं का सत, इन सभी के धीर-धरम, कौल करार और महाशक्ति को साक्षी करके बजने लगा……शंख…कांसे की थाली और बिजयसार का ढोल और ढोल के बाईस तालो के साथ जगरिया बजाने लगा हुड़्का- भम भाम, पम पाम और पय्या के सोटे से बजने लगी कांसे की थाली……..।”
जागर- एक दिन की होती है।
चौरास- चार दिन के इस कार्यक्रम को चौरास कहते हैं।
बैसी– बाईस दिन के कार्यक्रम को बैसी कहते हैं।
इसमें मुख्य रुप से तीन लोगों की आवश्यकता होती है,
१- जगरिया या धौंसिया
२- डंगरिया
३- स्योंकार-स्योंनाई
जगरिया या धौंसिया- उस व्यक्ति को कहा जाता है जो अदृश्य आत्मा को जागृत करता है, इसका कार्य देवता की जीवनी, उसके जीवन की प्रमुख घटनायें व उसके प्रमुख मानवीय गुणों को लोक वाद्य के साथ एक विशेष शैली में गाकर देवता को जागृत कर उसका अवतरण डंगरिया से शरीर में कराना होता है। यह देवता को प्रज्जलित धूनी के चारों ओर चलाता है और उससे जागर लगवाने वाले की मनोकामना पूर्ण करने का अनुरोध करता है। यह कार्य मुख्यतः हरिजन समाज के लोग करते हैं और यह समाज का सम्मानीय व्यक्ति होता है, इसके लिये जागर लगवाने वाला व्यक्ति नये वस्त्र और सफेद साफा लेकर आता है और यह उन्हें पहन कर यह कार्य करता है। जगरिया को भी खान-पान और छूत आदि का भी ध्यान रखना होता है।
डंगरिया- डंगरिया वह व्यक्ति होता है, जिसके शरीर में देवता का अवतरण होता है, इसे डगर (रास्ता) बताने वाला माना जाता है, इसलिये इसे डंगरिया कहा जाता है। जब डंगरिया के शरीर में देवता का अवतरण हो जाता है है तो उसका पूरा शरीर कांपता है और वह सभी दुःखी लोगों की समस्याओं के समाधान बताता है, उसे उस समय देवता की तरह ही शक्ति संपन्न और सर्वफलदायी माना जाता है। डंगरिया को समाज में मह्त्वपूर्ण स्थान दिया जाता है और सभी उसका आदर और सम्मान करते हैं। इस व्यक्ति की दिनचर्या हमारी तरह सामान्य नहीं होती, उसे रोज स्नान ध्यान कर पूजा करनी होती है, वह सभी जगह खा-पी नहीं सकता। यहां तक कि चाय पीने के लिये भी विशेष ध्यान उसे रखना होता हैआ उसे हमेशा शुद्ध ही रहना होता है अन्यथा देवता कुपित हो जाते हैं और उस व्यक्ति को दण्ड देते हैं ऎसी मान्यता है। उसकी दिनचर्या को चरची कहा जाता है। जागर के वक्त भी डंगरिया गो-मूत्र, गंगाजल और गाय के दूध का सेवन कर, शुद्ध होकर ही धूणी में जाते हैं।
स्योंकार-स्योंनाई- जिस घर में जागर या बैसी या चौरास लगाई जाती है, उस घर के मुखिया को स्योंकार और उसकी पत्नी को स्योंनाई कहा जाता है। यह अपनी समस्या देवता को बताते हैं और देवता के सामने चावल के दाने रखते हैं, देवता चावल के दानों को हाथ में लेते हैं और उसकी समस्या का समाधान बताते हैं।
जागर के लिये धूणी- जागर के लिये धूणी बनाना भी आवश्यक है, इसे बनाने के लिये लोग नहा-धोकर, पंडित जी के अगुवई में शुद्ध होकर एक शुद्ध स्थान का चयन करते हैं तथा वहां पर गौ-दान किया जाता है फिर वहां पर गोलाकार भाग में थोड़ी सी खुदाई की जाती है और वहां पर लकड़ियां रखी जाती हैं। लकड़ियों के चारों ओर गाय के गोबर और दीमक वाली मिट्टी ( यदि उपलब्ध न हो तो शुद्ध स्थान की लाल मिट्टी) से यहां पर लीपा जाता है। जिसमें जागर लगाने से पहले स्योंकार द्वारा दीप जलाया जाता है, फिर शंखनाद कर धुणी को प्रज्जवलित किया जाता है। इस धूणी में किसी भी अशुद्ध व्यक्ति के जाने और जूता-चप्पल लेकर जाने का निषेध होता है।
