राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में à¤à¥€ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡à¥€ महिलाओं का अविसà¥à¤®à¤°à¤£à¥€à¤¯ योगदान रहा है। इनमें à¤à¤• बेमिसाल नाम सà¥à¤µà¥¦ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ बिशà¥à¤¨à¥€ देवी शाह का है। १२ अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, १९०२ को बागेशà¥à¤µà¤° में जनà¥à¤®à¥€ बिशà¥à¤¨à¥€ देवी मातà¥à¤° ककà¥à¤·à¤¾ ४ तक ही शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ थीं। à¤à¤• ओर वैधवà¥à¤¯ और दूसरी ओर सामाजिक कà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से बीच जकड़ी बिशà¥à¤¨à¥€ देवी राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ से जà¥à¥œà¥€ और आजादी के लिये लगातार संघरà¥à¤·à¤°à¤¤ रहीं। इनका राषà¥à¤Ÿà¥à¤° पà¥à¤°à¥‡à¤® १९ वरà¥à¤· की आयॠमें राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ गीत गायन से शà¥à¤°à¥ हà¥à¤†à¥¤ कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚नी कवि गौरà¥à¤¦à¤¾ के गीतों को महिलायें रातà¥à¤°à¤¿ जागरण में गाया करती थी, जिससे सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का संचार हà¥à¤†à¥¤ अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ में ननà¥à¤¦à¤¾ देवी के मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में होने वाली सà¤à¤¾à¤“ं में à¤à¤¾à¤— लेने और सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में बिशà¥à¤¨à¥€ देवी काम करने लगीं। आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को महिलायें पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करती थीं, जेल जाते समय समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ कर पूजा करती, आरती उतारतीं और फूल चà¥à¤¾à¤¯à¤¾ करती थीं।
१९२१ से १९३० के बीच महिलाओं में जागृति वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• होती गयी, १९३० तक ये सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सीधे आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में à¤à¤¾à¤— लेने लगीं। तब अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ ही नहीं, रामनगर और नैनीताल की महिलाओं में à¤à¥€ जागृति आने लगी थी। २५ मई, १९३० को अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ नगर पालिका में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ धà¥à¤µà¤œ फहराने का निशà¥à¤šà¤¯ हà¥à¤†à¥¤ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सेवकों का à¤à¤• जà¥à¤²à¥‚स, जिसमें महिलायें à¤à¥€ शामिल थीं, को गोरखा सैनिकों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रोका गया। इसमें मोहनलाल जोशी तथा शांतिलाल तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€ पर हमला हà¥à¤† और वे लोग घायल हà¥à¤¯à¥‡à¥¤ तब बिशà¥à¤¨à¥€ देवी शाह, दà¥à¤°à¥à¤—ा देवी पनà¥à¤¤, तà¥à¤²à¤¸à¥€ देवी रावत, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¦à¥‡à¤µà¥€ तà¥à¤°à¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€ आदि के नेतृतà¥à¤µ में महिलाओं ने संगठन बनाया। कà¥à¤¨à¥à¤¤à¥€ देवी वरà¥à¤®à¤¾, मंगला देवी पाणà¥à¤¡à¥‡, à¤à¤¾à¤—ीरथी देवी, जीवनà¥à¤¤à¥€ देवी तथा रेवती देवी की मदद के लिये बदà¥à¤°à¥€à¤¦à¤¤à¥à¤¤ पाणà¥à¤¡à¥‡ और देवीदतà¥à¤¤ पनà¥à¤¤Â अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ के कà¥à¤› साथियो सहित वहां आये। इससे महिलाओं का साहस बà¥à¤¾à¥¤ अंततः वह à¤à¤‚डारोहण करने में सफल हà¥à¤ˆà¤‚, दिसमà¥à¤¬à¤°, १९३० में बिशà¥à¤¨à¥€ देवी शाह को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर लिया गया और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ जेल में रखा गया। जेल के कषà¥à¤Ÿà¤ªà¥à¤°à¤¦ जीवन से वे बिलà¥à¤•à¥à¤² à¤à¥€ विचलित नहीं हà¥à¤ˆà¤‚, वहां पर वे पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ गीत की पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ दोहराती थी-
“जेल ना समà¤à¥‹ बिरादर, जेल जाने के लिये,
यह कृषà¥à¤£ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ पाने के लिये।â€
