उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के लोक वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤°
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की अपनी à¤à¤• समृदà¥à¤§ और गौरवशाली सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ है। किसी à¤à¥€ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के लिये जरà¥à¤°à¥€ है उनकी सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• गतिविधिया और इनके लिये आवशà¥à¤¯à¤• होते हैं सà¥à¤° और ताल, सà¥à¤° जहां कंठसे निकलते हैं वहीं ताल के लिये वादà¥à¤¯ यंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। हमारे पà¥à¤°à¤–ों ने सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤°à¥‹à¤‚ के आधार पर […]
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की पनचकà¥à¤•à¥€-घराट
परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में आटा पीसने की पनचकà¥à¤•à¥€ का उपयोग अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ है। पानी से चलने के कारण इसे “घट’ या “घराट’ कहते हैं। पनचकà¥à¤•à¤¿à¤¯à¤¾à¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¯: सदानीरा नदियों के तट पर बनाई जाती हैं। गूल दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नदी से पानी लेकर उसे लकड़ी के पनाले में पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ किया जाता है जिससे पानी में तेज पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो […]
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की à¤à¤• विरासत है कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚नी रामलीला
à¤à¤—वान राम की कथा पर आधारित रामलीला नाटक के मंचन की परंपरा à¤à¤¾à¤°à¤¤ में यà¥à¤—ों से चली आयी है। लोक नाटà¥à¤¯ के रà¥à¤ª में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ इस रामलीला का देश के विविध पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ में अलग अलग तरीकों से मंचन किया जाता है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ खासकर कà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ं अंचल में रामलीला मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤¯à¤¾ गीत-नाटà¥à¤¯ शैली में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ की जाती है। […]