जागर का मुख्य कार्य करता है जगरिया और वह जागर को आठ भागों में पूरा करता है।
१- प्रथम चरण – सांझवाली गायन (संध्या वंदन)
२- दूसरा चरण- बिरत्वाई गायन (देवता की बिरुदावली गायन)
३- तीसरा चरण- औसाण (देवता के नृत्य करते समय का गायन व वादन)
४- चौथा चरण- हरिद्वार में गुरु की आरती करना
५- पांचवा चरण- खाक रमाना
६- छठा चरण- दाणी का विचार करवाना
७- सातवां चरण- आशीर्वाद दिलाना, संकट हरण का उपाय बताना, विघ्न-बाधाओं को मिटाना
८- आठवां चरण- देवता को अपने निवास स्थान कैलाश पर्वत और हिमालय को प्रस्थान कराना
जागर के प्रथम चरण में जगरिया हुड़्के या ढोल-दमाऊं के वादन के साथ सांझवाली का वर्णन करता है, इस गायन में जगरिया सभी देवी-देवताओं का नाम, उनके निवास स्थानों का नाम और संध्या के समय सम्पूर्ण प्रकृति एवं दैवी कार्यों के स्वतः प्राकृतिक रुप से संचालन का वर्णन करता है।
जै गुरु-जै गुरु
माता पिता गुरु देवत
तब तुमरो नाम छू इजाऽऽऽऽऽऽ
यो रुमनी-झूमनी संध्या का बखत में॥
तै बखत का बीच में,
संध्या जो झुलि रै।
बरम का बरम लोक में, बिष्णु का बिष्णु लोक में,
राम की अजुध्या में, कृष्ण की द्वारिका में,
यो संध्या जो झुलि रै,
शंभु का कैलाश में,
ऊंचा हिमाल, गैला पताल में,
डोटी गढ़ भगालिंग में
जागर एक पवित्र और लम्बा अनुष्ठान है, इसलिये इसे एक लेख में समाहित कर पाना मेरे लिये तो असंभव है, इसके बारे में विस्तृत जानकारी हमारे फोरम पर है, इसे देखने के लिये जागर- देवताओं का पवित्र आह्वान पर आयें।
I had witnessed a Jagar several years ago in my village.
sigh, not been there for long 🙁
एक जागर हमारे नेताओं के लिये भी लगा दो, अरेऽऽऽऽऽऽ नहीं-नहीं जागर तो देवताओं की लगाई जाती है, इनके लिये भूत पूजा करा दो कि राजधानी गैरसैंण बनवाने के लिये इनको सदबुद्धि आ सके।
जागर : – जब जगर बात हैं
मेरी काकी मुकु याद ऐं
Calling the devtass ..it’s surrounds a lot of mystery around it ..well love i t..and going to dig deep in to it soon…..
Though, i attended several JAGAR at my village, but didn’t know lots of other facts, u have mentioned here… Amazing job.. keep it up..
Also, i almost everyday browse the forum to get fresh. great job. keep it up !
Jai hooo! sufala hai jaya deva sufala hai jaya deva hoo!
jai hooo! sufala hai jaya deva sufala hai jaya deva hoo!
Jagar is real yr.
I think. Its real
And i belive in it
दुर्लभ जानकारी। मैं बहुत समय से ढूंढ रहा था। और विस्तृत होती तो और अच्छा लगता । आभार नैथानी जी इस सुन्दर लेख के लिये। क्या इस सम्बंध में कोई पुस्तक उपलब्ध है। यदि है तो कहाँ मिलेगी ।
I m totally disturb