Uttarakhand Encyclopedia : उत्तराखण्ड ज्ञानकोष अपना उत्तराखण्ड आइये, जाने, समझें और जुडें अपने पहाड़ से, अपने उत्तराखण्ड से मेरा पहाड़ फोरम तब नहीं तो अब गैरसैंण, अब नहीं तो कब गैरसैंण राजधानी से कम मंजूर नहीं

Nature

Save Jungle: Uttarakhandi Way..

Save Jungle: Uttarakhandi Way..

We have shared a story of forest fire with you written by Dr. Sekhar Pathak , where he mentioned the role of society in saving forests. “ उत्तराखंड के लोग पिछले 150 साल से विभिन्न जंगलों की आग बुझाते रहे हैं। जंगल सत्याग्रह तथा राष्ट्रीय संग्राम के दौर में चीड़ के जंगलों तथा लीसे के […]

Mule: Eco Friendly Development or Dying Animal?

Mule: Eco Friendly Development or Dying Animal?

    In Uttarakhand where in many areas even roads are non-existent Mule plays an Important role in transportation. Estimates show there are more than 25,000 horses in the state. Mules and horses are used extensively for ferrying pilgrims in various Yatras. Recently there was a news that Char Dham Yatra was halted because of […]

Forest Fire in Uttarakhand

उत्तराखंड में जंगलों की इस बार की आग 1921 या 1995 की आग की याद दिला रही है। 1921 में वन और बेगार आन्दोलन चले हुये थे और 1995 में उत्तराखंड आन्दोलन। इस बार चुनावों का दौर है। छोटे-बड़े नेता चुनाव प्रचार में लगे हैं तो प्रशासन चुनाव की तैयारी में। बड़े-बड़े नेताओं का छोटापन इससे स्पष्ट है कि उन्होंने दावानल का जिक्र तक नहीं किया। छोटे नेताओं का निकम्मापन इससे उजागर होता है कि वे अपने नेताओं को दावानल की वास्तविकता से परिचित ही नहीं करा सके।

वरना चुनाव के समय तो वे झक मार कर इस बाबत बोलते। इस सबके ऊपर बढ़ता तापमान, लगातार सूखा, लोगों की आंशिक उदासीनता और प्रशासन तथा जंगलात विभाग की कम तैयारी जैसै कारण दावानल के फैलने में योगदान देने को तैयार बैठे थे।

नौ मई तक प्रदेश के जंगलों में आगजनी की 1270 घटनायें हो चुकी हैं और 3107 हेक्टेयर जंगल क्षेत्र जला और प्रभावित हुआ है। जंगलात विभाग के अनुसार आग लगने की 80 प्रतिशत घटनायें आबादी क्षेत्र के पास हुई हैं। भवाली के पास फरसौली में आग के घिर जान के कारण गर्भवती लाली और नौ साल की उसकी बहिन दीपा काल कवलित हो गये।