पशुधन की कुशलता की कामना का पर्व “खतडुवा”
उत्तराखण्ड में प्रारम्भ से ही कृषि और पशुपालन आजीविका का मुख्य स्रोत रहा है। जटिल भौगोलिक परिस्थितियों के कारण व्यापार की संभावनाएं नगण्य थीं, लेकिन कम उपजाऊ जमीन होने के बावजूद कृषि और पशुपालन ही जीवनयापन के प्रमुख आधार थे। आज भी कृषि और पशुपालन से सम्बन्धित कई पारम्परिक लोक परम्पराएं और तीज-त्यौहार पहाड़ के […]
ऋतुओं के स्वागत का त्यौहार- हरेला
उत्तराखण्ड की संस्कृति की समृद्धता के विस्तार का कोई अन्त नहीं है, हमारे पुरखों ने सालों पहले जो तीज-त्यौहार और सामान्य जीवन के जो नियम बनाये, उनमें उन्होंने व्यवहारिकता और विज्ञान का भरपूर उपयोग किया था। इसी को चरितार्थ करता उत्तराखण्ड का एक लोक त्यौहार है-हरेला। हरेले का पर्व हमें नई ऋतु के शुरु होने […]
अमर शहीद स्व० श्री श्रीदेव सुमन
स्वाधीनता-हितरधीता से दूं झुका जगदीश को, मां के पदों में सुमन सा रख दूं समर्पण शीश को। अपनी जननी-जन्मभूमि के प्रति ऐसी अपार बलिदानी भावना रखने वाले तरुण तपस्वी अमर शहीद श्री श्रीदेव सुमन जी का जन्म टिहरी गढ़वाल जिले की बमुण्ड पट्टी के ग्राम जौल में १२ मई, १९१५ को हुआ था। इनके पिता […]