जेल से रिहाई के बाद बिशà¥à¤¨à¥€ देवी जी खादी के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में जà¥à¤Ÿ गईं। उस समय अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ में खादी की दà¥à¤•à¤¾à¤¨ नहीं थी, चरखा १० रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ में मिलता था। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चरखे का मूलà¥à¤¯ घटवाकर ५ रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ करवाया और घर-घर जाकर महिलाओं को दिलवाया, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ संगठित कर चरखा कातना सिखाया। उनका कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ से बाहर à¤à¥€ बà¥à¤¨à¥‡ लगा, २ फरवरी, १९३१ को बागेशà¥à¤µà¤° में महिलाओं का à¤à¤• जà¥à¤²à¥‚स निकला तो बिशà¥à¤¨à¥€ देवी ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बधाई दी और सेरा दà¥à¤°à¥à¤— (बागेशà¥à¤µà¤°) में आधी नाà¥à¤²à¥€ जमीन और ५० रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ दान में दिये। वे आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिये छà¥à¤ªà¤•à¤° धन जà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡, सामगà¥à¤°à¥€ पहà¥à¤‚चाने तथा पतà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤• का कारà¥à¤¯ à¤à¥€ करतीं थीं। राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में सकà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾ के कारण ॠजà¥à¤²à¤¾à¤ˆ, १९३३ में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर फतेहगॠजेल à¤à¥‡à¤œ दिया गया, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ९ माह की सजा और २०० रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ जà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¾ हà¥à¤†à¥¤ जà¥à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¾ न देने पर सजा और बà¥à¤¾à¤ˆ गई, वहां से रिहा होने के बाद १९३४ में बागेशà¥à¤µà¤° मेले में धारा १४४ लगी होने के बावजूद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€ करवाई। डिपà¥à¤Ÿà¥€ कमिशà¥à¤¨à¤° टà¥à¤°à¥‡à¤² के आतंक में à¤à¥€ बिशà¥à¤¨à¥€ देवी शाह का कारà¥à¤¯ विधिवत चलता रहा। इसी मधà¥à¤¯ रानीखेत में हरगोबिनà¥à¤¦ पनà¥à¤¤ के सà¤à¤¾à¤ªà¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¤• सà¤à¤¾ हà¥à¤ˆ, जिसमें कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤£à¥€ में महिला सदसà¥à¤¯ के रà¥à¤ª में इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ निरà¥à¤µà¤¾à¤šà¤¿à¤¤ किया गया। १० से १५जनवरी, १९३५ में बागेशà¥à¤µà¤° में लगाई गई पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€ हेतॠउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¥à¤® शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ पतà¥à¤° मिला। अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ ननà¥à¤¦à¤¾ देवी के मैदान में और फिर २३ जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ, १९३५ को अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ के मोतिया धारे के समीप नये कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ à¤à¤µà¤¨ में बिशà¥à¤¨à¥€ देवी शाह तथा विजय लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ पंडित ने à¤à¤‚डा फहराया। विजय लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ पंडित बिशà¥à¤¨à¥€ देवी के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆà¤‚।
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26 फरवरी, १९४० को ननà¥à¤¦à¤¾ देवी के पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में १० बजे फिर à¤à¤‚डारोहण किया तथा १९४०-४१ को वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ में à¤à¤¾à¤— लिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अनेक शराब की दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर धरना दिया और विदेशी वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की होलियां जलाई। १ॠअपà¥à¤°à¥ˆà¤², १९४० को वे ननà¥à¤¦à¤¾ देवी मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के समीप खà¥à¤²à¤¨à¥‡ वाले कताई केनà¥à¤¦à¥à¤° की संचालिका बनीं, १९४२ में à¤à¤¾à¤°à¤¤ छोड़ो आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सरकार को बिशà¥à¤¨à¥€ देवी ने आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨à¤•à¤¾à¤°à¥€ महिला की à¤à¥‚मिका का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ कराया। पंडित जवाहरलाल नेहरॠऔर आचारà¥à¤¯ नरेनà¥à¤¦à¥à¤° देव की अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ जेल से रिहाई के समय बिशà¥à¤¨à¥€ देवी ने उनकी अगवानी की। ननà¥à¤¦à¤¾ देवी पà¥à¤°à¤¾à¤‚गण में १५ अगसà¥à¤¤, १९४ॠको सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ दिवस के दिन बिशà¥à¤¨à¥€ देवी शाह राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ धà¥à¤µà¤œ तिरंगे को पकड़कर नारे लगातीं हà¥à¤ˆ à¤à¤• मील लमà¥à¤¬à¥‡ जà¥à¤²à¥‚स की शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾ बà¥à¤¾ रहीं थीं।
