कबूतरी देवी : उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ की पहली लोक गायिका
आप लोगों ने यदि à¥à¥¦-८० के दशक में नजीबाबाद और लखनऊ आकाशवाणी से पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ कà¥à¤®à¤¾à¤‚ऊनी गीतों के कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® को सà¥à¤¨à¤¾ होगा तो à¤à¤• खनकती आवाज आपके जेहन में जरà¥à¤° होगी। जो हाई पिच पर गाती थी, “आज पनि à¤à¥Œà¤‚-à¤à¥Œ, à¤à¥‹à¤² पनि à¤à¥Œà¤‚-à¤à¥Œà¤‚, पोरखिन त नà¥à¤¹à¥ˆ जूंला†और “पहाड़ों को ठणà¥à¤¡à¥‹ पाणि, कि à¤à¤²à¤¿ मीठी बाणीâ€à¥¤Â इस […]
à¤à¤¿à¤Ÿà¥Œà¤²à¥€ – उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ में महिलाओं को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ à¤à¤• विशिषà¥à¤Ÿ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ राजà¥à¤¯ में कà¥à¤®à¤¾à¤Šà¤‚-गढवाल मणà¥à¤¡à¤² के पहाड़ी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° अपनी विशिषà¥à¤Ÿ लोक परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं और तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को कई शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से सहेज रहे हैं| यहाठपà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ कई à¤à¤¸à¥‡ तीज-तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हैं, जो सिरà¥à¤« इस अंचल में ही मनाये जाते हैं. जैसे कृषि से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° हैं हरेला और फूलदेई, माठपारà¥à¤µà¤¤à¥€ को अपने गाà¤à¤µ की बेटी मानकर उसके मायके […]
फूलदेई : उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ का à¤à¤• लोक तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤°
उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–णà¥à¤¡ यूं तो देवà¤à¥‚मि के नाम से दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° में जाना जाता है, इस सà¥à¤°à¤®à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की à¤à¤• और खासियत यह है कि यहां के निवासी बहà¥à¤¤ ही तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ होते हैं। जटिल परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, रोज à¤à¤• नई परेशानी से रà¥à¤¬à¤°à¥ होने, जंगली जानवरों के आतंक और दैवीय आपदाओं से घिरे रहने के बाद à¤à¥€ यहां […]