(à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की à¤à¥€ अगà¥à¤°à¤£à¥€ à¤à¥‚मिका रही है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की धरती पर उस दौर में कà¥à¤²à¥€-बेगार और डोली-पालकी जैसे बड़े आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ à¤à¥€ हà¥à¤¯à¥‡à¥¤ अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ जिले के सलà¥à¤Ÿ के खà¥à¤®à¤¾à¥œ नामक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ का बरà¥à¤¬à¤°à¤¤à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• दमन किया गया। जिसमें चार लोग शहीद हो गये और कई घायल हो गये थे। उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ नाम-अनाम शहीदों और आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ शà¥à¤°à¥€ देवेनà¥à¤¦à¥à¤° उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ जी का यह लेख दो à¤à¤¾à¤—ों में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ है।)
अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ जिले का सलà¥à¤Ÿ उन दिनों बहà¥à¤¤ बीहड़, संचार और यातायात के साधनों से विहीन पिछड़ा कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° था। तब à¤à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ की चिंगारी सलà¥à¤Ÿ तक पहà¥à¤‚च गई। यह वही सलà¥à¤Ÿ था, जहां पटवारी-पेशकार बड़े अफसरों को घूस देकर अपने तबादले करवाते थे। नदी में बहने डूबने व पेड़ से गिरने से हà¥à¤ˆ मौतों के लिये à¤à¥€ वे घूस लेते थे। गांव में पहली बार पहà¥à¤‚चने पर पटवारी-पेशकार के टीके (दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾) का पैसा वसूला जाता था। फसल पर हर परिवार से à¤à¤• पसेरी अनाज और खाने-पीने का सामान जबरिया इकटà¥à¤ ा किया जाता था।
14 जनवरी, 1921 को बागेशà¥à¤µà¤° में हरगोबिनà¥à¤¦ पनà¥à¤¤, बदà¥à¤°à¥€à¤¦à¤¤à¥à¤¤ पाणà¥à¤¡à¥‡ और विकà¥à¤Ÿà¤° मोहन जोशी आदि के नेतृतà¥à¤µ में कà¥à¤²à¥€ बेगार के रजिसà¥à¤Ÿà¤° सरयू को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ कर दिये गये, हजारों लोगों ने कà¥à¤²à¥€-बेगार न करने का संकलà¥à¤ª लिया। तब सरकारी अधिकारियों ने पौड़ी गà¥à¥à¤µà¤¾à¤² जिले की गूजडू पटà¥à¤Ÿà¥€ के साथ सलà¥à¤Ÿ की चार पटà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से बेगार कराने का फैसला लिया। इसकी सूचना हरगोबिनà¥à¤¦ पनà¥à¤¤ को मिली तो वे à¤à¤¸à¥¦à¤¡à¥€à¥¦à¤à¤®à¥¦ के पहà¥à¤‚चने से पहले ही सलà¥à¤Ÿ पहà¥à¤‚च गये। वहां विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर सà¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हà¥à¤ˆ और जनता ने à¤à¤• सà¥à¤µà¤° में कà¥à¤²à¥€-बेगार न देने का संकलà¥à¤ª किया।
खà¥à¤®à¤¾à¥œ के पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तब जिला बोरà¥à¤¡ के पà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤®à¤°à¥€ सà¥à¤•à¥‚ल में हेडमासà¥à¤Ÿà¤° थे। खà¥à¤®à¤¾à¥œ में सलà¥à¤Ÿ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का गॠबनाया गया था और वहीं से सूतà¥à¤° संचालन होता था। 22 मारà¥à¤š, 1922 को महातà¥à¤®à¤¾ गांधी की गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ की सूचना से सलà¥à¤Ÿ की जनता में असंतोष तीवà¥à¤° हो गया। पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के घर पर बैठक रखकर इलाके में रचनातà¥à¤®à¤• कारà¥à¤¯ करने का फैसला हà¥à¤†à¥¤ सलà¥à¤Ÿ की चारों पटà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में गà¥à¤°à¤¾à¤® पंचायतें बनाई गई और सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾, सफाई, ऊन कताई, अछूतोदà¥à¤§à¤¾à¤° व रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की मरमà¥à¤®à¤¤ का अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ छेड़ा गया। पंचायतों में बड़े-बड़े संगीन मामलों के फैसले à¤à¥€ लिये जाने लगे। सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सेवकों की à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ होने लगी, अब तक पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® जी सरकारी नौकरी में रहते हà¥à¤¯à¥‡ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में à¤à¤¾à¤— ले रहे थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने १९२ॠमें नौकरी से इसà¥à¤¤à¥€à¤«à¤¾ दे दिया, उनके साथ ही सहायक अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ सिंह अधिकारी ने à¤à¥€ इसà¥à¤¤à¥€à¤«à¤¾ दे दिया। उस इलाके के समृदà¥à¤§ ठेकेदार पान सिंह पटवाल à¤à¥€ इनके साथ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में शामिल हो गये।
पà¥à¤°à¥‡à¤® विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ ताड़ीखेत के वारà¥à¤·à¤¿à¤•à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ में à¤à¤¾à¤— लेने के लिये १९ मई, १९२ॠको महातà¥à¤®à¤¾ गांधी ताड़ीखेत पहà¥à¤‚चे तो सलà¥à¤Ÿ के कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ उनका सà¥à¤µà¤¾à¤—त करने गये। दिसमà¥à¤¬à¤° १९२ॠमें कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के लाहौर अधिवेशन में à¤à¤¾à¤— लेने के लिये पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के नेतृतà¥à¤µ में सलà¥à¤Ÿ के कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ à¤à¥€ वहां पहà¥à¤‚चे। इसके बाद सलà¥à¤Ÿ में नशाबंदी आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨, विदेशी बहिषà¥à¤•à¤¾à¤°, सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° और तंबाकू का वà¥à¤¯à¤¸à¤¨ छà¥à¥œà¤¾à¤¨à¥‡ के लिठगांव-गांव में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया गया। धरà¥à¤® सिंह मालगà¥à¤œà¤¾à¤° के घर में मनों तंबाकू की होली जला दी गई।
नमक सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ से à¤à¥€ सलà¥à¤Ÿ अछूता नहीं रहा, अपà¥à¤°à¥ˆà¤², १९३० में सलà¥à¤Ÿ के चमकना, उà¤à¤°à¥€ और हटà¥à¤²à¥€ में नमक बनाया गया। १ॠअगसà¥à¤¤, १९३० को मालगà¥à¤œà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ ने सामूहिक इसà¥à¤¤à¥€à¤«à¥‡ दे दिये, गांव के मालगà¥à¤œà¤¾à¤° ही गांवों में बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ राज की रीढ बने थे, जिनके माधà¥à¤¯à¤® से पटवारी-पेशकार मनमानी करते थे। सलà¥à¤Ÿ इलाका बीहड़ तो था ही, उस पर ऊंचे-नीचे पहाड़, तब यह फैसला लिया गया कि जब à¤à¥€ कोई सà¤à¤¾ होगी तो रणसिमà¥à¤¹à¤¾ (तà¥à¤¤à¥à¤°à¥€) बजाई जायेगी। राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ चेतना जागृत होने के कारण पटवारी-पेशकार को मिलने वाली रिशà¥à¤µà¤¤ बनà¥à¤¦ हो गई, लड़ाई-à¤à¤—ड़े बनà¥à¤¦ हो गये। पटवारी-पेशकार को जो चीजें मोल लेनी पड़ रही थी, उनकी दसà¥à¤¤à¥‚र बनà¥à¤¦ हो गई थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अधिकारियों को गलत रिपोरà¥à¤Ÿ à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥€ शà¥à¤°à¥ कर दी, जिससे सलà¥à¤Ÿ में अतिरिकà¥à¤Ÿ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ तैनात कर दी गई।
