Chamba : Beauty Untouched
Uttarakhand is the heartland of Himalayas. A wide expanse between the Himalayas in the north and the Shivalik range in the South, it offers the most breathtaking views of the mighty peaks: mist covered deep gorges and verdant valleys. At the doorstep of this heaven, on the foothills of the Himalayas lies Chamba. Unexplored, untouched, […]
Jagar : Sacred Calling Of God
उत्तराखण्ड को देवभूमि कहा जाता है, कहा जाता है कि इस पवित्र धरती पर हिन्दू मान्यताओं के अनुसार समस्त ३३ करोड़ देवी-देवताओं का वास है। इन सभी देवी-देवताओं का हमारी संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है और उत्तराखण्ड में देवी-देवता हर कष्ट का निवारण करने के लिये हमारे पास आते है, किसी पवित्र शरीर के माध्यम […]
Buransh: Poet’s Favourite
वहां उधर पहाड़ शिखर पर बुरूंश का फूल खिल गया और मैं समझी कि मेरी प्यारी बिटिया हीरू आ रही है। अरे फूलों से झकझक लदे हुए बुरूंश के पेड़ को मैने अपनी बिटिया हीरू का रंगीन पिछौड़ा समझ लिया। वह तो बुरूंश का वृक्ष है। मेरी बेटी हीरू को तो राजा का पटवारी सोने-चांदी का लोभ दिखाकर अपने साथ ले गया है। वह अब आने से रही। अब तो वह तभी आएगी जब बूढ़ा पटवारी आएगा उसी के साथ वह आएगी।
सुप्रसिद्ध कहानीकार मोहन लाल नेगी की कहानी ‘बुरांश की पीड’ की नायिका रूपदेई के मुख पर अगर किसी परदेशी ने देख लिया तो उसकी मुखड़ी शर्म से ऐसे लाल हो जाती थी जैसे उसके मुख पर बुरूंश का फूल खिल गया हो। पहाड़ में नायिका के कपोलों और होठों को परिभाषित करने के लिए बुरूंश एक लोकप्रसिद्ध उपनाम है। गढ़वाल के पुराने प्रसिद्ध कवि चन्द्र मोहन रतूड़ी ने नायिका के ओठों की लालिमा का जिक्र कुछ इस अंदाज में किया है। इस बुरांश के फूल ने हाय राम तेरे ओंठ कैसे चुरा लिए, चोरया कना ए बुरासन ओंठ तेरा नाराण।