(कल दोपहर में à¤à¤• दà¥à¤ƒà¤–द समाचार मिला कि निरà¥à¤®à¤² पाणà¥à¤¡à¥‡ जी का मà¥à¤‚बई में हृदयाघात से निधन हो गया। उनके निधन से बालीवà¥à¤¡ को और उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ के रंगमंच को अपूरणीय कà¥à¤·à¤¤à¤¿ हà¥à¤ˆ है। मेरा पहाड़ परिवार उनको अपनी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि पà¥à¤°à¥‡à¤·à¤¿à¤¤ करता है, निरà¥à¤®à¤² दा उरà¥à¤« नानू दा को शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤²à¤¿ सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª यह लेख)
१० अगसà¥à¤¤ १९६२ को नैनीताल में शà¥à¤°à¥€ हरीश चनà¥à¤¦à¥à¤° पाणà¥à¤¡à¥‡ और शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ रेवा पाणà¥à¤¡à¥‡ जी के घर जनà¥à¤®à¥‡ शà¥à¤°à¥€ निरà¥à¤®à¤² पाणà¥à¤¡à¥‡ ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सिनेमा जगत में अपनी दमदार उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से à¤à¤• अचà¥à¤›à¤¾ खासा मà¥à¤•à¤¾à¤® हासिल किया। इनका पैतृक गांव पान बड़ैती, दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾à¤¹à¤¾à¤Ÿ, जिला अलà¥à¤®à¥‹à¥œà¤¾ है। इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤• से इणà¥à¤Ÿà¤° तक की शिकà¥à¤·à¤¾ नैनीताल से गà¥à¤°à¤¹à¤£ की, इसके बाद डी०à¤à¤¸à¥¦à¤¬à¥€à¥¦ कालेज नैनीताल से से बी०काम० और à¤à¤®à¥¦à¤à¥¦ की शिकà¥à¤·à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ की। सी०आर०à¤à¤¸à¥¦à¤Ÿà¥€à¥¦ में पà¥à¤¾à¤ˆ के दौरान ही वे नाटकों और रामलीलाओं में अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ करने लगे। अपनी शिकà¥à¤·à¤¾ पूरी करने के बाद उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥€à¤®à¤¤à¤¾à¤² के बà¥à¤²à¤¾à¤• आफिस में कà¥à¤²à¤°à¥à¤• की नौकरी à¤à¥€ की। लेकिन शिकà¥à¤·à¤¾ काल में ही रंगमंच की ओर रà¥à¤à¤¾à¤¨ होने के कारण सरकारी नौकरी उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ रास नहीं आई। सो इसà¥à¤¤à¥€à¤«à¤¾ देकर थियेटर की सेवा करने वे फिर से नैनीताल पहà¥à¤‚च गये। नैनीताल की पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ नाटà¥à¤¯ संसà¥à¤¥à¤¾ “यà¥à¤—मंच†से वे १९८९ में जà¥à¥œà¥‡ और इस दौरान उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कई नाटकों का मंचन किया और कई नाटकों में अपनी दमदार अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ कला से लोगों के मन में अपनी अमिट छाप छोड़ी। यà¥à¤—मंच में वह à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾ के साथ-साथ à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤• के रà¥à¤ª में à¤à¥€ जाने जाते थे। जिनमें जिन लाहौर नी देखà¥à¤¯à¤¾, हैमलेट, अजà¥à¤µà¤¾ बफौल, अंधायà¥à¤—, अनारो, सराय की मालकिन, मेन विदाउट शईडोज, à¤à¤²à¥à¤¡à¤°à¤¸à¤¨, कà¥à¤› तो करो आदि नाटक शामिल हैं।
शà¥à¤°à¥€ पाणà¥à¤¡à¥‡ ने राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ नाटà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯, नई दिलà¥à¤²à¥€ (Natinal drama school) से सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤• की परीकà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€ उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ की। १९८६ में निरà¥à¤®à¤² पाणà¥à¤¡à¥‡ जी ने मà¥à¤‚बई का रà¥à¤– किया। १९९४ में पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤• शेखर कपूर ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी फिलà¥à¤® बैंडिट कà¥à¤µà¥€à¤¨ में विकà¥à¤°à¤® मलà¥à¤²à¤¾à¤¹ का चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€à¤ªà¥‚रà¥à¤£ रोल दिया, जिसमें वे शत-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ खरे उतरे। आज à¤à¥€ निरà¥à¤®à¤² दा का जिकà¥à¤° आते ही बनà¥à¤¦à¥‚क पकड़े विकà¥à¤°à¤® मलà¥à¤²à¤¾à¤¹ की ही छवि पहले सामने आती है। इस फिलà¥à¤® के पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ होने के बाद निरà¥à¤®à¤² दा को अनेक फिलà¥à¤®à¥‡à¤‚ मिली, जिनमें औजार, इस रात की सà¥à¤¬à¤¹ नहीं, दायरा,टà¥à¤°à¥‡à¤¨ टू पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨, पà¥à¤¯à¤¾à¤° किया तो डरना कà¥à¤¯à¤¾, जहां तà¥à¤® ले चलो, गाड़मदर, हम तà¥à¤® पे मरते हैं, हद कर दी आपने, शिकारी, वे टू का फोर, दीवानगी, आंच, हातिम, पाथ, लैला, पà¥à¤°à¤¿à¤‚सेज डाली और उसका मैजिक बाकà¥à¤¸ (टी०वी० सीरियल, सà¥à¤Ÿà¤¾à¤° पà¥à¤²à¤¸), आजा नचले, राजकà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯à¤¨, देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹à¥€ और लाहौर शामिल है। मारà¥à¤š, २०१० में पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ होने वाली लाहौर फिलà¥à¤® उनकी आखिरी फिलà¥à¤® है।