Situated in the Champawat district of Uttarakhand, Devidhura is famous for its Barahi temples. A very unusual fair, which attracts people from Kumaon, Nepal, and even other places, is held every year at the temple of Barahi Devi on Raksha Bandhan day. During this festival, known as Bagwal, two groups of dancing and singing people throw stones at each other, while they try to protect themselves with the help of large wooden shields. The participants don’t care about the injuries and the injuries are believed to be auspicious. It is also a worth noticing fact that there had been no loss of life till today during this unusual fair. During the fair, the image of the goddess kept in a locked brass casket is taken as a procession to a nearby mountain spring. The image is then ritually bathed by a blindfolded priest before replacing it in the casket. The goddess is then worshipped all night and the Bagwal Fair is celebrated in the morning amid much excitement.
देवीधूरा की बगà¥à¤µà¤¾à¤²: आधà¥à¤¨à¤¿à¤• यà¥à¤— में पाषाण यà¥à¤¦à¥à¤§
चमà¥à¤ªà¤¾à¤µà¤¤ के देवीधूरा नामक जगह पर मां वाराही देवी का पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है. हर साल रकà¥à¤·à¤¾à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¨ के दिन यहां विशाल मेला लगता है. इस मेले का मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ दो गà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ के बीच होने वाला पाषाण यà¥à¤¦à¥à¤§ है. कहा जाता है कि पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ समय में यहां मानव बलि का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ था. à¤à¤• बार किसी वृदà¥à¤§ महिला के इकलौते पà¥à¤¤à¥à¤° की बलि होनी थी तो महिला ने माता की आराधना करके उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस बात के लिये मना लिया कि हर साल पतà¥à¤¥à¤° यà¥à¤¦à¥à¤§ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ माता को à¤à¤• मानव के रकà¥à¤¤ की मातà¥à¤°à¤¾ चढायी जायेगी. इस तरह यह परंपरा हर साल अनवरत रूप से चली आ रही है. इस यà¥à¤¦à¥à¤§ में शामिल होने वाले लोगों को कई दिन पहले से विशेष रूप से शà¥à¤¦à¥à¤§ खान-पान और आचरण का पालन करना पङता है।
बाराही देवी
देवीधूरा में वाराही देवी मंदिर शकà¥à¤¤à¤¿ के उपासकों और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं के लिये वह पावन और पवितà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है, जहां पहà¥à¤‚चते ही अलौकिक आननà¥à¤¦ की अनà¥à¤à¥‚ति होती है। दैविक शकà¥à¤¤à¤¿ से यहां पहà¥à¤‚चने वाले लोगों को रोग, दोष व विपदाओं से निजात मिल जाती है। यह कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° देवी का उगà¥à¤° पीठमाना जाता है और इसे पूरà¥à¤£à¤¾à¤—िरी की तरह ही माना जाता है। समà¥à¤¦à¥à¤° की सतह से लगà¤à¤— २००० फीट की ऊंचाई पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ इस पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤µà¤‚ ऎतिहासिक सà¥à¤¥à¤² से कई पौराणिक कथायें à¤à¥€ जà¥à¤¡à¤¼à¥€ हैं।
चनà¥à¤¦ राजाओं के शासन काल में इस सिदà¥à¤§ पीठमें चमà¥à¤ªà¤¾ देवी और ललत जिहà¥à¤µà¤¾ महाकाली की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की गई थी। तब लाल जीठवाली महाकाली को महर और फरà¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤²à¥‹ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बारी-बारी से पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· नियमित रà¥à¤ª से नरबलि दी जाती थी। बताया जाता है कि रà¥à¤¹à¥‡à¤²à¥‹à¤‚ के आकà¥à¤°à¤®à¤£ के समय कतà¥à¤¯à¥‚री राजाओं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वाराही की मूरà¥à¤¤à¤¿ को घने जंगल के मधà¥à¤¯ à¤à¤• à¤à¤µà¤¨ में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिया गया था। धीरे-धीरे इसके चारोम ओर गांव सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो गये और यह मंदिर लोगों की आसà¥à¤¥à¤¾ का केनà¥à¤¦à¥à¤° बन गया। बताया जाता है कि पहाड़ी के छोर पर खेल-खेल में à¤à¥€à¤® ने शिलायें फेंकी थी, गà¥à¤°à¥‡à¤¨à¤¾à¤‡à¤Ÿ की इन विशाल शिलाओं में से दो शिलायें आज à¤à¥€ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के निकट मौजूद हैं। जिनमें से à¤à¤• को राम शिला कहा जाता है, इस पर ’पचीसी’ नामक जà¥à¤ के चिनà¥à¤¹ आज à¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं। जन शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ है कि यहां पर पाणà¥à¤¡à¤µà¥‹à¤‚ ने जà¥à¤† खेला था, उसी के समीप दूसरी शिला पर हाथों के à¤à¥€ निशान हैं।
