भाषा ही नहीं, सांस्कृतिक पहचान का प्रश्न
(उत्तराखण्ड में स्थानीय भाषाओं को लेकर एक नई बहस शुरू हुई है। स्थानीय जरूरतों और विकास के लिए इसको प्रोत्साहन देने की टुकड़ों में बातें होती रही हैं। राज्य में बोली जाने वाली मुख्यत: तीन बोलियों कुमाऊनी, गढ़वाली और जौनसारी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की बात भी उठती रही है। इन […]
Hilljatra : A folk festival in Pithoragarh
A festival of pastoralists and agriculturist hilljatra came to Pithoragarh valley from West Nepal and at once found fevour in Kumaour and Bajethi and in its modified form as Hiran-chital at Kanalichina, Dewalthal and Askot. It is associated with ropai (paddy transplantation) and allied agricultural activities of rainy season. In was introduced in Soar by […]