स्थानीय बनाम व्यावहारिक भाषा
(उत्तराखण्ड में स्थानीय भाषाओं को लेकर एक नई बहस शुरू हुई है। स्थानीय जरूरतों और विकास के लिए इसको प्रोत्साहन देने की टुकड़ों में बातें होती रही हैं। राज्य में बोली जाने वाली मुख्यत: तीन बोलियों कुमाऊंनी, गढ़वाली और जौनसारी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की बात भी उठती रही है। मेरा […]
तुलसी देवी : उत्तराखण्ड की उद्यमशील और समाजसेवी महिला
उद्यमशीलता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नाम है तुलसी देवी जी का, पिथौरागढ़ जिले के नौलरा गांव में १९१९ में भोटिया व्यापारी श्री खीम सिंह रावत और सरस्वती रावत के घर पर उनका जन्म हुआ। पर्वतीय क्षेत्र की भोटिया जनजाति का साग-सब्जी से हरा-भरा यह छोटा सा गांव उनका अस्थाई आवास था, जहां ऊन धोने, […]
गंगोत्री गर्ब्याल : उत्तराखण्ड की अथक समाजसेवी महिला
सीमांत प्रांतर पिथौरागढ़ के धारचूला में साढ़े दस हजार फीट की ऊंचाई पर बसे गर्ब्यांग गांव की गंगोत्री गर्ब्याल शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट सेवाओं के कारण 1964 राष्ट्रपति डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हुई। जिसका श्रेय उन्होंने जनभावना को ही दिया था। इनका जन्म ९ दिसम्बर, १९१८ में हुआ था, […]