कबूतरी देवी : उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की पहली लोक गायिका
आप लोगों ने यदि à¥à¥¦-८० के दशक में नजीबाबाद और लखनऊ आकाशवाणी से पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ कà¥à¤®à¤¾à¤‚ऊनी गीतों के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को सà¥à¤¨à¤¾ होगा तो à¤à¤• खनकती आवाज आपके जेहन में जरà¥à¤° होगी। जो हाई पिच पर गाती थी, “आज पनि à¤à¥Œà¤‚-à¤à¥Œ, à¤à¥‹à¤² पनि à¤à¥Œà¤‚-à¤à¥Œà¤‚, पोरखिन त नà¥à¤¹à¥ˆ जूंला†और “पहाड़ों को ठणà¥à¤¡à¥‹ पाणि, कि à¤à¤²à¤¿ मीठी बाणीâ€à¥¤Â इस […]
कैपà¥à¤Ÿà¤¨ राम सिंह: राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤—ान के धà¥à¤¨ निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾
आजाद हिनà¥à¤¦ फौज के सिपाही और संगीतकार रहे कै० राम सिंह ठाकà¥à¤° ने ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤° गान “जन गन मन” की धà¥à¤¨ बनाई थी। वे मूलतः पिथौरागॠजनपद के मूनाकोट गांव के मूल निवासी थे, उनके दादा जमनी चंद जी १८९० के आस-पास हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में जाकर बस गये थे। 15 अगसà¥à¤¤ 1914 को […]