पिछले à¤à¤¾à¤— से आगे
……..इसके बाद खà¥à¤®à¤¾à¥œ में पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® जी के घर पर à¤à¤• बैठक हà¥à¤ˆ, जिसमें यह तय किया गया कि जिन सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानियों के खिलाफ वारणà¥à¤Ÿ हैं, वे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° करा देंगे। लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ सिंह अधिकारी को बाहर रहकर आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ का संचालन करने के लिये कहा गया। इस बीच जंगल सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹, कर-बंदी और बैल पड़ाव में बैलों की बिकà¥à¤°à¥€ पर रोक लगाने के आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ चलाये गये। २४ अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, १९३० को सलà¥à¤Ÿ से पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯, मथà¥à¤°à¤¾ दतà¥à¤¤ जोशी, धरà¥à¤® सिंह, चंदन सिंह आदि अपनी गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ देने रानीखेत की ओर रवाना हà¥à¤¯à¥‡à¥¤ उनके साथ विशाल जà¥à¤²à¥‚स था, ओगलिया (ककलासों) में जसोद सिंह ने जà¥à¤²à¥‚स का à¤à¤µà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया। कà¥à¤› महीने पहले डंगूला कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में विदेशी कपड़े पहने जसोद सिंह को सी.आई.डी. का आदमी समà¤à¤•à¤° सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानियों ने उनके कपड़ों को आग लगा दी थी। दूसरे दिन जà¥à¤²à¥‚स रानीखेत पहà¥à¤‚चा और आम जनता के लिये पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚धित माल रोड पर नेताओं ने अपनी गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤°à¥€ दी। इसके बाद खà¥à¤®à¤¾à¥œ में बैठक हà¥à¤ˆ, जिसमें आगे की रणनीति तय की गई। बैलों को रामनगर के पड़ाव में बेचने के लिये ले जाने से रोकने के लिये नाकाबंदी की गई, जगह-जगह सà¥à¤µà¤‚य सेवक तैनात कर दिये गये।
३० नवंबर, १९३० को जंगल सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ के लिये ४०४ लोगों का जà¥à¤²à¥‚स मोहान डाक बंगले पर पहà¥à¤‚चा। जतà¥à¤¥à¥‡ का पहले से इंतजार हो रहा था, वहां पर निहतà¥à¤¥à¥‡ सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर लाठियां बरसाई गई। ५८ सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर काशीपà¥à¤° हवालात पहà¥à¤‚चाया गया और फिर बिना मà¥à¤•à¤¦à¤®à¤¾ किये ही मà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ जेल à¤à¥‡à¤œ दिया गया। जगह-जगह पर लोगों को à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ करने के लिये पà¥à¤²à¤¿à¤¸ गारद रखी गई, १० दिसमà¥à¤¬à¤°, १९३० को à¤à¤¸.डी.à¤à¤®. हबीबà¥à¤°à¥à¤°à¤¹à¤®à¤¾à¤¨ ने मोहान में सलà¥à¤Ÿ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ किया। मरचूला में कैमà¥à¤ª लगया गया, कोटा चामी में पान सिंह पटवाल का सारा सामान कà¥à¤°à¥à¤• कर दिया गया, गांव की ३० बकरियां पà¥à¤²à¤¿à¤¸ वाले ले गये, जिनमें से ११ बकरियों को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने खा डाला और अगले दिन १६ सितमà¥à¤¬à¤° को à¤à¤¸.डी.à¤à¤®. देवायल पहà¥à¤‚चा, जहां १४ गांवों के मालगà¥à¤œà¤¾à¤° उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ थे। सबने à¤à¤• सà¥à¤µà¤° में कहा कि वे लगान देंगे लेकिन पà¥à¤²à¤¿à¤¸ टैकà¥à¤¸ नहीं, अगर पà¥à¤²à¤¿à¤¸ टैकà¥à¤¸ वसूल किया गया तो लगान à¤à¥€ नहीं दिया जायेगा। दूसरे दिन तलà¥à¤²à¥€ पोबरी में घर-घर से समान लूटा गया, लोगों की कà¥à¤°à¥à¤•à¥€ की गई। सलà¥à¤Ÿ के १४४ गांवों से पà¥à¤²à¤¿à¤¸ टैकà¥à¤¸ वसूलने का आदेश जारी किया गया और मनमाने तरीके से वसूला गया।
१६ मारà¥à¤š, १९३१ को अपने साथियों सहित रिहा होकर पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® जी खà¥à¤®à¤¾à¥œ पहà¥à¤‚चे तो उनका à¤à¤µà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया गया। १२ फरवरी, १९३२ को वे पà¥à¤¨à¤ƒ गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर लिये गये, गले की बीमारी से ३० दिसंबर, १९३२ को बरेली जेल में पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® जी की मृतà¥à¤¯à¥ हो गई। २ फरवरी, १९३९ को à¤à¤• विशाल शोकसà¤à¤¾ में उनके अधूरे कामों को पूरा करने का संकलà¥à¤ª लिया गया। ॠमारà¥à¤š, १९३९ को देवायल में रघà¥à¤µà¤° दतà¥à¤¤ उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯, हरि दतà¥à¤¤ वैदà¥à¤¯, लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ सिंह आदि को सà¤à¤¾ से गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर लिया गया और कà¥à¤µà¥ˆà¤°à¤¾à¤²à¤¾ में लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ सिंह अधिकारी व बाबा हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° गिरि गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर लिये गये। १९४२ में चारों पटà¥à¤Ÿà¥€ सलà¥à¤Ÿ और गढवाल की गूजडू पटà¥à¤Ÿà¥€ की जनता के बीच राजनीतिक चेतना का उà¤à¤¾à¤° जोरों पर था। सà¤à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में सà¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हà¥à¤ˆ और संगठित आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ चलाये गये। १ सितमà¥à¤¬à¤°, १९४२ को लगà¤à¤— २०-२५ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानियों ने ४-५ सितमà¥à¤¬à¤° को पोबरी में à¤à¤•à¤¤à¥à¤° होने और इस बीच पूरे इलाके में काम करने का फैसला लिया गया।
३ सितमà¥à¤¬à¤° को à¤à¤¸.डी.à¤à¤®. जानसन पà¥à¤²à¤¿à¤¸, पटवारी, पेशकार और लाइसेंसदारों क जतà¥à¤¥à¤¾ लेकर खà¥à¤®à¤¾à¤¡ के लिये रवाना हà¥à¤†à¥¤ इस जतà¥à¤¥à¥‡ में लगà¤à¤— २०० लोग थे, यह जतà¥à¤¥à¤¾ à¤à¤¿à¤•à¤¿à¤¯à¤¾à¤¸à¥ˆà¤‚ण होता हà¥à¤¯à¥‡ देघाट, चौकोट में गोलीकांड कर खà¥à¤®à¤¾à¥œ की ओर चला। कà¥à¤µà¥ˆà¤°à¤¾à¤²à¤¾ में जब यह जतà¥à¤¥à¤¾ पहà¥à¤‚चा तो लोग खà¥à¤®à¤¾à¥œ की ओर उमड़ पड़े। लोगों को खबर मिली कि पà¥à¤²à¤¿à¤¸ खà¥à¤®à¤¾à¤¡ में सेनानियों के अडà¥à¤¡à¥‡ पर हमला करने जा रही है। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ पटवारी के साथ à¤à¤¸.डी.à¤à¤®. बितड़ी पहà¥à¤‚चा तो लालमणि ने उनका रासà¥à¤¤à¤¾ रोक दिया, उनकी पिटाई कर हाथ पीछे बांध दिये गये, इस जतà¥à¤¥à¥‡ ने दंगूला गांव में à¤à¥€ लोगों को आतंकित करने के लिये उपदà¥à¤°à¤µ à¤à¥€ किया। जब यह दसà¥à¤¤à¤¾ खà¥à¤®à¤¾à¥œ पहà¥à¤‚चा तो वहां पर तिल रखने की à¤à¥€ जगह नहीं थी। चारों ओर à¤à¥€à¥œ ही à¤à¥€à¥œ थी, गोविनà¥à¤¦ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥€ नाम के नवयà¥à¤µà¤• ने इनका रासà¥à¤¤à¤¾ रोककर नारेबाजी शà¥à¤°à¥ कर दी। जानसन आगे बढा और सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ सेनानियों के बारे में जानकारी न देने पर आग लगाने की धमकी दी और à¤à¥€à¥œ को आतंकित करने के लिये हवाई फायर करने लगा।
à¤à¥€à¥œ के बीच में से नैनमणि उरà¥à¤« नैनà¥à¤µà¤¾ ने अचानक आगे आकर जानसन का हाथ पकड़ कर उसकी पिसà¥à¤¤à¥Œà¤² छीनने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया, उसने पिसà¥à¤¤à¥Œà¤² निकाल ली, नैनमणि जी जानसन पर लाठी से पà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤° करने जा रहे थे तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤²à¤¿à¤¸ जवानों ने पकड़ लिया। जानसन ने गोली चलाने का हà¥à¤•à¥à¤® दिया, सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ निवासी होने के कारण पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के जवानों ने निहतà¥à¤¥à¥€ जनता पर निशाना साध कर गोली चलाने के बजाय इधर-उधर गोलियां चलाई तो जानसन ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही निशान साधकर गोलियां चलानी शà¥à¤°à¥ कर दीं। इस गोलीकांड में दो सगे à¤à¤¾à¤ˆ गंगाराम और खिमाननà¥à¤¦ वहीं पर शहीद हो गये और चार दिन बाद गोलियों से गमà¥à¤à¥€à¤° रà¥à¤ª से घायल चूड़ामणि व बहादà¥à¤° सिंह मेहरा का à¤à¥€ सà¥à¤µà¤°à¥à¤—वास हो गया। गंगा दतà¥à¤¤ शाषà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, मधà¥à¤¸à¥‚दन, गोपाल सिंह, बचे सिंह व नारायण सिंह à¤à¥€ गोली लगने के कारण घायल हो गये थे। गोली चलाने के बाद जब जानसन घायलों के पास पहà¥à¤‚चा और खà¥à¤®à¤¾à¥œ के मालगà¥à¤œà¤¾à¤° पानदेव की धोती फाड़कर पटà¥à¤Ÿà¥€ बांधने लगा तो घायल बहादà¥à¤° सिंह मेहरा ने गरजते हà¥à¤¯à¥‡ कहा कि “मलेचà¥à¤› तू हमें मत छूâ€à¥¤
सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में सलà¥à¤Ÿ की अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¥‚मिका रही और इसकी सराहना करते हà¥à¤¯à¥‡ महातà¥à¤®à¤¾ गांधी ने इसे कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚* की बारदोली की पदवी से विà¤à¥‚षित किया। आज à¤à¥€ खà¥à¤®à¤¾à¥œ में हर साल ५ सितमà¥à¤¬à¤° को शहीद सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ दिवस मनाया जाता है। सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ के दौरान यहां बनाया गया कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ à¤à¤µà¤¨ अब शहीद सà¥à¤®à¤¾à¤°à¤• के रà¥à¤ª में इन नाम-अनाम आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की गरिमामय याद समेटे हम सबका मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ कर रहा है।
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में à¤à¥‚मिका को जानने हेतॠहमारे फोरम के इस लिंक पर पधारें।
*कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚ का अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ टिहरी रियासत को छोड़कर समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ से था।
I like the information givenhere and appriciate the efforts from the people of this area.
I belong to talla kafalatta (Tanola). Do i have any informatio of Tanola village. If so please provide me on my mail id given. Thanks
I am feeling more proud that i belong from dangula near of khumar.where salt kranti was started.
Sub khumark shahido k myar sat sat naman cha
I am feeling more proud that i belong from dangula near of khumar.where salt kranti was started.
Sub khumark shahido k myar sat sat naman cha
इस जतà¥à¤¥à¥‡ ने दंगूला गांव में à¤à¥€ लोगों को आतंकित करने के लिये उपदà¥à¤°à¤µ à¤à¥€ किया।
कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚* की बारदोली
THANK YOU FOR THE ARTICLE.
WITH REGARDS,
RAMESH SHARMA.
पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® मितà¥à¤°à¥‹à¤‚..
मैं मानिला कà¥à¤£à¥€à¤§à¤¾à¤° गà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¸à¤à¤¾ के
कà¥à¤£à¥€à¤§à¤¾à¤° गाà¤à¤µ से हूठ…।।
वासà¥à¤¤à¤µ में सलà¥à¤Ÿ के महान लोगों नें इस
कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के बल से कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤ को विशेष
दरà¥à¤œà¤¾ दिलाकर आपनी नाम सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¾à¤•à¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚
में अंकित कर लिया है ।
à¤à¤‚व इन सà¤à¥€ कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का इस
कारà¥à¤¯ में चिरसà¥à¤®à¤°à¤£à¥€à¤¯ योगदान रहेगा ।
इन सà¤à¥€ हà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤“ं को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤‚ली
व कोटिश: नमन…
I really heartfull thanks to all
these patroitic leaders of salt
who secrifice their life for kumau
or uttarakhand even india.
They made kumaun a better palace in all over india…
जय उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡
जय माठमानिला….
à¥!!!!
Hi dear all of you
I’m umesh gahatyari from manila rathakhal
वासà¥à¤¤à¤µ में सलà¥à¤Ÿ के महान लोगों नें इस कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ के बल से कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤ को विशेष दरà¥à¤œà¤¾ दिलाकर आपनी नाम सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¾à¤•à¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ में अंकित कर लिया है à¤à¤‚व इन सà¤à¥€ कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का इस कारà¥à¤¯ में चिरसà¥à¤®à¤°à¤£à¥€à¤¯ योगदान रहेगा ।इन सà¤à¥€ हà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤“ं को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤‚ली व कोटिश: नमन…The Great kumaun.
ji ho salt ke l;ogo
I appreciate the article …… I was trying to learn this story from my grand father (who is 83 yrs old, we are resident of Village – Ghachkot near to Khumar) who told me much similar about the incidents…… I many times visited Shaheed Samarak on 5th September.
Its is great to read such a article about our history……
Kishor…
Salt ke shedo ko Nyman
Bahut umda jankari shukriya …meri ankhe bhar aayi …jis vatan ke liye mere badon ne apna khoon bahaya aaz ham use hi barbad karne par tule hain …Allah hame sadbudhhi de ..ameen Zahid Alam haridwar