किवदंती
पौराणिक कथाओं के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ गà¥à¤¹à¥à¤¯ काली की उपासना का केनà¥à¤¦à¥à¤° था, जहां किसी समय में काली के गणों को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करने के लिये नरबलि की पà¥à¤°à¤¥à¤¾ थी। इस पà¥à¤°à¤¥à¤¾ को कालानà¥à¤¤à¤° में सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनà¥à¤¦ कर दिया गया । इससे पूरà¥à¤µ देवीधूरा के आस-पास निवास करने वाले लोगों जावालिक, लमगड़िया, चमà¥à¤¯à¤¾à¤² और गहड़वाल खामों (वरà¥à¤—) के थे, इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ खामों में से पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की बारी-बारी से बलि दी जाती थी। à¤à¤• बार चमà¥à¤¯à¤¾à¤² खाम की à¤à¤• ऎसी वृदà¥à¤§à¤¾ के पौतà¥à¤° की बारी आई, जो अपने वंश में इकलौता था। अपने कà¥à¤² के इकलौते वंशज को बचाने के लिये वृदà¥à¤§à¤¾ ने देवी की आराधना की तो देवी ने वृदà¥à¤§à¤¾ से अपने गणों को खà¥à¤¶ करने के लिये कहा। वृदà¥à¤§à¤¾ को इस संकट से उबारने के लिये नर बलि पà¥à¤°à¤¥à¤¾ बंद करवा कर चारों खामों ने इकटà¥à¤ े होकर पाषाण यà¥à¤¦à¥à¤§ शà¥à¤°à¥ करवाया, जिसे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में “बगà¥à¤µà¤¾à¤²” कहा गया। बगà¥à¤µà¤¾à¤² शà¥à¤°à¥ करने के पीछे यह धारणा रही कि पतà¥à¤¥à¤°à¥‹à¤‚ की चोट लगने से जो मानव रकà¥à¤¤ बहेगा, उससे देवी और उसके गण पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हो जायेगे। तà¤à¥€ से यह परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ चली और इस यà¥à¥à¤¦à¥à¤§ का à¤à¤• नियम यह à¤à¥€ है कि यह यà¥à¥à¤¦à¥à¤§ तब तक चलता रहता है जब तक à¤à¤• मानव के रकà¥à¤¤ के बराबर रकà¥à¤¤ ना निकल जाये।
बगà¥à¤µà¤¾à¤²
पूरà¥à¤£à¤®à¤¾à¤¸à¥€ के दिन पाषाण यà¥à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ होने से पूरà¥à¤µ शà¥à¤°à¤¾à¤µà¤£ शà¥à¤•à¥à¤² à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶à¥€ के दिन वालिक, लमगडि़या, चमà¥à¤¯à¤¾à¤² और गहड़वाल खामो दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सामूहिक पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾, मंगलाचरण सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¨, सिंहासन डोला पूजन और सांगी पूज किया जाता है। पूरà¥à¤£à¤®à¤¾à¤¸à¥€ के दिन चारों खामों व सात तोकों के पधान बाराही देवी के मंदिर में à¤à¤•à¤¤à¥à¤° होते हैं, जहां पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ सामूहिक पूजा करवाते हैं| पूजा के बाद पाषाण यà¥à¤¦à¥à¤§ में à¤à¤¾à¤— लेने वाले चारों खामों के योदà¥à¤§à¤¾ अपने घरों से परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤—त वेश-à¤à¥‚षा में सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ होकर दà¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤šà¥Œà¤¡à¤¼ में आते हैं, धोती-कà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾ या पायजामा पहन कर सिर पर साफा व कपड़े से मà¥à¤‚ह ढंके हà¥à¤¯à¥‡ योदà¥à¤§à¤¾ हाथ में बांस की फरà¥à¤°à¤¾ (ढाल) लेकर दो टीमों के रà¥à¤ª में मैदान में आते हैं। à¤à¤• निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ समय पर पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ के निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ पर बगà¥à¤µà¤¾à¤² शà¥à¤°à¥ हो जारी है। à¤à¤• पकà¥à¤· दूसरे पकà¥à¤· पर पतà¥à¤¥à¤° फेंकता है और दूसरा पकà¥à¤· बांस की ढालों से अपना बचाव करता है। यही कà¥à¤°à¤® फिर दोहराया जाता है, जब पà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ को लगता है कि à¤à¤• मानव ठरकà¥à¤¤ के बराबर रकà¥à¤¤ निकल चà¥à¤•à¤¾ है तो शंखनाद कर वह यà¥à¤¦à¥à¤§ समापà¥à¤¤à¤¿ की घोषणा करते हैं। जिसके बाद दोनो पकà¥à¤·à¥‹à¤‚ के लोग आपस में गले मिलकर अपने कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की समृदà¥à¤§à¤¿ की कामना करते हैं और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं में पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ वितरण किया जाता है।
इस बगà¥à¤µà¤¾à¤² के बारे में जानने के लिये इस लिंक पर जाने का कषà¥à¤Ÿ करें देवीधूरा की बगà¥à¤µà¤¾à¤²
इस साल 5 अगसà¥à¤¤ को होने वाली “बगà¥à¤µà¤¾à¤²” में 1 लाख से अधिक दरà¥à¤¶à¤•à¥‹à¤‚ के à¤à¤•à¤¤à¥à¤° होने की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ है. जिला पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ चमà¥à¤ªà¤¾à¤µà¤¤ इस मेले को शानà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• संपनà¥à¤¨ कराने के लिये पूरी तैयारियां कर चà¥à¤•à¤¾ है.
maa barahi k pawan dham main aakar apni manokamna puri kare……….. jai maa barahi……