निरà¥à¤®à¤² दा ने हमेशा चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€à¤ªà¥‚रà¥à¤£ किरदारों को ही अपने कैरियर में तरजीह दी, अमोल पालेकर निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¤ फिलà¥à¤® दायरा में जब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€ का किरदार निà¤à¤¾à¤¨à¥‡ को कहा गया तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उसे सहरà¥à¤· सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया और १९९ॠमें उसके लिये उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ फà¥à¤°à¤¾à¤‚स के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ वालेंतिये पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° से नवाजा गया। गौरतलब है कि यह पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€ के लिये दिया गया था और यह पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° पाने वाले वे विशà¥à¤µ के पहले अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾ थे। à¤à¤• अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾ को सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€ का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¤¾à¤° मिलना उस अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾ के चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€à¤ªà¥‚रà¥à¤£ अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ कौशल को ही पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करता है।
टी०वी० शोज के दौर में गबà¥à¤¬à¤° मिकà¥à¤¸ के लिये उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ चैनल वी ने à¤à¥€ समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया, इसके अलावा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• à¤à¤²à¤¬à¤® जजà¥à¤¬à¤¾ à¤à¥€ जारी किया। फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ से à¤à¤²à¥‡ ही निरà¥à¤®à¤² दा को पहचान मिली हो, लेकिन रंगमंच के लिये उनका दिल हमेशा धड़कता रहा। कà¥à¤› समय के लिये उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तारा आरà¥à¤Ÿà¤¸ गà¥à¤°à¥à¤ª, लनà¥à¤¦à¤¨Â के लिये à¤à¥€ कारà¥à¤¯ किया और लगà¤à¤— १२५ नाटकों में काम किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने थियेटर गà¥à¤°à¥à¤ª संवेदना की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ १९९४ में की और à¤à¤• अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ सà¥à¤•à¥‚ल फà¥à¤°à¥‡à¤¶ टेलेनà¥à¤Ÿ अकादमी की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ गाजियाबाद में की। अपने थियेटर गà¥à¤°à¥à¤ª संवेदना के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखित अंधायà¥à¤— और १८ दिन मंचित होने वाली महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¥€ मंचन किया। निरà¥à¤®à¤² दा ने रंगमंच के लिये à¤à¤¾à¤°à¤¤ में ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ लंदन, फà¥à¤°à¤¾à¤‚स, जापान और आसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ में à¤à¥€ कारà¥à¤¯ किया।
अपà¥à¤°à¥ˆà¤², १९९ॠमें इनका विवाह लखनऊ निवासी सà¥à¤¶à¥à¤°à¥€ कौशर मà¥à¤¨à¥€à¤° के साथ हà¥à¤†, इनकी à¤à¤• पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ हैं। निरà¥à¤®à¤² दा बहà¥à¤†à¤¯à¤¾à¤®à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾ के धनी थे, वे à¤à¤• अचà¥à¤›à¥‡ अà¤à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¤¾, नाटà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤®à¥€, निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤•, संगीतजà¥à¤ž और गायक à¤à¥€ थे। नैनीताल के लोग आज à¤à¥€ उनकी गायी होलियों को याद करते हैं।
महज ४८ वरà¥à¤· की अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ में दिनांक १८ फरवरी, २०१० को दिन में २.३० बजे हृदयाघात से मà¥à¤‚बई में उनका दà¥à¤ƒà¤–द निधन हो गया। इसी के साथ ही हमारा निरà¥à¤®à¤² पाणà¥à¤¡à¥‡ उरà¥à¤« नानू उरà¥à¤« परà¥à¤µà¤¾ डान नाम का चमकता सितारा अननà¥à¤¤ में विलीन हो गया। मेरा पहाड़ परिवार उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी à¤à¤¾à¤µà¤à¥€à¤¨à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करता है।
निरà¥à¤®à¤² दा का परिचय आप अपना उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ पर à¤à¥€ देख सकते हैं।
आप जैसे लोग ही तो हैं जो à¤à¤• लौ जलाते हैं जो बाद में पूरी दीपमाला बनकर दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को उजाला दिखाती है.