![लिपि कोई मजबूरी नहीं](http://www.merapahad.com/wp-content/uploads/politicalmapuk5-150x150.gif)
लिपि कोई मजबूरी नहीं
(उत्तराखण्ड में स्थानीय भाषाओं को लेकर एक नई बहस शुरू हुई है। स्थानीय जरूरतों और विकास के लिए इसको प्रोत्साहन देने की टुकड़ों में बातें होती रही हैं। राज्य में बोली जाने वाली मुख्यत: तीन बोलियों कुमाऊनी, गढ़वाली और जौनसारी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की बात भी उठती रही है। इन […]
![भाषायें बहता हुआ दरिया हैं](http://www.merapahad.com/wp-content/uploads/politicalmapuk4-150x150.gif)
भाषायें बहता हुआ दरिया हैं
(उत्तराखण्ड में स्थानीय भाषाओं को लेकर एक नई बहस शुरू हुई है। स्थानीय जरूरतों और विकास के लिए इसको प्रोत्साहन देने की टुकड़ों में बातें होती रही हैं। राज्य में बोली जाने वाली मुख्यत: तीन बोलियों कुमाऊनी, गढ़वाली और जौनसारी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की बात भी उठती रही है। इन […]
![कुमाऊनी-गढ़वाली को मिले उत्तराखण्ड की ’द्वितीय भाषा’ का दर्जा](http://www.merapahad.com/wp-content/uploads/politicalmapuk3-150x150.gif)
कुमाऊनी-गढ़वाली को मिले उत्तराखण्ड की ’द्वितीय भाषा’ का दर्जा
(उत्तराखण्ड में स्थानीय भाषाओं को लेकर एक नई बहस शुरू हुई है। स्थानीय जरूरतों और विकास के लिए इसको प्रोत्साहन देने की टुकड़ों में बातें होती रही हैं। राज्य में बोली जाने वाली मुख्यत: तीन बोलियों कुमाऊनी, गढ़वाली और जौनसारी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की बात भी उठती रही है। इन […]