बिशà¥à¤¨à¥€ देवी सामानà¥à¤¯ परिवार में जनà¥à¤®à¥€ अलà¥à¤ª शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ महिला थीं। विनय, सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾, मृदॠवà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ आदि गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के कारण वे कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की सफल कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ बनीं। वे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ और राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ नेताओं के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में सदा से ही रहीं। सामाजिक बंधनों तथा रà¥à¤¢à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤à¤¾ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ आगे बà¥à¤¤à¥‡ हà¥à¤ संघरà¥à¤· करना उनकी चारितà¥à¤°à¤¿à¤• विशेषता थी। उनके बारे में लोग कहते थे-
“खदà¥à¤¦à¤° की ही धोती पहने, और खदà¥à¤¦à¤° का ही कà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾,
à¤à¤• हाथ में खदà¥à¤¦à¤° का à¤à¥‹à¤²à¤¾ और दूजे में सà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯à¥€ तिरंगा।â€
१० अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, १९३० को दैनिक अमृत बाजार पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ ने उनकी कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ के बारे में लिखा: “समसà¥à¤¤ उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ और नैनीताल आगे आये हैं, विशेषकर अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾à¥¤ उसमें बिशà¥à¤¨à¥€ देवी की à¤à¥‚मिका सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® है। बिशà¥à¤¨à¥€ देवी अदमà¥à¤¯ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ और साहस से यà¥à¤•à¥à¤¤ महिला हैं। अपने वैधवà¥à¤¯ की रिकà¥à¤¤à¤¤à¤¾ को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ से जà¥à¥œà¤•à¤° पूरा कर दिया।â€Â महिला कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ होने के कारण सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ के बाद उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ कोई महतà¥à¤µ नहीं मिला, उनका अपना कोई न था। आरà¥à¤¥à¤¿à¤• अà¤à¤¾à¤µ में उनका अनà¥à¤¤à¤¿à¤® समय अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ कषà¥à¤Ÿà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में बीता। वरà¥à¤· १९à¥à¥ª में à¥à¥© वरà¥à¤· की आयॠमें उनका निधन हà¥à¤†à¥¤
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के रचनातà¥à¤®à¤• यà¥à¤µà¤¾à¤“ं के संगठन मà¥à¤¯à¤° पहाड़ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इनको समà¥à¤®à¤¾à¤¨ देते हà¥à¤¯à¥‡ वरà¥à¤· २०१० के उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤¯à¤£à¥€ मेले के अवसर पर इनके पोसà¥à¤Ÿà¤° का विमोचन किया गया।
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धाद दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ आयोजन-à¤à¤• से साà¤à¤¾à¤° टंकित
Though I am living in Delhi for the last thirty years and my whole family is here but heart and soul is always with the MERA PYARA GARHWAL, In this connection I have writeen so many articles in Navbharat Times web sight. if you are interested you can see, JAB EK AJANAVI NE ‘, NANDADEVI, MAAN KO GAON JAANA THA ETC. with regards.
[…] शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤²à¤¾à¤² गंगोला, मोहन सिंह मेहता, बिशà¥à¤¨à¥€ देबी साह, कà¥à¤‚ती देवी, तà¥à¤²à¤¸à¥€ देवी के अलावा […]
Ples give more and more information about uttrkhnd and its historical background
Raja Haru Hit Ke bare mai v bahut kam milta hai aap logo se request hai ki raja haruhit ke bare mai v kuch likha …
ye v salt ke Raja the aaj v inkan mandir gujud kot mai……
Kha kre ki uttrakhaand k krantikari ki pension lg jaye
Inke alawa or kitni ladies thi jo freedom fighter this national level pe
Behtareen