२० सितमà¥à¤¬à¤°, १९३० को à¤à¤¸.डी.à¤à¤®. हबीबà¥à¤°à¥à¤°à¤¹à¤®à¤¾à¤¨ ने पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के ५०-६० जवानों को लेकर सलà¥à¤Ÿ के लिये पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया और à¤à¤¿à¤•à¤¿à¤¯à¤¾à¤¸à¥ˆà¤‚ण पहूंचा। २३ सितमà¥à¤¬à¤° को उसने खà¥à¤®à¤¾à¥œ से ३-४ कि०मी० दूर नयेड़ नदी के किनारे नर सिंह गिरि के बगड़ में कैंप लगाया। डंगूला गांव को घेर लिया गया, उस समय गांव के लोग खेतों में काम पर गये थे। कà¥à¤› बीमार और बूढे घर पर थे। उनकी पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने पिटाई कर दी, बचे सिंह (सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानी) के घर का ताला तोड़कर सामान की कà¥à¤°à¥à¤•à¥€ कर ली। घोड़ों के पैरों के नेचे रौंदकर फसल बरबाद कर दी गई, पूरे गांव में पà¥à¤²à¤¿à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लूट की गई। आस-पास के गांवों खà¥à¤®à¤¾à¥œ, टà¥à¤•à¤¨à¥‹à¤ˆ, चमकना में खबर पहà¥à¤‚ची तो रणसिंहा बज उठा, सैकड़ों लोग लाठियां लेकर नयेड़ के किनारे पहà¥à¤‚च गये। à¤à¤¸.डी.à¤à¤®. से फसल का मà¥à¤†à¤µà¤œà¤¾ (५ रà¥à¥¦) à¤à¥€à¤¡ ने वसूल किया। गोरा पà¥à¤²à¤¿à¤¸ कपà¥à¤¤à¤¾à¤¨ à¤à¥€à¥œ पर गोली चलाने के लिये आमादा था, पर उसे à¤à¤¸.डी.à¤à¤®. ने रोक दिया, पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• अमले को खाली हाथ वापस जाने के लिये मजबूर होना पड़ा।
उधर मौलेखाल के टीले में सà¤à¤¾ हà¥à¤ˆ, जिसमें फैसला लिया गया कि जनता को अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से बचाने के लिये नेता अपनी गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ देंगे। ठेकेदार पान सिंह पटवाल ने खà¥à¤¦ को सबसे पहले गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° करवाने की पेशकश की। इस हेतॠà¤à¤¸.डी.à¤à¤®. को नोटिस à¤à¥‡à¤œ दिया गया कि २९ सितमà¥à¤¬à¤° को देवायल में आम सà¤à¤¾ होगी। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के जतà¥à¤¥à¥‡ के साथ à¤à¤¸.डी.à¤à¤®. हबीबà¥à¤°à¥à¤°à¤¹à¤®à¤¾à¤¨ देवायल पहà¥à¤‚च गया। पर इस बार वह मानिला-जालीखान होते हà¥à¤¯à¥‡ जिला बोरà¥à¤¡ की सड़क से पहà¥à¤‚चा। सà¤à¤¾ में à¤à¤¸.डी.à¤à¤®. को कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ दी गई, लेकिन गोरे पà¥à¤²à¤¿à¤¸ कपà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को घà¥à¤¸à¤¨à¥‡ à¤à¥€ नहीं दिया गया, ठेकेदार पान सिंह पटवाल को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर लिया गया।………….
शेष अगले à¤à¤¾à¤— में
jai ho mayar pahar
Dhan mero pahar hum deri balai lyula
Dhan mera dangula hum tyar chaya main rula
sahidon ki chitaon par lagenge har warsh mele ,…..watan par marne walon ka bus baki yahi nisa hoga
Good think
Zindagi k kai intehaan abhi baaki hai,zindagi ki abhi asli udaan baaki hai,abhi toh naapi hai dosto do mutthi bhar zameen ki, abhi toh sara aasman baki hai……..jai salt….jai hind
bahut achha kekh padhnay ko mila
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aik taraf salt ke logo ne desh ke azadi ke liye jan de diya or aaj dusri taraf uttarakahnd ki rajniti ne pura uttarakhand ko loot diya hai.. jab se uttarakhand up se alaga hua hai yanah majhaj 15 sal mai CM ki jhadi laga de hai or aaj uk ke CM and unke salahkar koi or nahi balki salt ke hi hai but afshosh ki salt ka avi v vikas nahi hua hai aaj v salt mai khana mafiya bhu mafiya and duniya bhar ke bus accident ..avi hal mai hi machor bus durghatna…
जय हिनà¥à¤¦ !!!बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ किया है , सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ीय लकà¥à¤·à¥à¤®à¤¨ सिंह अधिकारी मेरे बारे नानाजी थे। ..में उनसे बहà¥à¤¤ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आज़ादी के समय के किसà¥à¤¸à¥‡ नहीं सà¥à¤¨ सका था लेकिन अà¤à¥€ आपका आरà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤² पर कर बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ लगा